
पहाड़ की सेहत से खिलवाड़
देवभूमि उत्तराखंड पर एक बार फिर से कुदरत का कहर बरपा है। मानव द्वारा निर्मित विकास की अवधारणा देश ही नहीं दुनिया भर में इंसानों और अन्य जीवों के लिए महंगी साबित हो रही है। इंसानी दिमाग द्वारा प्रकृति के मनमाने उपयोग करने की मानसिकता और पर्यावरण से छेड़छाड़ के चलते प्रकृति में आ रहे बदलावों के कारण पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विनाशकारी नतीजे सामने आ रहे हैं। हालत यह है कि आए दिन दुनिया में कहीं न कहीं भूकंप, भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन आदि के परिणामस्वरूप तबाही हो रही है।
आपको बता दें कि 30 जुलाई, 2025 को रूस में 73 वर्ष बाद 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया जो दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप था। इसके बाद 31 जुलाई, 1 अगस्त तथा 2 अगस्त को भी रूस में भूकंपों के झटके महसूस किए गए। रूस के कामचटका में 600 वर्ष बाद 1856 मीटर ऊंचे क्रशेनिनिको ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद 6000 मीटर की ऊंचाई तक राख का गुबार फैल गया। इसी दौरान 1 अगस्त से 5 अगस्त के बीच पापुआ न्यू गिनी, जापान, इंडोनेशिया तथा जापान के कुरील द्वीप समूह, न्यूयार्क, पाकिस्तान, चीन, मैक्सिको, म्यांमार, अलास्का, किर्गिस्तान, ईरान, चिली, टोंगा तथा भारत के अनेक राज्यों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
इस बीच उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में भी प्रकृति का प्रकोप जारी है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को बादल फटने के कारण गंगोत्री के पहाड़ों से बहने वाली खीरगंगा नदी में आई बाढ़ ने पूरे के पूरे ‘धराली’ गांव का अस्तित्व समाप्त कर दिया। हालांकि अभी सही आंकड़े सरकार ने नहीं दिया है लेकिन भारी तादाद में जनहानि होने की संभावना है। सैकड़ों लोग लापता हैं।
आपकों बता दें कि मात्र 34 सैकेंड में आई इस प्रलयंकारी बाढ़ के कारण अनेक मकान और होटल पत्तों की तरह बह गए और इसमें 10 लोगों के मारे जाने तथा 11 जवानों समेत 100 से अधिक लोगों के लापता होने की खबर है। इस आपदा के कारण धराली स्थित 1500 वर्ष पुराना श्कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दब गया।
आपकों ध्यान रहे कि 5 अगस्त मंगलवार की दोपहर को धराली, मुखवा और हर्षिल इलाकों में बादल फटने की घटनाएं हुईं। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, सिर्फ कुछ ही सेकंड में ही खीर गंगा नदी उफान पर आ गई और अपने साथ पहाड़ों से मलबा लेकर आई। तेज बहाव ने धराली का बाजार, होटल और आसपास के कई मकानों को अपनी चपेट में ले लिया। करीब 30 फीट तक मलबा जम गया है, जिससे इलाके में कई लोग फंसे हुए हैं। आपदा के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इनमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे लोग इधर-उधर भाग रहे हैं, चीख-पुकार मची हुई है और पानी व मलबे के बहाव से जान बचाने की कोशिश की जा रही है। कुछ लोग दूर से वीडियो बनाते हुए भी अन्य लोगों को चिल्लाकर बचने के लिए सावधान कर रहे थे।
धराली के अलावा हर्षिल और सुक्की गांवों में भी बादल फटने की घटनाएं हुईं। हर्षिल क्षेत्र में सेना की एक टुकड़ी तैनात थी, जिसमें से 8 से 10 जवानों के लापता होने की खबर है। राहत दल के मुताबिक, इस क्षेत्र में भारी मलबा जमा है और लगातार बारिश के कारण राहत कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं।
