अब आनंद शर्मा ने दिया कांग्रेस को झटका

कांग्रेस जब-जब मजबूत होती दिखती है, तभी उसकी दीवार का कोई ईंटा भरभराकर गिर पड़ता है। मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने सबूत पेश किये। मुद्दा जोरदार था। इसलिए लोकसभा मंे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ 25 विपक्षी दल खड़े हो गये। सभी ने कहा कि राहुल गांधी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। इसी बीच (10 अगस्त 2025) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता का इस्तीफा उसकी नाराजगी दर्शाता है। इससे पार्टी की कमजोरी भी प्रकट होती है। कंागे्रस के वरिष्ठ नेता और केरल से सांसद शशि थरूर पहले से अलग-थलग दिख रहे थे। इसके बाद मनीष तिवारी भी नाराज हो गये। अब आनंद शर्मा ने बता दिया कि राहुल बाबा विपक्ष की बागडोर संभालने से पहले अपने घर की दीवारें तो दुरुस्त कर लो। आनंद शर्मा कांग्रेस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था- कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने रविवार (10 अगस्त) को पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे वाले पत्र में कहा कि मेरे विचार से, समिति का पुनर्गठन किया जाना चाहिए ताकि इसमें क्षमतावान और प्रतिभाशाली युवा नेताओं को शामिल किया जा सके। इससे इसके कामकाज में निरंतरता सुनिश्चित होगी। केंद्रीय मंत्री रह चुके आनंद शर्मा ने लगभग एक दशक तक पार्टी के विदेश मामलों के विभाग का नेतृत्व किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित अपने त्यागपत्र में शर्मा ने कहा, ‘मुझे यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए पार्टी नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करते
हुए, मैं विदेश मामलों के विभाग (डीएफए) के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं ताकि इसका पुनर्गठन हो सके।’’
पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य आनंद शर्मा लगभग चार दशकों से अंतरराष्ट्रीय मामलों पर कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहे हैं। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि डीएफए पिछले कुछ दशकों से दुनिया भर में समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ कांग्रेस के संबंधों को बनाने और मजबूत करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है, जो लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों के मूल्यों को साझा करते हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद और विदेश मामलों के जानकार आनंद शर्मा हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत का रुख रखने के लिए विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
कांग्रेस नेतृत्व का हालांकि इस मामले मंे मतभेद है। शशि थरूर, आनंद शर्मा ओर मनीष तिवारी एक साथ खड़े हैं। हालांकि पार्टी सूत्रों ने बताया कि शर्मा का पार्टी नेतृत्व के साथ कोई बड़ा विवाद या मतभेद नहीं था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मामलों पर परामर्श न किए जाने से वह असहज थे। फिर भी इस्तीफे वाली चिट्ठी में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया है। हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले शर्मा 2004 से 2022 तक राज्यसभा के सांसद रहे। इससे पहले वो 1984 से 1990 तक राज्यसभा में रहे।
अब शशि थरूर की बात करें। कांग्रेस सांसद और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि कुछ लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने हाल ही में सीमा से जुड़े मुद्दों और सशस्त्र बलों के मामलों में सरकार और फौज का समर्थन किया था। उन्होंने स्पष्ट कहा, मैं अपनी बात पर कायम रहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि ये देश के हित में सही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. शशि थरूर ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि उनके लिए देश पहले है, पार्टी बाद में। हालांकि वोट चोरी के मामले मंे वह राहुल गांधी के साथ हैं।
शशि थरूर का मानना है कि राजनीतिक दल देश को बेहतर बनाने का जरिया होते हैं और सभी पार्टियों को उस मकसद तक पहुंचने के अपने-अपने तरीके अपनाने का हक है। तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर कोच्चि में शांति, सौहार्द और राष्ट्रीय विकास विषय पर आयोजित एक निजी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।शशि थरूर ने कहा, आपकी पहली निष्ठा किसके प्रति होनी चाहिए? मेरे हिसाब से देश के प्रति। राजनीतिक दल देश को बेहतर बनाने का एक माध्यम होते हैं। सभी पार्टियों का एक ही उद्देश्य होता है, देश को आगे ले जाना, भले ही तरीका अलग हो। उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने हाल ही में सीमा से जुड़े मुद्दों और सशस्त्र बलों के मामलों में सरकार और फौज का समर्थन किया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा, मैं अपनी बात पर कायम रहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि ये देश के हित में सही है।
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि लोकतंत्र में राजनीति एक तरह की प्रतियोगिता होती है। हम अपने दलों की विचारधाराओं और मूल्यों का सम्मान करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कभी-कभी अलग-अलग पार्टियों को भी मिलकर काम करना चाहिए। पर कई बार पार्टियां इसे अपने प्रति बेवफाई समझ लेती हैं, जो कि एक बड़ी समस्या है। उन्होंने यह भी कहा कि वे राजनीति में देश की सेवा के उद्देश्य से ही लौटे थे और कोशिश कर रहे हैं कि राजनीति के अंदर और बाहर, दोनों तरीकों से देश के लिए योगदान दे सकें। पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें कांग्रेस हाईकमान से कोई दिक्कत है, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा, मैं यहां राजनीति या किसी विवाद पर बात करने नहीं आया हूं। मैं सिर्फ दो भाषण देने आया हूं, जिनमें मैंने विकास, सौहार्द और मिलजुल कर रहने पर जोर दिया है। उन्होंने दोहराया कि समावेशी विकास ही उनके 16 साल के राजनीतिक जीवन का मुख्य विषय रहा है। उन्होंने कहा, मैं राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित में पूरी आस्था रखता हूं।
सांसद मनीष तिवारी कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद से विद्रोही तेवर अपनाए हुए हैं। वे पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू की खुलकर मुखालफत करने के साथ ही कई बार आलाकमान पर भी निशाना साध चुके हैं।श्री आनंदपुर साहिब के सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कांग्रेस छोड़ने की अटकलों को खारिज किया है। तिवारी ने कहा कि मैंने कई बार ये बात पहले भी कही है कि हम कांग्रेस पार्टी में किराएदार नहीं हैं हम हिस्सेदार हैं। हां, कोई धक्का देकर निकालेगा तो दूसरी बात है। हमने अपनी जिंदगी के 40 साल पार्टी को दिए हैं, हमारे परिवार ने पार्टी के लिए खून बहाया है। मनीष तिवारी ने पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार के पार्टी छोड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि जब भी कोई नेता कांग्रेस छोड़कर जाता है तो पार्टी का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा की एक सीट लोगों से बहुत कुछ करवाती है। मनीष तिवारी ने स्वीकार किया है कि यह गंभीर मुद्दा है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)