लेखक की कलम

यूपी में योगी ने बढ़ाया पर्यटन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी, तब प्रदेश का चेहरा बदलने की बात कही थी। उन्हांने कहा था कि मैं इस प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना दूंगा। प्रदेश का चेहरा निश्चित रूप से बदला है। इसका एक उदाहरण धार्मिक पर्यटन का है। अब तक दक्षिण भारत के मंदिर ही पर्यटन की दृष्टि से सबसे आगे थे लेकिन योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या मंे नव्य एवं भव्य राम मंदिर के माध्यम से उत्तर प्रदेश को पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण बना दिया है। अयोध्या और काशी पर्यटकों की पहली पसंद बन गये हैं। अयोध्या मंे गत 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला विराजमान हुए थे। उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सान्निध्य मंे प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। उसके बाद से अब तक अयोध्या में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक आ चुके हैं। इसी प्रकार काशी में कॉरीडोर बनने के बाद पर्यटकों की संख्या में कई गुनी बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए 6 करोड़ से अधिक देशी और विदेशी पर्यटक आये हैं। पर्यटकों की संख्या बढ़ाने का एक कारण दोनों मंदिरो के परिसर निर्माण, अयोध्या में राम मंदिर का पुनर्निर्माण तो है ही, साथ ही यहां यात्रियों के आगमन को हर प्रकार से सुलभ बनाया गया है। यात्री सुविधाओं मंे विस्तार का क्रम चल रहा है। इससे प्रदेश को राजस्व भी मिल रहा है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। इसी पर्यटन से प्रदेश मंे 23 हजार करोड़ से अधिकारी जीएसटी मिला।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बड़ा बूस्ट मिला है। गौरतलब है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आंकड़ों के अनुसार हर दिन 1 से 2 लाख भक्त दर्शन करते हैं. प्रमुख त्योहारों पर यह संख्या और बढ़ जाती है। कुल मिलाकर कहा जाए तो अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की रुचि और बढ़ी है। जनवरी से सितंबर 2024 के बीच उत्तर प्रदेश में 47.61 लाख पर्यटक आए हैं।
इनमें 47.47 करोड़ घरेलू और 14.11 लाख विदेशी पर्यटकों की संख्या शामिल है।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1,84,036 विदेशी पर्यटकों ने वाराणसी का दौरा किया है, जबकि सर्वाधिक 13,55,87,370 घरेलू पर्यटक अयोध्या आए हैं। जनवरी से सितंबर 2024 के बीच लगभग 47.61 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों का दौरा किया है। जिसमें 47.47 करोड़ घरेलू तथा 14.11 लाख विदेशी पर्यटकों हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सर्वाधिक 1.84.026 विदेशी पर्यटक ने वाराणसी का भ्रमण किया है जबकि 13,55,87,370 घरेलू पर्यटकों ने अयोध्या की तरफ रुख किया। उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के मुताबिक विभाग की तरफ से हर पर्यटन स्थल पर आने वाले पर्यटकों के आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं। जनवरी से जून के बीच करीब 33 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश का भ्रमण किया था। इसी प्रकार पिछले वर्ष 48 करोड़ पर्यटकों ने प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों का दौरा किया था।
अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद 13,55,90,523 पर्यटक आए, जिसमें 13,55,87,370 घरेलू और 3,153 विदेशी शामिल हैं। तो वहीं भगवान कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में कुल 6,81,55,926 श्रद्धालु पहुंचे जिसमें 6,80,68,697 घरेलू और 87,229 विदेशी शामिल हैं। इसके अलावा काशी में कुल 6,25,34,381 घरेलू और 1,84,036 विदेशी पर्यटकों सहित कुल 6,27,18,417 पर्यटक आए। तीर्थराज प्रयागराज में कुल 4,80,10,970 पर्यटक आए, जिसमें 4,80,06,180 घरेलू और 4,790 विदेशी शामिल हैं। मीरजापुर में कुल 11818401, कुशीनगर में 1,53,165 विदेशी पर्यटकों सहित 16,20,920 पर्यटक आए तो आगरा में 9,24,261 विदेशी पर्यटकों सहित कुल 1,25,18,887 तो सिद्धार्थनगर में 86215 पर्यटक आए। इसी प्रकार ईको पर्यटन को लेकर लखीमपुर खीरी में 46,52,805, पीलीभीत में 30,61,800, बिजनौर में 34,41,081 और सोनभद्र में 19,42,063 पर्यटक आए।
नोएडा से अयोध्या पहुंचे एक श्रद्धालु ने बताया कि अयोध्या में 500 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद रामलला विराजमान हुए हैं। अब देश-दुनिया के भक्त
अयोध्या पहुंच रहे हैं। शायद यही वजह है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. तो दूसरी तरफ अयोध्या में व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी अयोध्या विश्व के मानचित्र पर स्थापित हो रही है। शायद यही वजह है कि करोड़ों की संख्या में पर्यटक उत्तर प्रदेश की तरफ रुख भी कर रहे हैं।
54 हजार वर्गमीटर में फैले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया था। इस कॉरिडोर के बनने से बाबा विश्वनाथ की कमाई दोगुनी हो गई है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर है। यह मंदिर पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित है। माना जाता है कि एक बार मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि पृथ्वी के निर्माण के दौरान सूर्य की पहली किरण काशी यानी वाराणसी पर पड़ी थी। काशी विश्वनाथ का मंदिर अब गंगा से सीधे जुड़ गया है। श्रद्धालु जलासेन घाट, मणिकर्णिका और ललिता घाट पर स्नान कर सीधे बाबा के मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। विशालकाय बाबा के धाम में 3 यात्री सुविधा केंद्रों में श्रद्धालुओं को अपना सामान सुरक्षित रखने, बैठने और आराम की सुविधा मिलेगी। काशी में कलाकारों के लिए एक और सांस्कृतिक केंद्र की सौगात मिलेगी। दो मंजिला इमारत सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए है। विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए योग और ध्यान केंद्र के रूप में वैदिक केंद्र को स्थापित किया गया है। धाम क्षेत्र में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओें के लिए स्प्रिचुअल बुक सेंटर धार्मिक पुस्तकों का नया केंद्र होगा। श्रद्धालुओं के लिए बाबा की भोगशाला भी स्थापित की गई है। यहां एक साथ 150 श्रद्धालु बैठकर बाबा विश्वनाथ का प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। सनातन धर्म में काशी में मोक्ष की मान्यता है। इसलिए विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन बनाया गया है। इससे लगभग 100 कदम की दूरी पर महाश्मशान मणिकर्णिका है। विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए 4 विशालकाय द्वार बनाए गए हैं। पहले यहां सिर्फ सकरी गलियां थीं।
इसी प्रकार सुरक्षा के लिए हाईटेक कंट्रोल रूम बनाया गया है। पूरे धाम क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। धाम में आपातकालीन चिकित्सा
सुविधा से लेकर एंबुलेंस तक की व्यवस्था है। (हिफी)

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