लेखक की कलम

निर्वाचन आयोग का दायित्व ज्ञानेश को

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
लोकतंत्र में चुनाव सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है क्योंकि इसी के माध्यम से जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं। यही जनप्रतिनिधि सत्तापक्ष और विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करते हैं। इसलिए निर्वाचन का कार्य जितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता से होता है, लोकतंत्र उतना ही मजबूत होता है। पिछले कुछ वर्षों से चुनाव आयोग पर विपक्षी दल उंगलियां उठा रहे हैं। किसी को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से शिकायत है तो कोई कहता है निर्वाचन आयोग उनकी बात नहीं सुनता इसलिए निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता दिखाई भी पड़नी चाहिए। पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार का कार्यकाल 18 फरवरी को समाप्त हो गया है। उनके उत्तराधिकारी के तौर पर ज्ञानेश कुमार का चयन किया गया है। इसके साथ ही एक चुनाव आयुक्त का चयन भी नयी प्रक्रिया के तहत पहली बार किया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट की कोई भूमिका नहीं थी। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट का भी मत लिया जाता था। बहरहाल, हरियाणा कैडर के 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी विवेक जोशी नये चुनाव आयुक्त होंगे। नये मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कानपुर आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद आईसीएफएआई में बिजनेस फाइनेंस और अमेरिका के हावर्ड विश्वविद्यालय के एचआईआईडी में पर्यावरण अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है। ज्ञानेश कुमार की पहली परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होने वाली है। उम्मीद है कि किसी राजनीतिक दल को शिकायत का मौका नही मिलेगा।
निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को 17 फरवरी को नया मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया है। कुमार निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। ज्ञानेश कुमार केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और राजीव कुमार के नेतृत्व वाले तीन सदस्यीय पैनल में दो अन्य आयुक्तों से वरिष्ठ हैं। इस प्रकार 26वें सीईसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ज्ञानेश कुमार इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनावों और 2026 में केरल और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों की देखरेख करेंगे। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा चुनावों की देखरेख करेंगे, जो 2026 में होने वाले हैं। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा, जिसके कुछ दिन बाद निर्वाचन आयोग अगले लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।
ज्ञानेश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त किये जाने के बाद निर्णय को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 15 मार्च, 2024 को निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने केरल सरकार में एर्नाकुलम के सहायक जिलाधिकारी, अदूर के उपजिलाधिकारी, एससी/एसटी के लिए केरल राज्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक, कोचीन निगम के नगर आयुक्त के अलावा अन्य पदों पर भी काम किया है। केरल सरकार के सचिव के रूप में कुमार ने वित्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं और लोक निर्माण विभाग जैसे विविध विभागों को संभाला। भारत सरकार में उन्हें रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में काम करने का समृद्ध अनुभव है।
ध्यान रहे दिसंबर 2023 में लागू हुए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त की यह पहली नियुक्ति है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा करने के बाद ज्ञानेश कुमार ने आईसीएफएआई, भारत में बिजनेस फाइनेंस और एचआईआईडी, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका में पर्यावरण अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है। केरल सरकार के सचिव के रूप में, कुमार ने वित्त संसाधन, फास्ट-ट्रैक परियोजनाओं और सार्वजनिक निर्माण विभाग जैसे विभिन्न विभागों को संभाला। भारत सरकार में उनके पास रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में काम करने का समृद्ध अनुभव है।
चुनाव आयोग को लेकर विपक्षी दल अक्सर शिकायत करते रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर उपचुनाव के बाद निर्वाचन आयोग को लेकर टिप्पणी की थी। अब उस पर वह फंसते नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने सपा चीफ से माफी की मांग की है। डुमरियागंज सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि जब चुनाव जीतते हैं तब वही चुनाव आयोग सही होता है और जब हारने लगते हैं तो सवाल उठने लगते हैं अखिलेश यादव को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने अखिलेश को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए। जब चुनाव जीतते हैं, तब ठीक है। वहीं भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि मिल्कीपुर में हार की हताशा में सपा ने झूठ फैलाए। अखिलेश यादव प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स के चैंपियन बन गए झूठे ऑडियो वीडियो और फोटो के द्वारा हार की हताशा मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। परिणाम के बाद ईवीएम पर भी ठीकरा फोड़ेंगे।
अखिलेश यादव ने कहा था कि मैं चुनाव आयोग से नाराज नहीं हूं, मिल्कीपुर का चुनाव अलग चुनाव होने जा रहा है, ये मैंने कई बार कहा है। हमारे लोतकतंत्र में किस तरह से मतदान होता है मैं उन्हें दिखाना चाहता था, मैं विदेशी मीडिया को भी दिखाना चाहता था। अगर मेरे पास सफेद कपड़ा होता तो मैं चुनाव आयोग पर चढा देता। वहां के एसएसपी को लगातार निर्देश दिए जा रहे थे, चुनाव कराने वाले जिम्मेदार लोग कौन हैं, एसएसपी अयोध्या। उसने कार्यकर्ता को न सिर्फ गाली गलौच की बल्कि मारने की धमकी दी। पुलिस वाले ने प्रदीप यादव की पिटाई की। जब दवाब पड़ा है तो वह छुट्टी पर भाग गया है। मिल्कीपुर में चुनाव निष्पक्ष नहीं हुआ है। ये वोट का अधिकार भी छीनना चाहते हैं।
इसी प्रकार हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद जयराम रमेश समेत कई पार्टी नेताओं इसे अस्वीकार्य बताया था। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े किए। इसी के बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि कांग्रेस नेताओं ने जिस तरह के बयान दिए वो लोकतांत्रिक व्यवस्था में कभी नहीं सुने गए। वहीं कांग्रेस के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बैठक के लिए बुलाया गया। बैठक के बाद कांग्रेस नेताओं ने बताया कि हमने चुनाव आयोग के सामने अपनी बातें रख दी हैं। 20 शिकायतें हमारे पास थीं। हम बाकी शिकायतें भी उनके सामने रखेंगे। चुनाव आयोग ने हमें आश्वासन दिया है कि वह इनके जवाब देंगे। चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, अजय माकन, जयराम रमेश, भूपिंदर सिंह हुड्डा और पार्टी के अन्य नेताओं ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। हमने चुनाव आयोग को हर बात से अवगत कराया। करीब 20 शिकायतें जो हमारे पास
आई थीं उसमें से 7 लिखित शिकायतों
में ऐसी मशीनें थीं जो वोटिंग के दिन
99 फीसदी बैटरी दिखा रही थीं। अन्य सामान्य मशीनें 60-70 फीसदी दिखा रही थीं। इसे हमने चुनाव आयोग को अवगत कराया। इस प्रकार की शिकायतें होती रही हैं लेकिन स्वस्थ लोकतंत्र के लिए इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता। (हिफी)

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