कांग्रेस के लिए जंजाल, सैम पित्रोदा का ज्ञान

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
कांग्रेस वैसे ही बुरे दौर से गुजर रही है। उस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने ज्ञान से मुसीबत और बढ़ा देते हैं। कांग्रेस के सीनियर लीडर और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा ने अभी हाल में आदर्शवादी विचारधारा का प्रवचन दिया। उन्होंने भारत को सलाह दी कि हम पड़ोसी देशों को पहचानंे और उनका सम्मान करें। इतना ही नहीं सैम पित्रोदा ने यहां तक कह दिया कि भारत को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। सैम पित्रोदा के इस प्रवचन से पाकिस्तान और चीन जरूर खुश हुए होंगे। देर-सबेर वे कहेंगे कि यही तो हम कह रहे थे। सैम पित्रोदा ने चीन का विशेष रूप से नाम लिया और कहा कि भारत चीन को दुश्मन क्यों मानता है। सैम पित्रोदा कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि चीन से क्या खतरा है? ऐसी बात तो वही बोल सकता है जिसको चीन के बारे में कुछ पता ही नहीं है। कांग्रेस के इस नेता को यह भी नहीं मालूम कि चीन के विश्वासघात ने ही पंडित जवाहर लाल नेहरू की जान ले ली थी। भाजपा ने सैम पित्रोदा के इस बयान की निंदा करते हुए ठीक ही कहा कि सैम पित्रोदा को गलवान घाटी में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिक याद नहीं आए? बहरहाल सैम पित्रोदा कई बार ऐसा ज्ञान बघार चुके हैं जिससे कांग्रेस पार्टी को सफाई देनी पड़ी है। राहुल गांधी तो चीन द्वारा भारत भूमि पर कब्जे का सवाल अकसर उठाया करते हैं। अब उन्हें सैम पित्रोदा के शब्द दुहराने पड़ेंगे कि भारत को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए। बीते साल भी सैम पित्रोदा के दो बयानों से बवाल उठा। पार्टी ने सफाई दी थी। बहरहाल कांग्रेस ने एक बार फिर सैम पित्रोदा के इस बयान से
पार्टी को अलग किया हैै। इसे पित्रोदा का निजी विचार बताया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने कहा कि चीन से खतरे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है। अब समय आ गया है कि हम पड़ोसी देश को पहचानें और उसका सम्मान करें। पित्रोदा ने भारत-चीन संबंधों पर अपनी राय रखते हुए कहा कि भारत को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है और यह धारणा छोड़ने की जरूरत है कि चीन दुश्मन है।उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा से टकराव वाला रहा है, जो दुश्मनी पैदा करता है। उनका मानना है कि सोचने का यह तरीका बदलना चाहिए, यह जरूरी नहीं कि हम हमेशा चीन को दुश्मन मानें और यह मानसिकता सिर्फ चीन के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए होनी चाहिए।
पित्रोदा कहते हैं हमें सीखने, संवाद बढ़ाने, सहयोग करने और मिलकर काम करने की जरूरत है, हमें कमांड और कंट्रोल की मानसिकता से बाहर निकलना होगा। पित्रोदा की यह टिप्पणी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक के बाद आई है, जिसमें भारत-चीन सीमा तनाव पर चर्चा हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव में मध्यस्थता करने की पेशकश की, जिससे यह संकेत मिला कि अमेरिका स्थिति को शांत करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। वहीं विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था, हमारे किसी भी पड़ोसी के साथ जो भी मुद्दे हैं, हम हमेशा इन्हें द्विपक्षीय तरीके से हल करने की कोशिश करते हैं। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी पर बीजेपी नेता सुधांशु त्रवेदी ने कहा, कांग्रेस पार्टी के चीन के साथ हुए करार का इजहार सैम पित्रोदा ने दिन दहाड़े कर दिया है। गंभीर बात ये है कि जिस प्रकार की बात सैम पित्रोदा ने कही है वह भारत की अस्मिता, कूटनीति और संप्रभुता पर बहुत गहरा आघात है। इसी प्रकार के कई बयान राहुल गांधी भी विदेश में दे चुके हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपने विदेश दौरे पर कहा कि चीन ने बेरोजगारी की समस्या को बहुत अच्छे से दूर किया है। गलवान में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए और उसके बाद आपके नेता इस प्रकार की भाषा बोलते हैं तो यह निंदनीय है।
