अब मणिपुर अजय भल्ला के हवाले

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा के अनुसार मणिपुर की विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि विधानसभा को निलंबित किया गया है। इसका आशय यह है कि वहां के हालात सुधरते ही सरकार को फिर से बहाल किया जा सकता है। चार दिन पहले ही बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। राज्य के कई विधायक उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार महसूस कर रही थी कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह हालात संभाल नहीं पा रहे हैं लेकिन अब भाजपा को वहां कोई विकल्प भी नहीं मिल पाया है। राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार वहां सरकार नहीं चल सकती है। राज्य के प्रभारी संबित पात्रा नया नेता चुनने में असफल रहे हैं। विधानसभा निलंबित रहने से विधायकों के अधिकार बरकरार रहते हैं। पूर्व गृह सचिव अजय भल्ला अब वहां राज्यपाल के रूप में सरकार संभालेंगे। बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दिया था और अगले दिन से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला था। विपक्षी दलों ने बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रखा था। इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट का सामना करने से ठीक एक दिन पहले बीरेन सिंह ने पद छोड़ दिया था। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा को घेरा भी है। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया है कि भाजपा के पास पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने का कोई रोड मैप नहीं है। निश्चित रूप से राज्यपाल अजय भल्ला को अब महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उनको राजनीतिक असंतोष से ज्यादा मैतेई और कुकी समुदाय के बीच के असंतोष को दूर करना होगा।
हिंसा प्रभावित मणिपुर का शासन सौंपा गया है अजय कुमार भल्ला को। इस पूर्वोत्तर राज्य का राज्यपाल अब शासनाध्यक्ष भी बनाया गया है। अजय कुमार भल्ला को (24 दिसंबर) को मणिपुर का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का एक अधिकारी जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने लगातार चार बार सेवा विस्तार दिया और इसके बाद इस अधिकारी ने बतौर केंद्रीय गृह सचिव पांच साल पूरे किए। इन्हें हिंसाग्रस्त मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी अधिसूचना में अजय कुमार भल्ला समेत कुल पांच राज्यों में गवर्नरों की नियुक्ति के बारे में बताया गया है। अजय भल्ला से पहले असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य बतौर राज्यपाल मणिपुर की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे थे। भल्ला की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब साल 2023 से राज्य ने जातीय हिंसा के कई दौर देखे हैं और यह हिंसा अब भी जारी है। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी होती है और अजय भल्ला इसी साल गृह मंत्रालय में आ जाते हैं तब राजनाथ सिंह को गृह मंत्री से हटाकर रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष और गुजरात के गांधीनगर से सांसद चुनकर आए अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया। भल्ला पहले गृह मंत्रालय में ओएसडी बने फिर लगभग एक महीने बाद राजीव गौबा की जगह केंद्रीय गृह सचिव बन जाते हैं। एक साल बाद 2020 में भल्ला को रिटायर होना था, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दे दिया।
पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द करते हुए जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया गया और दो केंद्र शासित प्रदेश- लद्दाख और जम्मू-कश्मीर बना दिए गए।
केंद्रीय गृह सचिव के रूप में अजय कुमार भल्ला का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो गया था। उन्हें अगस्त 2019 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। देश के शीर्ष नौकरशाह कैबिनेट सचिव के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद पर भल्ला का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। उनकी जगह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गोविंद मोहन ने ली थी। अजय कुमार भल्ला का जन्म 26 नवंबर 1960 को जालंधर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में ही पूरी की। इसके बाद भल्ला ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की डिग्री हासिल करके
अपनी शैक्षणिक योग्यता को और बढ़ाया।
भल्ला असम-मेघालय कैडर के 1984 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने अगस्त 2024 तक लगभग पांच सालों तक भारत के गृह सचिव के रूप में काम किया। अजय कुमार भल्ला पंजाब के जालंधर से हैं। गृह सचिव के रूप में भल्ला का कार्यकाल कई बार बढ़ाया गया, अगस्त 2023 में उन्हें चौथा विस्तार मिला और 22 अगस्त 2024 तक वे गृह सचिव के पद पर रहे। इससे वे पद पर पांच साल पूरा करने वाले केवल दूसरे केंद्रीय गृह सचिव बने और इसके बाद वे रिटायर हो गए। मई 2023 में केंद्रीय गृह सचिव के रूप में भल्ला के कार्यकाल के दौरान मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी। अब इसे उनको संभालना है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इंफाल में सुरक्षा बढ़ाई गई है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है। गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया था। बताते चलें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से जातिगत हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत के कारण लंबे समय से मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मणिपुर इकाई की अध्यक्ष ए शारदा ने कहा कि राज्य विधानसभा को संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सदन अभी भंग नहीं हुआ है। एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। राज्य विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया।गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है, जिसका कार्यकाल 2027 तक है। मणिपुर में भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले सिंह ने करीब 21 महीने की जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। शारदा ने कहा, ‘‘नौ फरवरी को सिंह के इस्तीफे के बाद संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है। विधानसभा को अभी भंग नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य की स्थिति में सुधार होने पर सदन को बहाल किया जा सकता है। इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मणिपुर इकाई ने कहा कि राष्ट्रपति शासन तत्काल हटाया जाना चाहिए और जल्द से जल्द नये चुनाव कराए जाने चाहिए। माकपा की राज्य समिति के सचिव के शांता ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाले अन्य दलों के साथ राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़ी रहेगी। राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता संबित पात्रा मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंचे और 40 मिनट तक वहां रहे। जाहिर है कि उनको भी बीरेन सिंह का विकल्प नहीं मिल पाया। (हिफी)