लेखक की कलम

नकल माफियाओं पर धामी की नकेल

प्रतियोगी परीक्षाएं हों अथवा शिक्षा बोर्ड, इन में नकल एक बड़ी समस्या बन गयी है। उत्तराखंड मंे कुछ दिनों पहले ही यूके एसएसएससी पटवारी परीक्षा सम्पन्न हुई थी। इसका परीक्षा पेपर बाहर आ गया। पुलिस ने तत्परता दिखाकर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल माफियाओं पर नकेल कसने की रणनीति बना ली है। उन्होंने इसे नकल जिहाद का नाम दिया है। धामी सरकार नकल जिहादियों पर बहुत कड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रही हैं। प्रदेश भाजपा की संगठनात्मक बैठक में इस विषय पर गंभीरता से चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नकल माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। सरकार उन कोचिंग संस्थाओं पर सबसे पहले कार्रवाई करेगी जहां नकल माफिया सक्रिय हैं। कुछ कोचिंग संस्थान नकल जिहाद के अड्डे बन गये हैं।
उत्तराखंड यूकेएसएसएससी पटवारी परीक्षा पेपर वायरल केस में आखिरकार पुलिस ने सफलता हासिल कर ली है। तीन दिन से फरार चल रहे मुख्य आरोपी खालिद को हरिद्वार पुलिस की एसओजी टीम ने लक्सर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद देहरादून पुलिस भी हरिद्वार पहुंची और आरोपी खालिद को अपने साथ लेकर देहरादून रवाना हो गई। अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के बाद पूरे मामले का सच सामने आएगा। खालिद पुलिस को लगातार लोकेशन बदलकर गुमराह कर रहा था। एसओजी टीम उसकी तलाश में लगातार जुटी हुई थी और आखिरकार उसे पकड़ लिया गया। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब इस केस के कई राज खुलने की उम्मीद है।
धामी सरकार का बुलडोजर अब लैंड जिहाद पर चल चुका है, लेकिन अब सरकार की तैयारी उन लोगों पर एक्शन लेने की है, जो प्रदेश में नकल माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।
पता चला है कि खालिद आईफोन 12 मिनी जैसे स्लिम फोन का इस्तेमाल कर परीक्षा केंद्र में पहुंचा। मेन गेट से प्रवेश करने के बजाय उसने बाउंड्री कूदकर अंदर घुसने की कोशिश की। खालिद परीक्षा के दौरान टॉयलेट गया और वहीं से प्रश्न पत्र की फोटो खींचकर अपनी बहन हीना को भेज दी। इसके बाद हीना ने यह प्रश्न पत्र टिहरी जिले के एक डिग्री कॉलेज में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर को सॉल्व करने के लिए भेज दिया। इसी दौरान मामला उजागर हो गया और पुलिस की जांच शुरू हुई। अब पुलिस और एग्जाम सेंटर प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। जिस तरह से आरोपी मोबाइल लेकर अंदर पहुंचा और बाउंड्री कूदकर सेंटर में घुसा, उसने सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है। एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला किसी संगठित पेपर लीक गैंग का नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर की गई चीटिंग का लग रहा है। हालांकि, पुलिस आरोपी खालिद और उससे जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है ताकि यह साफ हो सके कि कहीं इसमें और लोग भी शामिल तो नहीं थे। पुष्कर सिंह धामी सरकार नकल जिहाद फैलाने वालों पर एक्शन लेगी। यानी अब उन कोचिंग इंस्टिट्यूट पर एक्शन लेने की तैयारी है, जहां नकल माफिया सक्रिय है। बीजेपी की संगठनात्मक बैठक में सरकार ने अपना आगे का एजेंडा तय कर लिया। खुद सीएम धामी ने कहा है कि नकल माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। नकल जिहाद के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
