ट्रम्प व टैरिफ से नहीं डरेगा भारत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ की 25 फीसद बढ़ोत्तरी कर दी है। इस प्रकार भारत के लिए अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ 50 फीसदी हो गया है जो इस समय उच्च स्तर पर है। ब्राजील पर अब तक सबसे ज्यादा टैरिफ था। अब भारत भी उसी आंकड़े पर आ गया है। तीसरे स्थान पर स्टिजरलैण्ड और म्यांमार हैं जिन पर 40-40 फीसद टैरिफ अमेरिका ने लगाया है। मजेदार बात यह कि चीन खुलेआम ट्रम्प को चुनौती देता है कि हम हर काम अमेरिका से पूछकर नहीं करेंगे लेकिन उस पर टैरिफ बढ़ाने से ट्रम्प हिचक रहे हैं। भारत के बारे में अमेरिका को गलतफहमी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रम्प को कई बार याद दिलाया कि वे आपरेशन सिंदूर पर सुलह कराने की शेखी न बघारें। भारत ने पाकिस्तान के रक्षामंत्री के गिड़गिड़ाने पर आपरेशन सिंदूर सिर्फ स्थगित किया है। अब टैरिफ के मामले में भी भारत न डरेगा, न दबेगा। हमारे सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर पहुंच गये हैं और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी वहां जाएंगे। अमेरिका को अपने बयान याद रखने चाहिए क्योंकि यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका ने ही भारत से कहा था कि वो रूस से तेल खरीदे ताकि अन्तरराष्ट्रीय तेल बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत उसी नीति पर चल रहा है, तब ट्रम्प कहते हैं कि भारत रूस से तेल खरीद कर इसे खुले बाजार में बेचता है और भारी मुनाफा कमा रहा है। अमेरिका ने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूस से तेल खरीद कर यूक्रेन के खिलाफ रूस की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा है। ट्रम्प का यह आर्थिक ब्लैकमेल है। इसीलिए भारत ने अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के फैसले को अनुचित तथा अविवेकपूर्ण बताया। हमारे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा कि भारत रूस से जो तेल आयात करता है, उसका उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना है। ट्रम्प के फैसले के बाद भारत अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देश जो हमले कर रहे हैं, वो गलत है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका ने ही भारत से कहा था कि वो रूस से तेल खरीदे, ताकि अन्तरराष्ट्रीय तेल बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत ने कहा है कि यूरोपीय देश भी रूस से अरबों डॉलर का व्यापार कर रहे हैं, ऐसे में सिर्फ भारत को निशाना बनाना ठीक नहीं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते सिर्फ तेल और हथियारों तक सीमित नहीं, दोनों देशों के बीच खाद से लेकर रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और माइनिंग प्रोडक्ट्स तक कई सैक्टर में व्यापार होता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि खुद अमेरिका भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए सामान खरीद रहा है, खाद और रसायन मंगा रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जिस तरह यूरोप और अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से चल रहे हैं, उसी तरह भारत भी किसी के दबाव में आए वगैर अपने राष्ट्रहित को देखते हुए फैसला करेगा। ट्रंप भारत को रूस के तेल खरीदने पर धमकी दे रहे हैं, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन प्रत्याशी रह चुकी निक्की हेली ने ट्रंप से पूछा कि जो चीन रूस और ईरान से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है, उसको ट्रंप ने 90 दिन की मोहलत क्यों दी? फिर निक्की हेली ने ट्रंप को सलाह दी कि चीन को मोहलत मत दो, और भारत जैसे मजबूत मित्र देश से संबंध खराब मत करो।
यह सच है कि ट्रंप पक्के ट्रेडर हैं। उनके लिए न रिश्तों का कोई महत्व है, न दोस्ती का। इलोन मस्क इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। मस्क ने चुनाव के दौरान ट्रंप की हर तरह से मदद की- पैसे से भी, मीडिया से भी, और कम्पैन में भी, लेकिन जरा-सी खटपट हुई तो ट्रंप ने उन्हें वापस साउथ अफ्रीका भेजने की धमकी दे दी।
ये ट्रंप का तरीका है। जो उनके हिसाब से कारोबार नहीं करेगा, टैरिफ नहीं घटाएगा, वो उस पर इल्जाम लगाएंगे, उसको धमकाएंगे, लेकिन अगर कोई अपनी बात पर अड़ा रहे, तो फिर ट्रंप समझौता भी करते हैं। यही एक टेªडर की पहचान होती है।
दूसरी तरफ दुनिया में भर में टैरिफ वार छेड़ने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के 6 महीने के अंदर ही उत्तराधिकारी की घोषणा करके हड़कंप मचा दिया है। ट्रंप ने अपने सबसे भरोसेमंद साथी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को अपना उत्तराधिकारी अभी से घोषित कर दिया दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, उपराष्ट्रपति वेंस उनके ‘सबसे संभावित’ उत्तराधिकारी हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस उनके मेक अमेरिका ग्रेट अगेन आंदोलन के “सबसे संभावित” उत्तराधिकारी हो सकते हैं, जबकि विदेश मंत्री मार्को रुबियो भी “किसी न किसी रूप में” उनके साथ जुड़ सकते हैं। हालांकि छह महीने पहले पद संभालने वाले ट्रम्प ने कहा कि उत्तराधिकारियों के बारे में बात करना “बहुत जल्दी” है, लेकिन वेंस निश्चित रूप से “बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और इस समय वे शायद सबसे पसंदीदा हैं।
वेंस के साथी के रूप में अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो हो सकते हैं। वह उपराष्ट्रपति के तौर पर वेंस के साथ जुड़ सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि रुबियो भी “किसी न किसी रूप में जेडी के साथ जुड़ सकते हैं।” ट्रम्प ने पहले 2028 के उत्तराधिकारी के लिए किसी भी समर्थन से इनकार किया था। फरवरी में ट्रम्प ने कहा था कि वेंस “बहुत सक्षम” हैं, लेकिन उन्हें प्रमुख उम्मीदवार के रूप में नामित करना अभी “बहुत जल्दी” है। यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने वेंस को संभावित उत्तराधिकारी के रूप में संकेत दिया है। ट्रम्प ने मई में वेंस और रुबियो दोनों को संभावित उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था।
उधर, रूस के साथ जारी जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बड़ा बयान दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि रूस युद्ध विराम के लिए ज्यादा इच्छुक लग रहा है। उन्होंने कहा कि संभावित समझौते को लेकर यूक्रेन और अमेरिका को मॉस्को के बहकावे में नहीं आना चाहिए। जेलेंस्की ने कहा, यूक्रेन निश्चित रूप से अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करेगा। हम सभी को एक स्थायी और विश्वसनीय शांति की जरूरत है। रूस को उस युद्ध को समाप्त करना होगा जो उसने खुद शुरू किया है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनके विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बैठक में काफी प्रगति हुई है। ट्रंप ने इस मामले पर कोई विशेष जानकारी नहीं दी है। इसलिए ट्रम्प को टैरिफ के मामले में गंभीरता से सोचना होगा। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)