जहां तक हिमाचल प्रदेश का संबंध है, इस मानसून सीजन में 6 अगस्त सुबह तक फ्लैश फ्लड की 55, बादल फटने की 28 और भूस्खलन की 48 घटनाएं हो चुकी हैं। अब तक प्रदेश में 1738 मकानों को नुक्सान पहुंचा है तथा कुल 1852 करोड़ रुपए की सम्पत्ति का नुक्सान हो चुका है।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में पिछले कुछ वर्षों से बादल फटने, लैंडस्लाइड और अतिवृष्टि की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। जलवायु परिवर्तन और असंतुलित निर्माण कार्यों को इसकी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। फिलहाल धराली और आसपास के क्षेत्रों में स्थिति बेहद नाजुक है। राहत कार्य जारी है, लेकिन समय के साथ ही सामने आ सकेगा कि इस भीषण हादसे में कुल कितना नुकसान हुआ है।
दरअसल संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यावरण नियमों के विपरीत सुरंगें खोदने, सड़कें बनाने व उन्हें चैड़ी करने के लिए पहाड़ी ढलानों की कटाई आदि से भूस्खलन, जमीन धंसने, अवैध निर्माण व इमारतों के गिरने की घटनाएं हो रही हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार 20वीं सदी की शुरूआत से ही ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि खतरे का संकेत है। पर्यावरण में परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में प्रकृति कहर बरपा रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार अभी हाल ही में 31 जुलाई को अमरीका में तेज तूफान और भारी वर्षा से बाढ़ आ जाने के कारण न्यूयार्क शहर और न्यूजर्सी में एमरजैंसी घोषित कर दी गई।
31 जुलाई को ही नेपाल में मानसून जनित आपदाओं में 43 लोगों की मौत और 116 अन्य के घायल होने की जानकारी सरकार ने दी 2 अगस्त को वियतनाम के डिएन बिएन प्रांत में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से 8 लोगों की मौत तथा अनेक घायल हो गए।
4 अगस्त को अदन में खराब मौसम और तेज हवाओं के कारण नदी में एक नौका पलट जाने से 68 लोगों की डूब कर मौत हो गई।
4 अगस्त को ही मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्य में वर्षा से खराब होते हालात के बीच 275 लोगों की जान जा चुकी है। 5 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्य में बाढ़ के परिणामस्वरूप 40 लोगों की मौत हो गई। 6 अगस्त को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में भूस्खलन से 2 महिलाओं की मृत्यु हो गई जबकि थलीसैण में बाढ़ में 5 नेपाली मजदूर बह गए।पाकिस्तान में भारी वर्षा और अचानक आई बाढ़ के परिणामस्वरूप 234 से अधिक लोगों की मृत्यु होने का समाचार है।
शायद ऐसे घटनाक्रमों से प्रकृति समूचे विश्व को चेतावनी दे रही है कि अब भी संभल जाओ और मुझसे छेड़छाड़ करना बंद कर दो, वर्ना तुम्हें वर्तमान से भी अधिक विनाशलीला देखने को मिलेगी।
यहां यह भी जान लीजिए कि 2023 और 2024 में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की दर्जनों घटनाएं हुई जिनमें सैकड़ों लोगों की जानें गई और अरबों की संपत्ति नष्ट हुई। इसी साल 20 जून से 6 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश में 19 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई, जिससे 78 लोगों की मौत हुई। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा। 26 जून को कांगड़ा में बादल फटने से पांच लोगों की मौत हुई। कुलू के बंजर, गड्सा, मणिकरण और सैंज क्षेत्रों में बादल फटने की चार घटनाएं हुई। 1 जुलाई को मंडी के करसोग, धर्मपुर, मंडी सदर, नाचन, और सराज क्षेत्रों में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ। इस साल 20 अप्रैल 2025 को रामबन तहसील में बादल फटने से तीन लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग लोगों को बचाया गया। यदि हम अभी भी नही चेते तो परिणाम और अधिक भयावह हो सकता है। हमें समय रहते प्रकृति की संवेदनशीलता को समझने की जरूरत है। सरकार को पहाड़ पर पर्यटन उद्योग को एक मात्र राजस्व और विकास का माध्यम नहीं मानना चाहिए और कुछ अन्य साधन विकसित करने चाहिए। (मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)