इससे पूर्व पित्रोदा के इंटरव्यू का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जो उन्होंने अंग्रेजी अखबार स्टेट्समैन को दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा, हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहाँ पूर्व में रहने वाले लोग चाइनीज जैसे दिखते हैं, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में रहने वाले मेरे ख्याल से गोरे लोगों की तरह दिखते हैं, वहीं दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता। हम सब भाई-बहन हैं। बीजेपी ने इसे नस्लीय टिप्पणी बताया और खुद पीएम मोदी ने अपने चुनावी भाषण में सैम पित्रोदा के बयान के जरिए राहुल गांधी को घेरा था। पीएम मोदी ने कहा, मैं आज बहुत गुस्से में हूँ। मुझे कोई गाली दे, मुझे गुस्सा नहीं आता। मैं सहन कर लेता हूँ। शहजादे के फिलॉस्फर (सैम पित्रोदा) ने इतनी बड़ी गाली दी है, जिसने मुझमें गुस्सा भर दिया है। कोई मुझे ये बताए कि क्या मेरे देश में चमड़ी के आधार पर योग्यता तय होगी। संविधान सिर पर लेकर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान कर रहे हैं।
फजीहत के बीच कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सैम पित्रोदा के बयान से किनारा किया और शाम होते-होते उन्होंने पित्रोदा के इंडियन ओवरसीज के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और उसके स्वीकार होने की सूचना भी दे दी। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब सैम पित्रोदा ने अपने बयानों से कांग्रेस को मुश्किल में डाला हो।इससे पहले साल 2019 में उन्होंने 1984 सिख दंगों पर एक बयान दिया था, जिस पर काफी हँगामा हुआ था। सैम पित्रोदा ने एक सवाल के जवाब में कहा था, 1984 में हुआ तो हुआ पिछले पाँच साल में क्या हुआ इस पर बात करिए। हालांकि जब इस बयान पर हंगामा हुआ तो सैम ने माफी मांगी और अपने बयान की वजह अपनी खराब हिंदी को बताया था। उसी साल सैम के एक और बयान ने सुर्खियां बटोरी थीं।पुलवामा हमले और फिर भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद सैम ने कहा था, हमले होते रहते हैं। मुंबई में भी हमला हुआ था। हम भी प्रतिक्रिया देते हुए प्लेन भेज सकते थे लेकिन ये सही नहीं होता। मेरे हिसाब से आप दुनिया से ऐसे नहीं निपटते हैं। सैम पित्रोदा के सफर की शुरुआत ओडिशा के बोलांगीर जिले के एक छोटे से गाँव तीतलागढ़ में हुई थी। सैम के दादा बढ़ई और लोहार का काम किया करते थे। सैम के पिता चाहते थे कि वो गुजराती और अंग्रेजी सीखें। इसलिए उन्होंने उन्हें और उनके बड़े भाई मानेक को पढ़ने के लिए पहले गुजरात में विद्यानगर के शारदा मंदिर बोर्डिंग स्कूल और फिर बड़ौदा विश्वविद्यालय भेजा।
वहाँ से उन्होंने भौतिकी शास्त्र में पहली श्रेणी में एमएससी की परीक्षा पास की। भारत में भौतिकी में स्नातकोत्तर करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर की डिग्री हासिल करने के लिए पित्रोदा शिकागो के इलिनॉय इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गए। तकनीकी शिक्षा में वह भले ही पारंगत हैं लेकिन राजनीति में अधकचरे
हैं। (हिफी)