लम्बी बहस के बाद वक्फ संशोधन बिल पारित

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
मोदी सरकार का ऐतिहासिक वक्फ संशोधन बिल हंसी-मजाक, नोंक-झोंक और तीखी बहस के बीच लोकसभा और राज्यसभा मंे पारित हो गया। यह विधेयक अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाएगा। हालांकि कांग्रेस और जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट मंे चुनौती देने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद मंे वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने पर खुशी जतायी और कहा यह कदम सामाजिक, आर्थिक, न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास का सामूहिक कदम है। वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में 288 सांसदों ने पारित किया जबकि 232 सांसद विरोध कर रहे थे। इसी प्रकार राज्यसभा मंे 128 सदस्यों ने समर्थन किया और 95 सांसदों ने विधेयक के विरोध मंे वोट डाले। इस दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव के बीच हंसी-मजाक भी हुआ। दरअसल, अखिलेश यादव ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव न होने पर सवाल उठाया। सवाल पूछते समय वे हंस भी रहे थे। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, हंसते हुए सवाल पूछा गया है तो हंसते हुए जवाब भी दे रहा हूं। अमित शाह ने कहा कि ये लोग वे हैं जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का सवाल उठा रहे हैं जहां परिवार के पांच लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लेते हैं। भाजपा के करोड़ों सदस्य हैं और वे सभी मिलकर चुनाव करते हैं। इस हंसी-मजाक के साथ भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच नोंक-झोंक हो गयी। अनुराग ठाकुर ने खड़गे पर सीधे आरोप लगाया तो खड़गे ने अनुराग ठाकुर को आरोप साबित करने की चुनौती दी। बहरहाल अंत भला सो सब भला। मोदी की सरकार विवादास्पद बिल को पारित कराने मंे सफल रही।
वक्फ संशोधन बिल 2025 भले ही लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया है लेकिन इसे लेकर सियासी खींचतान अभी भी जारी है। अब यह मामला संसद से निकलकर सड़क और कोर्ट तक पहुंच चुका है। विपक्षी दल जहां इस बिल के खिलाफ अब विरोध प्रदर्शन करने की बात कर रहे हैं वहीं कांग्रेस ने इस बिल की संवैधानिकता वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है। खबर आ रही है कांग्रेस इस बिल के पास होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल करने की योजना बना रही है। कांग्रेस के लोकसभा सांसद सुखदेव भगत ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर कहा है कि हम वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वक्फ बिल को लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द ने भी अपना विरोध जताया है। जमीयत के यूपी के कानूनी सलाहकार मौलाना काब राशिदी ने इसे लेकर कहा है कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने वक्फ बिल के विरोध में दिल्ली, कर्नाटक समेत देश के कई राज्यों में रैलियां की है। हम आगे भी इसका विरोध जारी रखेंगे। जमीयत उलेमा ए हिंद की वर्किंग कमेटी की बैठक में यह तय किया गया कि इस कानून के पारित होने के बाद वो इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 का मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के रेगुलेशन और मैनेजमेंट में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट में सुधार करना है।
वक्फ संशोधन बिल के दोनों ही सदनों में पारित होने के बाद जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी सांसद इस बिल के पास होने को लेकर हंगामा करने लगे। लोकसभा स्पीकर ने हंगाामा कर रहे सांसदों को रोकने की हर संभव कोशिश की लेकिन जब हंगामा नहीं रुका तो उन्होंने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक के पारित होने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि यह कदम सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास के सामूहिक प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
लोकसभा में 2 अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल पारित गया। इस पर करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने हिस्सा लिया। इस दौरान 288 ने पक्ष में जबकि 232 ने विपक्ष में वोट डाले। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है। इसके बाद यह बिल राज्यसभा में भी पारित हो गया। इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद यह बिल कानून के रूप में देश में वक्फ संपत्तियों पर लागू हो जाएगा। वक्फ कानून में बड़े बदलाव होंगे। कानून के लागू होने के 6 महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को सेंट्रल डेटाबेस पर रजिस्टर्ड करना अनिवार्य होगा। वक्फ में दी गई जमीन का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन पोर्टल पर 6 महीने के अंदर अपलोड करना होगा और कुछ मामलों में इस टाइम लिमिट को बढ़ाया भी जा सकेगा।वक्फ को डोनेशन में दी गई हर जमीन का ऑनलाइन डेटाबेस होगा और वक्फ बोर्ड इन प्रॉपर्टीज के बारे में किसी बात को छिपा नहीं पाएगा। किस जमीन को किस व्यक्ति ने डोनेट किया, वो जमीन उसके पास कहां से आई, वक्फ बोर्ड को उससे कितनी इनकम होती है, उस प्रॉपर्टी की देख-रेख करने वाले मुतव्वली को कितनी तनख्वाह मिलती है, ये जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर मुहैया होगी। इससे वक्फ की प्रॉपर्टीज में ट्रांसपरेंसी आएगी और वक्फ को होने वाला नुकसान भी कम होगा।
एक बड़ा बदलाव यह भी आएगा कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना जरूरी होगा। वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं के साथ दूसरे धर्म से जुड़े दो लोग शामिल होंगे। वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए गए सांसद और पूर्व जजों का भी मुस्लिम होना जरूरी नहीं होगा। राज्यों के वक्फ बोर्ड में भी दो मुस्लिम महिलाएं और दो गैर-मुस्लिम सदस्य जरूर होंगे। साथ ही शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिमों से भी एक-एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। इनमें बोहरा और आगाखानी समुदायों से भी एक-एक सदस्य होना चाहिए। इन दोनों मुस्लिम संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने का भी प्रावधान इस कानून में जोड़ा गया है। किसी भी विवाद की स्थिति में स्टेट गवर्नमेंट के अफसर को यह सुनिश्चित करने का अधिकार होगा कि संपत्ति वक्फ की है या सरकार की। हालांकि बिल के प्रावधान को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि अफसर सरकार के पक्ष में फैसला करेंगे और यह भी तय नहीं है कि अफसर कितने दिन में किसी विवाद का निपटारा करेंगे।
बिल में कहा गया है कि अब डोनेशन में मिली प्रॉपर्टी ही वक्फ की होगी। जमीन पर दावा करने वाला ट्रिब्यूनल,रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। साथ ही सिविल कोर्ट या
हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी। ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी जा सकेगी। मामले में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले
के खिलाफ 90 दिनों में रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में अपील दायर करने का लोगों के पास अधिकार होगा, जो मौजूदा कानून में नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का
अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा। जाहिर है कि यह संशोधन समय की मांग भी है। (हिफी)