दरअसल, 22 सितम्बर को यूके एसएसएससी एग्जाम के दौरान हरिद्वार के एक सेंटर से एग्जाम पेपर के कुछ पन्ने बाहर आने पर अब तक अलग-अलग तरह की बातें निकलकर सामने आ रही थीं, लेकिन 24 सितम्बर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे प्रकरण पर बड़ा बयान लेते हुए इसे नकल जिहाद बता दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोचिंग माफिया और नकल माफिया एक साथ मिलकर प्रदेश में नकल जिहाद फैलाने की साजिश रच रहे हैं। छात्रों के भविष्य के साथ कुछ लोग खिलवाड़ कर रहे हैं। उन जिहादियों को सरकार मिट्टी में मिलाने का काम करेगी। यानी अब उन कोचिंग माफियाओं के खिलाफ सरकार एक्शन लेने जा रही है, जिनके प्रदेश में कोचिंग इंस्टिट्यूट चल रहे हैं, लेकिन वहां क्या कुछ हो रहा है इसकी परतें खंगाली जाएंगी। प्रदेश में जिहादी तत्व के लोग माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन पर सरकार एक्शन लेगी।
इस प्रकार एक बार फिर से उत्तराखंड में सरकारी परीक्षा में पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। पेपर लीक होने का दावा उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने किया है। बेरोजगार संघ का कहना है कि 21 सितंबर को ग्रेजुएशन की परीक्षा जिसमें असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर पटवारी लेखपाल ग्राम विकास पंचायत अधिकारी समेत ग्रेजुएट लेवल के कई पदों के लिए परीक्षा होनी थी। सरकारी परीक्षा का पेपर सुबह 11 बजे शुरू हुआ और सिर्फ 35 मिनट बाद एग्जाम सेंटर से बाहर लीक हो गया।हालांकि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूके एसएससी) जो सरकारी परीक्षाएं आयोजित करता है उसका दावा है कि पेपर लीक नहीं हुआ है बल्कि पेपर के तीन सवाल ही बाहर आये हैं। यह दावा किसी और ने नहीं बल्कि आयोग के अध्यक्ष ने किया है।
बताया जा रहा है कि 21 सितंबर को होने वाली स्नातक परीक्षा से ठीक एक दिन पहले अभ्यर्थियों को पास करवाने का लालच देकर उनसे 12 से 15 लाख रुपए की रकम मांगी गई थी। इस रकम को मांगने वाला कोई और नहीं बल्कि नकल माफिया हाकम सिंह रावत और उसका एक साथी था। उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने इसमें बड़ी कार्रवाई करते हुए रावत को गिरफ्तार कर लिया है। हाकम सिंह रावत जो इस पेपर लीक का सरगना है, वह इससे पहले भी कई कई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले में शामिल रहा है।
हाकम सिंह रावत एक तरह से भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी ही नहीं बल्कि सरगना रहा है। हाकम सिंह रावत लिवाड़ी गांव का रहने वाला है और यहां से एक बार ग्राम प्रधान भी रह चुका है। साल 2019 में वह जखोल जिला पंचायत सीट से चुना गया फिर जिला पंचायत सदस्य बना। उसे भाजपा कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है। साल 2022 में नकल माफिया के तौर पर रावत का नाम सबसे पहले आया। उस मामले में रावत को एक साल तक के लिए सुद्धोवाला जेल में भी बंद रखा गया था। उस दौरान रावत के सांकरी स्थित रिजॉर्ट पर भी प्रशासन ने कार्रवाई की और से तोड़ दिया। जेल से छूटने के बाद फिर हाकम सिंह रावत नकल विरोधी कानून के अंतर्गत गिरफ्तार हुआ। स्थानीय लोग उसे भले ही साधारण व्यक्ति बताते हैं और उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वह पेपर लीक का सरगना है। इससे अलग वह स्थानीय तौर पर गरीबों का मसीहा है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि उसकी देहरादून में भी काफी प्रॉपर्टी है। जब यह पहली जेल गया तो उस समय इसका एक रिजॉर्ट तोड़ दिया गया लेकिन दूसरे रिजॉर्ट पर कार्रवाई नहीं हो सकी क्योंकि वह पत्नी के नाम पर था। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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