लेखक की कलम

अबोध बच्चियों से हैवानियत

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
देश में छोटी-छोटी मासूम बच्चियों के साथ दुराचार की वारदातों की झड़ी लगी है। उससे पता चलता है कि हम एक सभ्य समाज के बीच नहीं वरन कामुक दुराचारी शैतानों के बीच जीवन काट रहे हैं। आप जानते हैं कि भारत में कहा जाता है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवताः अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं, परंतु आज वासना के भूखे, वहशी, दरिंदों द्वारा मासूम दूध पीती बच्चियों और नाबालिगों तक को अपनी हवस की शिकार बनाकर उनका जीवन नष्ट किया जा रहा है।एन सी आर बी के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर दिन 86 रेप के मामले सामने आते हैं जिनमें करीब आधे अवयस्क बच्चियों के साथ घटित होते हैं।
केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सालभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के चार लाख से ज्यादा अपराध दर्ज किए जाते हैं। इन अपराधों में सिर्फ रेप ही नहीं, बल्कि छेड़छाड़, दहेज हत्या, किडनैपिंग, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल हैं। क्या यही महान देश है जहां रोजाना 86 लड़कियों-महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदातों को अंजाम दिया जाता है। आइए आप को पिछले एक पखवाड़े मंे अखबारों में प्रकाशित छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की वारदातों से अवगत कराने का प्रयास करते हैं। ये ऐसी घिनौनी वारदात हैं जिन्हें जान कर इंसान का सिर झुक जाता है।
बीती 31 जनवरी को बलिया (उत्तर प्रदेश) में 3 नाबालिगों सहित 5 लोगों को एक 13 वर्षीय लड़की से बलात्कार करने और किसी को बताने पर गंभीर परिणामों की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
उसी दिन मांडया (कर्नाटक) के एक सरकारी स्कूल के शौचालय में 8 वर्ष की बच्ची के साथ 2 लोगों द्वारा बलात्कार करके उसे गंभीर रूप से घायल करने के आरोप में पुलिस ने मामला दर्ज किया। 6 फरवरी को कोलकाता में एक 14 वर्षीय नाबालिग को घर छोड़ने के बहाने ले जाकर उससे बलात्कार करके हत्या कर देने के आरोप में टोटो नामक एक 22 वर्षीय ई-रिक्शा ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया।
उसी दिन जयपुर (राजस्थान) में 14 महीने की मासूम बच्ची से नशे की हालत में बलात्कार करने और अपनी घिनौनी हरकत का वीडियो बनाने के आरोप में उसके फूफा को गिरफ्तार किया गया। 6 फरवरी को ही नूंह (हरियाणा) में पुलिस ने एक 14 वर्षीय किशोरी से बलात्कार करने के आरोप में 2 युवकों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की।
उसी दिन कृष्णागिरि जिले (तमिलनाडु) के सरकारी सैकेंडरी स्कूल में 13 वर्षीय स्कूली छात्रा का स्कूल परिसर के अंदर 2 दिनों तक यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 3 शिक्षकों को गिरफ्तार किया गया।
8 फरवरी को नासिक (महाराष्ट्र) के एक प्राइवेट स्कूल में एक 13 वर्षीय छात्रा से बलात्कार करने के आरोप में स्कूल के प्रिंसीपल श्तुकाराम गोविंद सावले और एक अध्यापक गोरखनाथ मारुति जोशी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार अध्यापक छठी कक्षा की छात्रा को प्रिंसीपल के घर ले गया जहां दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया।
8 फरवरी को ही छतरपुर (मध्य प्रदेश) में पुलिस ने एक 5 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के आरोप में विनोद अहिरवार नामक युवक को गिरफ्तार किया।
उसी दिन राजगढ़ (मध्य प्रदेश) में बलात्कार का शिकार हुई मूक-बधिर नाबालिग लड़की ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। 9 फरवरी को दिल्ली में एक 62 वर्षीय व्यक्ति को एक 16 वर्षीय नाबालिग से बलात्कार करके उसे गर्भवती करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
11 फरवरी को कोरापुट (ओडिशा) में ओपेरा शो देखने गई एक 14 वर्षीय किशोरी के साथ 4 युवकों ने बलात्कार कर डाला।
11 फरवरी को ही भोपाल में श्राहुल साहूश् नामक ड्राइवर को एक 15 वर्षीय लड़की से बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
11 फरवरी को ही अलवर (राजस्थान) के नौगांवा गांव में एक नाबालिग से बलात्कार करने और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने के आरोप में उसके भाई को गिरफ्तार किया गया।
12 फरवरी को ही शिवपुरी (मध्य प्रदेश) में एक 7 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के आरोप में एक युवक को गिरफ्तार किया गया। 12 फरवरी को ही इटावा (उत्तर प्रदेश) में चाकलेट दिलाने के बहाने एक 7 वर्षीय बच्ची से अंकुर नामक युवक ने बलात्कार दिया।ये वारदातें तो महज बानगी यानि नमूना भर है। हकीकत में स्थिति और भी बदतर है।
हालांकि अदालतों ने दोषियों को सजा दी है, परंतु यह बुराई रुकने का नाम नहीं ले रही। अतः ऐसे आरोपों में संलिप्त होने वालों को विशेष अदालतों के जरिए तुरंत मृत्युदंड देने की जरूरत है ताकि देश को ऐसे लोगों से मुक्ति मिल सके।
नाबालिगो का संरक्षण करने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया। इस कानून को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया। इस कानून के तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधन है। ये नहीं, पॉक्सो कानून बच्चों के खिलाफ अपराधों को जेंडर न्यूट्रल भी बनाता है। इसका सीधा मतलब ये है कि कानून बच्चियों के साथ-साथ लड़कों के खिलाफ हुए अपराध को भी देखता है।
ये कहना गलत नहीं होगा कि डिजिटल क्रांति ने हर शख्स के हाथ में अश्लील सामग्री की पहुंच आसान कर दी है। ये आसान पहुंच लोगों की मानसिकता पर प्रभाव डालती है जिस कारण इस तरह के मामलों में इजाफा हो रहा है। वहीं, कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति अपराधियों का हौसला और बुलंद कर देती है।
भले ही देश में बलात्कार को लेकर कानून बने हो लेकिन सजा की प्रक्रिया बेहद जटिल है जिस कारण अपराधी को सजा मिलने में बहुत अधिक समय लग जाता है। रेप मामलों में आरोपी को जल्द से जल्द सजा मिली जानी चाहिए जिससे लोगों में डर पैदा हो। नैतिक शिक्षा की कमी भी इसका एक मुख्य कारण माना जा सकता है। आपको पता हो कि नैतिक शिक्षा का सीधा अर्थ होता है, वो व्यवहार जिससे सबकी रक्षा हो सके। ये शिक्षा बच्चों को छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए। नैतिक शिक्षा सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करती है इसलिए नैतिक शिक्षा जरूरी होती है।
रेप मामलों के बढ़ने की और भी तमाम वजह हो सकती हैं। नशा, सोशल मीडिया, कानून का खौफ न होना समेत और कई। परेशानी की बात ये है मामले दिन पर दिन बढ़ रहे हैं और देश की महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। रेप मामलों पर लगाम लगाने के लिए कानून व्यवस्था का सख्त होना बेहद जरूरी है। लोगों में जब तक कानून का डर नहीं होगा तब तक इस तरह अपराध दर्ज होते रहेंगे। (हिफी)

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