लेखक की कलम

ममता का जादू बरकरार

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की शेरनी यूं ही नहीं कहा जाता है। वे अकेले दम पर भाजपा को ही नहीं वाममोर्चा और कांग्रेस को भी पानी पिला रही हैं। हाल ही सम्पन्न हुए उपचुनाव के नतीजों ने भी यही साबित किया है। पश्चिम बंगाल के छह निर्वाचन क्षेत्रों- नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर, तालडांगरा, सीताई (एससी) और मदारीहाट (एसटी) में उपचुनाव हुए थे। इसी साल 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद विधायकों द्वारा अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण ये सभी सीटें रिक्त हुई थीं। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल उपचुनाव में क्लीन स्वीप किया है। टीएमसी ने अपनी पांच सीटें बरकरार रखीं और मदारीहाट सीट भाजपा से छीन ली है। इस जीत के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी का राजनीतिक प्रभुत्व और मजबूत हो गया है। यहां तक कि आरजी कर की जघन्य घटना पर चल रहे विरोध प्रदर्शन भी मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहे।
पश्चिम बंगाल के छह निर्वाचन क्षेत्रों- नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर, तालडांगरा, सीताई (एससी), और मदारीहाट (एसटी) में उपचुनाव हुए थे। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद पिछले महीनों के तनावपूर्ण माहौल के मद्देनजर इन उपचुनावों को ममता बनर्जी की सरकार की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा था। गत 23 नवम्बर को घोषित परिणाम में ममता बनर्जी शत प्रतिशत सफल रही हैं । छह में से उत्तर बंगाल की मदारी हाट सीट तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली है। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल की पांच सीटों पर ममता बनर्जी ने अपना कब्जा बनाए रखा। यह तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। टीएमसी की इस ऐतिहासिक जीत पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर लिखा, मां-माटी-जनता को विनम्र हृदय से प्रणाम। जय बांग्ला। इस प्रकार पश्चिम बंगाल उपचुनाव के नतीजे यह दर्शाते हैं कि ममता बनर्जी की नेतृत्व क्षमता और टीएमसी की रणनीति को जनता का पूरा समर्थन मिला है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का जादू एक बार फिर चल गया है। दरअसल, उपचुनाव में टीएमसी ने 6 में से 6 सीटों पर कब्जा जमा लिया है, जो सत्ता का ख्वाब देख रही भाजपा के लिए किसी झटके से कम नहीं है। बंगाल विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दमदार प्रदर्शन करते हुए सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की है। सिताई, मदारीहाट, नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर और तालडांगरा सीटों पर हुए चुनाव में टीएमसी ने विपक्ष को करारी शिकस्त दी। गत 13 नवंबर को इन सीटों पर मतदान हुआ था और 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान किया गया।
सिताई सीट पर टीएमसी उम्मीदवार संगीता रॉय ने भाजपा के दीपक कुमार को 1,30,636 वोटों के बड़े अंतर से हराया।संगीता रॉय को 1,65,984 वोट मिले जबकि दीपक कुमार 35,348 वोट पर ही सिमट गये। मदारीहाट सीट पर टीएमसी के जय प्रकाश टोप्पो ने भाजपा उम्मीदवार राहुल लोहार को 28,168 वोटों से पराजित किया। जय प्रकाश टोप्पो को 79,186 वोट मिले जबकि राहुल लोहार 51,018 वोट ही पा सके। नैहाटी सीट पर टीएमसी के सतन डे ने भाजपा के रूपक मित्रा को 49,277 वोटों के अंतर से हराकर शानदार जीत दर्ज की। सतन डे को 78,772 वोट मिले जबकि रूपक मित्रा को 29,495 वोट मिल पाये। हरोआ सीट से टीएमसी उम्मीदवार शेख रबी उल इस्लाम ने ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट के पियारूल इस्लाम को 1,31,388 वोटों के अंतर से हराया। शेख रबी उल इस्लाम को 1,57,072 वोट मिले जबकि पियारूल इस्लाम को 25,684 वोट ही मिल सके। यहां भाजपा उम्मीदवार बिमल दास 13,570 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इसी तरह मेदिनीपुर सीट पर टीएमसी के सुजय हाजरा ने भाजपा उम्मीदवार सुभाजीत रॉय (बंटी) को 33,996 वोटों से हराया। सुजय हाजरा को यहां 1,15,104 वोट मिले जबकि सुभाजीत रॉय के खाते में सिर्फ 81,108 वोट ही आये। तालडांगरा सीट पर टीएमसी उम्मीदवार फाल्गुनी सिंघबाबू ने भाजपा की अनन्या रॉय को 34,082 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल कर। फाल्गुनी सिंघबाबू ने 98,926 वोट पाये जबकि अनन्यारॉय को 64,844 वोट मिल पाये।
दूसरी तरफ देखें तो भाजपा की चुनौती भी लगातार मजबूत हो रही है। बंगाल में भाजपा अपनी पकड़ बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी का फोकस स्थानीय जरूरतों और जनभावनाओं पर रहा है जिसका असर नतीजों में साफ दिखता है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने जीत के लिए मां-माटी-मानुष को धन्यवाद दिया। साथ ही भाजपा पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कहा, हम जमींदार नहीं बल्कि लोगों के पहरेदार हैं। दूसरी तरफ बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि ममता के लिए यह खून से सनी जीत है।
सबसे दयनीय स्थिति तो वाममोर्चा और कांग्रेस की रही। इन दोनों ही पार्टियों की जमानत तक नहीं बच पायी। पश्चिम बंगाल की छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव में माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की जमानत तक नहीं बची। इस बार उनके बीच कोई घोषित या अघोषित गठबंधन नहीं था। दोनों ने अपने अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन अकेले लड़ने पर भी स्थिति नहीं बदली। दूसरा व तीसरा स्थान तो दूर, वाममोर्चा व कांग्रेस प्रत्याशियों का कुछ सीटों पर नोटा से मुकाबला दिखा। कुछ सीटों पर एक समय ऐसा लगा कि वाममोर्चा-कांग्रेस को नोटा से भी कम वोट मिलेगा। मदारीहाट सीट पर एक बार फिर वामपंथी दल आरएसपी और कांग्रेस की स्थिति एक जैसी रही। मदारीहाट में नोटा को 2,856 वोट मिले, वहीं आरएसपी और कांग्रेस को क्रमशः 3,412 और 3,023 वोट मिले। सिताई में फॉरवर्ड ब्लॉक को 3,319 और नोटा को 1,317 वोट मिले। मेदिनीपुर में छठे और सातवें राउंड की गिनती में कांग्रेस नोटा से पीछे रह गई। मेदिनीपुर में नोटा के पक्ष में 2,624 और कांग्रेस को 3,959 वोट मिले। अंत में कांग्रेस डेढ़ हजार से ज्यादा वोटों से नोटा से पीछे रह गई। तालडांगरा में कांग्रेस प्रत्याशी ने स्पष्ट रूप से नोटा से ही लड़ाई लड़ी। कभी नोटा से पिछड़ जाते तो कभी नोटा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते। बंगाल कांग्रेस प्रवक्ता सुमन राय चौधरी ने कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी को स्वीकार किया। मजे की बात यह है कि ये दोनों दल भी तृणमूल कांग्रेस की तरह विपक्षी दलों के गठबंधन इण्डिया के घटक हैं। इनको तो मोदी के नारे एक हैं तो सेफ हैं से सीख लेनी चाहिए। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button