लेखक की कलम

विद्रूप समाज का घिनौना चेहरा

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के लिए कठोरतम सजा देने वाले कानून के बावजूद रेप की वारदातों में इजाफा जारी है। हाल ही में केरल की 18 वर्षीय एथलीट के साथ यौन शोषण का ऐसा मामला सामने आया है जिसने
इंसानी चेहरे के पीछे छिपे कामुक
पाशविक दरिंदों के चेहरे को बेनकाब कर दिया है। इस पीड़िता एथलीट
द्वारा केरल के इलावुमथिट्टा में 62 लोगों पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप ने पूरे देश को दहला दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और 44 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है,
लेकिन चौंकाने वाली जानकारी से पता चला है कि लड़की, जो उस समय नाबालिग थी, के साथ दुर्व्यवहार की शुरुआत उसके बचपन के दोस्त ने ही की थी।
इस बेहद शर्मनाक मामले की रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 58 लोगों में से 44 लोग उस दलित बस्ती से थे, जहां पीड़िता रहती थी और आस-पास के इलाकों से थे। खुलासे के बाद, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत चार पुलिस स्टेशनों में 29 अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं।
इस दुर्व्यवहार मामले के बारे में चौंकाने वाले विवरण का खुलासा करते हुए बताया गया है कि सबसे पहले गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक सुबिन था जिसने कथित तौर पर दुर्व्यवहार की शुरुआत की थी जब पीड़िता केवल 13 वर्ष की थी। बताया गया है कि सुबिन पीड़िता का बचपन का दोस्त था और उनके घर पास में ही थे।सुबिन ने कथित तौर पर पीड़िता का यौन शोषण किया और उसकी तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए, जिसका इस्तेमाल उसने पीड़िता को अपने दोस्त के लिए यौन संबंध बनाने के लिए धमकाते हुए किया। इसके बाद सुबिन ने कथित तौर पर दो और लोगों को बुलाया, जिन्होंने किशोरी का और शोषण किया। सिलसिला अगले कुछ सालों तक जारी रहा, क्योंकि पीड़िता की तस्वीरें पुरुषों और नाबालिग लड़कों के अलग-अलग समूहों में फैल गईं। गिरफ्तार किए गए लोगों में स्कूल
के उसके सहपाठी भी शामिल थे।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में ड्राइवर, दिहाड़ी मजदूर और आस-पास के घरों के ज्यादातर पुरुष शामिल हैं जिनमें से कुछ तो शादीशुदा भी थे।
आगे की जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों में चार नाबालिग हैं और दो अन्य जो अपराध के समय नाबालिग थे। उनमें से कई ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए उससे संपर्क किया। पीड़िता ने यह भी बताया कि कई बार इस दुर्व्यवहार में कई पुरुष शामिल थे। बाद में सामूहिक बलात्कार के लिए एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि आरोपियों में से एक इलावुमथिट्टा से 100 किलोमीटर से अधिक दूर तिरुवनंतपुरम का निवासी है, जबकि दो अन्य अब देश से बाहर हैं। इस बीच, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) और पुलिस मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि पीड़िता को आवश्यक सहायता और सुरक्षा दी जाए।
ये बेहद शर्मसार करने वाला मामला दिसंबर में सामने आया जब पीड़िता ने अपने कॉलेज में स्नेहिता द्वारा जागरूकता अभियान के बाद अपने अनुभव का खुलासा किया। स्नेहिता राज्य सरकार द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण नेटवर्क कुदुम्बश्री की एक पहल है। कथित तौर पर, पीड़िता ने सबसे पहले उस संस्थान की एक शिक्षिका से बात की, जहां वह पढ़ती है। फिर शिक्षिका ने स्नेहिता में एक परामर्शदाता के पास उसका मामला उठाया, जिसने फिर बाल कल्याण समिति को सूचित किया।
पथनमथिट्टा में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, अधिवक्ता एन राजीव के अनुसार समाज में बदनामी और पीडित बच्ची के भविष्य की चिंता में पहले तो पीड़िता की मां परेशान थी और उसे आगे की काउंसलिंग के लिए केंद्र में जाने देने के लिए अनिच्छुक थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता को इस बारे में पता चले।
पुलिस के अनुसार, अब तक की जांच में सामने आया है कि पथनमथिट्टा के एक निजी बस स्टैंड पर कई आरोपियों ने लड़की से मुलाकात की थी। इसके बाद उसे वाहनों में अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया और उसका उत्पीड़न किया गया। जांच में यह भी पाया गया कि पिछले साल जब लड़की 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तो उसे इंस्टाग्राम के जरिए जानने वाला एक युवक रन्नी स्थित रबर के एक बागान में ले गया, जहां उसने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर दुष्कर्म किया।
केडब्ल्यूसी ने विज्ञप्ति में बताया, शिकायत में कहा गया कि एथलीट लड़की का 62 लोगों ने यौन उत्पीड़न किया। 13 साल की उम्र से ही उसके साथ दुष्कर्म किया जा रहा था। यह भी पाया गया कि स्कूल और खेल प्रशिक्षण शिविर में उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, प्रारंभिक जांच से पता चला कि स्कूल स्तर की एथलेटिक प्रशिक्षण में भाग लेने वाली लड़की के साथ खेल प्रशिक्षकों, साथी एथलीटों और अन्य लोगों ने दुर्व्यवहार किया। सूत्रों ने बताया कि जांच अब दुर्व्यवहार में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाने पर केंद्रित है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस नई प्राथमिकियों और गिरफ्तारियों का ब्योरा पथनमथिट्टा बाल कल्याण समिति को सौंपेगी।
पीड़िता के बयान के अनुसार, 13 साल की उम्र में उसके पड़ोसी ने पहली बार उससे दुष्कर्म किया था, जिसके
बाद 62 लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया।
पुलिस के मुताबिक जांच से पता चला है कि उसके साथ कम से कम पांच बार सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जिसमें कार के अंदर और जनवरी 2024 में पथनमथिट्टा जनरल अस्पताल में हुई घटनाएं भी शामिल हैं। जांच के लिए जिला पुलिस प्रमुख वी। जी विनोद कुमार की निगरानी में पथनमथिट्टा के पुलिस उपाधीक्षक पी।एस। नंदकुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग रखी हालांकि अभी भी कई आरोपित फरार है। आयोग ने अधिकारियों से तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है और न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष व समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने को कहा है। केरल महिला आयोग ने स्वतः मामला दर्ज किया और आयोग की अध्यक्ष पी। सती देवी ने पथनमथिट्टा के पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह मामला बाल कल्याण समिति की ओर से आयोजित परामर्श के दौरान सामने आया, जब एक शैक्षणिक संस्थान में पीड़िता के शिक्षकों ने समिति को उसके व्यवहार में आए महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में बताया। इसके बाद समिति ने पुलिस को सूचित किया और जांच करने के लिए पथनमथिट्टा के पुलिस उपाधीक्षक की अध्यक्षता में विशेष जांच दल का गठन किया गया।
यह मामला समाज का एक ऐसा विद्रूप घिनौना चेहरा सामने लाया है जिस की कल्पना से ही दिल दिमाग सिहर उठता है। वहीं खेल के पीछे चलने वाले घिनौने खेल की हकीकत को भी बयान करता है। (हिफी)

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