मायावती का पार्टी प्रबंधन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपनी पार्टी प्रबंधन में बदलाव किया है। इससे पहले उन्होंने पार्टी को युवा तेवर देने के लिए अपने भतीजे आकाश आनंद को सभी अधिकार दे दिये थे। आकाश आनंद बसपा के राष्ट्रीय कोआर्डिनेट थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके तेवर की लोगों ने सराहना भी की थी। हालांकि उनके विवादास्पद बयानों के चलते पहले अधिकारों में कटौती की गयी और अब आकाश को बसपा के सभी पदों से हटाने के साथ पार्टी से उन्हें निकाल दिया गया है। आकाश ने इसके पहले बहुत ही भावुक होकर बयान दिया था। उन्होंने अपने को पार्टी का एक निष्ठावान सिपाही बताया और कहा आदरणीय बहन मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी से सभी पदों से मुक्त करने का निर्णय मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक है लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है। वह कहते हैं परीक्षा कठिन है और लड़ाई लम्बी है। ऐसे कठिन समय में धैर्य और संकल्प ही सच्चे साथी होते हैं। ध्यान रहे कि इससे पहले आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को सभी पदें से मुक्त किया गया था और उन पर पार्टी में गुटबंदी करने का आरोप लगा था। अब आकाश आनंद के पिता अर्थात मायावती के भाई आनंद कुमार और रामजी गौतम को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाया गया है। मायावती ने यह भी कहा है कि मेरे जीते जी पार्टी में मेरा उत्तराधिकारी नहीं होगा। आगामी 15 मार्च को बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती मनायी जाएगी। उस समय तक मायावती की पार्टी को लेकर रणनीति बदल भी सकती है।
बसपा प्रमुख मायावती ने गत 2 मार्च को लखनऊ में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक को लेकर पहले से कहा जा रहा था कि मायावती चौंकाने वाली घोषणा कर सकती हैं। यही हुआ, मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने की घोषणा कर एक कड़े फैसले का संकेत दिया लेकिन उनके पिता आनंद कुमार को बड़ी जिम्मेदारी दे दी। अगले दिन आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस प्रकार भतीजे, समधी और भाई के चक्रव्यूह से बसपा प्रमुख मुक्त नहीं हो पा रही है। आकाश आनंद भी पत्ते नहीं खोल रहे। मायावती ने जब आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने का ऐलान किया था। इसके बाद इस पर आकाश आनंद का पहला बयान सामने आया। आकाश आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। अपनी पोस्ट में आकाश आनंद ने कहा कि बहन जी का हर फैसला उनके लिए पत्थर की लकगीर है और वह मायावती के हर फैसले का सम्मान करते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, मैं परमपूज्य आदरणीय बहन कु. मायावती जी का कैडर हूं, और उनके नेतृत्व में मैने त्याग, निष्ठा और समर्पण के कभी न भूलने वाले सबक सीखे हैं, ये सब मेरे लिए केवल एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य हैं। आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर के समान है, मैं उनके हर फैसले का सम्मान करता हूं उस फैसले के साथ खड़ा हूं। उन्होंने लिखा, बहन मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का निर्णय मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक है, लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है। ऐसे कठिन समय में धैर्य और संकल्प ही सच्चे साथी होते हैं। बहुजन मिशन और मूवमेंट के एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह, मैं पार्टी और मिशन के लिए पूरी निष्ठा से काम करता रहूंगा और अपनी आखिरी सांस तक अपने समाज के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा। कुछ विरोधी दल के लोग ये सोच रहे हैं कि पार्टी के इस फैसले से मेरा राजनीतिक करियर समाप्त हो गया, उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन मूवमेंट कोई करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलित, शोषित, वंचित और गरीबों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई है। यह एक विचार है, एक आंदोलन है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए लाखों आकाश आनंद हमेशा तैयार हैं। इसके बाद भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर कर दिया है।
बसपा सुप्रीमो ने आगे किसी राजनीतिक परिवार से रिश्ता नहीं जोड़ने का भी फैसला किया है। बसपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में दो नेशनल कॉर्डिनेटर बनाए गए हैं। इनमें एक मायावती के भाई आनंद कुमार हैं तो दूसरे रामजी गौतम हैं। बसपा अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो 2014 के बाद से बसपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इसी वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया। हालांकि चुनाव के दौरान ही मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताया और हटा भी दिया। चुनाव खत्म होने के बाद फिर उन्हें नेशनल कॉर्डिटनेटर बना दिया गया। अब आकाश आनंद को पार्टी से बाहर करना उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ से जोड़कर देखा जा रहा है। मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पिछले महीने पार्टी से निष्कासित किये जाने के बाद यह कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि मायावती को ऐसा लगता है कि आकाश आनंद शादी के बाद से ही अपने ससुर, अपनी पत्नी और अपने ससुराल पक्ष के ज्यादा प्रभाव में हैं। बसपा खुद को एक आंदोलन बताती है और उस मूवमेंट में आकाश आनंद उस तन्मयता से नहीं लग पा रहे हैं, जिस तन्मयता से वो अपने ससुराल पक्ष के काम में लगे हुए हैं। शायद यही वजह है कि मायावती आकाश आनंद से नाराज हैं।
आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। वह राज्यसभा में रहे और उन्हें बसपा के कई राज्यों का प्रभारी भी बनाया गया था। हालांकि एक दिन जिस तरह से मायावती ने उन्हें हटाया, वो देखकर लगा कि वह उनसे काफी नाराज हैं। अशोक सिद्धार्थ पर फैसला हुआ था, तभी से इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि आकाश आनंद पर भी कोई कार्रवाई को सकती है, जो अब हो चुकी है। मायावती ने दो बड़ी घोषणाएं की हैं, एक उत्तराधिकारी को लेकर और दूसरा राजनीतिक परिवारों में वो किसी तरह की रिश्तेदारी नहीं करेंगी। आकाश आनंद का अशोक सिद्धार्थ के एक राजनीतिक परिवार में रिश्ता किया गया था। ऐसे में दोनों घोषणाओं को अशोक सिद्धार्थ और आकाश आनंद से जोड़कर के देखा जा रहा है।
आकाश आनंद लोकसभा चुनाव के दौरान जिस आक्रामकता के साथ प्रचार करते नजर आए थे, उससे ऐसा लगा था कि पार्टी में अब चेहरा आकाश आनंद ही बचे हैं। हालांकि एक युवा और आक्रामक नेता होने के बावजूद पार्टी को चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ।
अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी में मायावती और उनके भतीजे ईशान आनंद नहीं पहुंचे, लेकिन आकाश सिद्धार्थ शामिल हुए। करीबी पीयूष ने मायावती के मुकाबले में आकाश आनंद को प्रोजेक्ट करना शुरू किया। रामजी गौतम और सतीश चंद्र मिश्र जैसे वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की गई। बसपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में यह तय किया गया कि पार्टी मजबूती से पहले अपने संगठन को ठीक करेगी और वोट बैंक तक पहुंचेगी। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाला विधानसभा चुनाव कहीं न कहीं बसपा के राजनीतिक भविष्य का तय करने वाला चुनाव होगा। (हिफी)