पार्टी कल्याण पर योगी मंथन

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पिछले दो चुनावों की अपेक्षा बहुत कम सांसद मिल पाये जबकि अपेक्षा कहीं ज्यादा की थी। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात पर पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों के साथ मंथन कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ? कहीं न कहीं कोई कमी तो है जिससे मतदाताओं का उस तरह का स्नेह नहीं मिल सका जैसा 2014 और 2019 मंे मिला था। मंथन के साथ ही ऐक्शन भी हो रहा है क्योंकि जुबानी जमाखर्च से कुछ मिलने वाला नहीं है। योगी आदित्यनाथ जहां जरूरत होती है, वहां कड़ा रुख अपनाते हैं जैसे आजमगढ़ मंे समीक्षा बैठक के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कलेक्टर और एसपी को जमकर फटकार लगायी। योगी ने यहां तक कह दिया कि काम नहीं होता तो कुर्सी छोड़ दो। वहां समीक्षा बैठक मंे एमएलसी रामसूरत राजभर ने शिकायत दर्ज करायी थी कि अधिकारी जनता, कार्यकर्ता की तो छोड़िए, हम जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुनते हैं। इसी प्रकार बलिया में अवैध वसूली पर एसपी व एएसपी हटाये गये हैं। सीएम योगी पार्टी के कल्याण पर परिवार के अंदर भी मंथन करते हैं। मेरठ और प्रयागराज मंडल के जनप्रतिनिधियों से गत 25 जुलाई को मिले। अफसोस यह कि पार्टी के ही कुछ नेता अलग खिचड़ी, पकाकर योगी के मिशन में बाधा डाल रहे हैं। मेरठ और प्रयागराज मंडल के जन प्रतिनिधियों की बैठक मंे राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसद मौर्य शामिल नहीं हुए। इससे पार्टी का अहित होने की संभावना है। राज्य मंे 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और पार्टी का सदस्यता अभियान भी चलना है। इसमंे सफलता तभी मिलेगी जब पार्टी पूरी तरह से एकजुट होगी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज मंडल के जनप्रतिनिधियों से 25 जुलाई शाम मुलाकात की। समीक्षा बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंचे। मौर्य को संगठन की तरफ से बुलाया गया था लेकिन वह मीटिंग में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे। इससे पहले बीजेपी की काशी प्रांत की बैठक में भी मौर्य नहीं आए थे। इतना ही नहीं, करीब 6 महीने पहले प्रयागराज मंडल की बैठक आयोजित की गई थी। यह बैठक लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हुई थी, उसमें भी डिप्टी सीएम मौजूद नहीं रहे थे। सीएम योगी ने प्रयागराज मंडल के जनप्रतिनिधियों से फीडबैक लिया। प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, फतेहपुर जिले के विधायकों से मुलाकात की। सीएम योगी से मंत्री नंद गोपाल नंदी, विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह, हर्ष बाजपेयी समेत कई जनप्रतिनिधियों से शिष्टाचार मुलाकात की।
बीजेपी विधायक हर्ष बाजपेयी ने कहा, जो आम चुनाव हुए हैं, अब परफोरमेंस में क्या बेहतरी कर सकते हैं। उपचुनाव में और बेहतर कर पाएं, कमियां दूर कर पाएं। पालिटिक्स मे कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं। कुछ सहमति और कुछ असहमति लेकिन पार्टी टीमवर्क पर चलती है, सब मिलकर काम करते हैं।’ मीटिंग के बाद बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘सभी जनप्रतिनिधि आए थे। समीक्षा में जो चुनाव है, आगे क्या करना है, उसके बारे मे चर्चा हुई है। सीएम का मार्गदर्शन मिला।’ एमएलसी निर्मला पासवान ने कहा, ‘बस सीएम के साथ बैठक हुई। अच्छी बैठक थी। सब कुछ सही है। 2027 के चुनाव को लेकर तैयारी की बैठक हुई है। केपी मोर्या के सवाल पर कहा कि मुझे यह नहीं मालूम कि बुलाया गया था या नहीं।’ इससे पहले, 8 जून को लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली हार की समीक्षा करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक अहम बैठक बुलाई थी। उस बैठक में सभी मंत्री शामिल हुए थे लेकिन प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य नदारद दिखे थे। फिर 15 जुलाई को लखनऊ के लोहिया सभागार में बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक हुई तो शीर्ष नेताओं के बीच तलवारें खिंच गईं। कार्यकर्ताओं को लेकर केशव प्रसाद मौर्य ने सबसे बड़ी बात कही। केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं से कहा ‘जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है’ और बीजेपी में सरकार से बड़ा संगठन है, संगठन था और रहेगा। केशव मौर्य ने कहा कि 7 कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोलते हुए अपनी लकीर खींच डाली। मुख्यमंत्री ने अपने गवर्नेंस को लेकर साफ कर दिया कि जिस अंदाज में उनकी सरकार चल रही है उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने उदाहरण मोहर्रम का जरूर दिया लेकिन संदेश सबके लिए था। जब संगठन के बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केशव मौर्य तक कार्यकर्ताओं की बात कर रहे थे तो उसका जवाब सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह कह कर दिया कि जब विपक्ष झूठे नैरेटिव गढ़ रहा था तो हमारे कार्यकर्ता जवाब क्यों नहीं दे पाए। स्मार्टफोन पर सुबह शाम गुड मॉर्निंग भेजा जा सकता है लेकिन विपक्ष के फैलाए झूठ का जवाब क्यों नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री के निशाने पर संगठन था और इसीलिए उन्होंने ‘अति आत्मविश्वास’ शब्द का इस्तेमाल किया। सीएम ने कहा कि चुनाव के नतीजों से किसी को बैकफुट पर जाने की जरूरत नहीं है। दरअसल, इसका अर्थ निकालने वाले कुछ भी निकाले लेकिन मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया कि वह भी बैकफुट पर नहीं जाने वाले।
इसी का उदाहरण है कि आजमगढ़ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कलेक्टर और एसपी को जमकर फटकार लगाई। इतना ही नहीं बल्कि यह तक कह दिया कि यदि काम नहीं होता तो कुर्सी छोड़ दो। सीएम योगी ने तत्काल व्यवस्था में सुधार करने के निर्देश दिये हैं। बता दें कि यह फटकार सीएम ने एक एमएलसी की शिकायत पर लगाई। सीएम की फटकार से अधिकारी सकते में आ गए और अन्य अधिकारियों में हड़कंप मच गया। सीएम ने जनहित और कल्याणकारी योजनाओं को समय के साथ और सुनियोजित ढंग से जमीनी स्तर पर लाने के निर्देश दिये। इसके बाद कलेक्ट्रेट सभागार में पहुंचे जहां जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इसी बीच एमएलसी रामसूरत राजभर का दर्द छलक गया। एमएलसी रामसूरत राजभर ने समीक्षा बैठक में सीएम योगी से अफसरों की शिकायत कर दी। एमएलसी ने कहा कि साहब अधिकारी सुनते ही नहीं हैं। जनता, कार्यकर्ता तो छोड़िए, हम जनप्रतिनिधियों तक की नहीं सुनते। चाहे कलेक्टर हों, थाने वाले हों या तहसील के अधिकारी कोई हमारा काम नहीं सुनते। सीएम ने कहा कि व्यवस्था में तत्काल सुधार किया जाए।
सीएम की सख्ती का असर दिखने लगा। यूपी का बलिया जिला इन दिनों अवैध वसूली के खेल के लिए सुर्खियों में हैं। यूपी-बिहार बॉर्डर पर बने भरौली चेक पोस्ट पर ट्रकों से अवैध वसूली का खेल खुल्लमखुल्ला चल रहा था। गत 24 जुलाई को एडीजी और डीआईजी ने संयुक्त रूप से रेड मारी तो दो पुलिसकर्मियों को मौके से गिरफ्तार किया गया। इतना ही नहीं 16 विचैलिये भी पकड़े गए जो पुलिस के लिए धन उगाही का काम कर रहे थे। इसके बाद जो खुलासा हुआ तो सभी सन्न रह गए। पता चल इस गोरखधंधे में पूरा थाना ही संलिप्त था। योगी सरकार ने एसपी और एडिशनल एसपी को हटाते हुए वेटिंग में डाल दिया जबकि सीओ को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा सीओ, एसएचओ और चैकी इंचार्ज की संपत्ति की विजिलेंस जांच के भी आदेश दिए गए हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)