लेखक की कलम

शिंदे के अंदर की चिंगारी भड़की

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
उस दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में जब रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाने वाली थी तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से जिस तरह मिले थे उसके विशेष अर्थ लगाये जा रहे थे। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के नेता भले ही सब कुछ सही होने का दावा कर रहे हों, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे राज्य में तीन सरकारी कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे। उनकी अनुपस्थिति के बाद तमाम कयासों का बाजार गर्म हो गया। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना कार्यकर्ताओं से आगामी बीएमसी चुनावों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है। उन्होंने हर वार्ड में शिवसेना शाखा और शिव सैनिक की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर करारा हमला बोलते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस को भी संदेश दिया है। ऐसा लग रहा है कि एकनाथ शिंदे नाराज हैं। वह देवेंद्र फडणवीस से उलट राह पर चल रहे हैं। पहले फडणवीस की बैठकों से एकनाथ शिंदे गायब रहे। बाद मंे उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे साफ लग रहा है कि सीएम-डिप्टी सीएम में तकरार बढ़ गई है। दरअसल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने मेडिकल रिलीफ सेल की शुरुआत की है। महाराष्ट्र में सीएम रिलीफ फंड होने के बावजूद डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद का मेडिकल रिलीफ खोला है। एकनाथ शिंदे के मेडिकल रिलीफ सेल में मंगेश चिवेट-पाटिल को इसका मुखिया बनाया गया है। एकनाथ शिंदे का मेडिकल रिलीफ सेल हेल्थ डिपार्टमेंट की अलग-अलग योजना के तहत लोगों की मदद करेगा क्योंकि हेल्थ विभाग एकनाथ शिंदे के पास है। यानी शिंदे वाली शिवसेना के नेता ही फिलहाल हेल्थ मिनिस्टर हैं। नाम है- प्रकाशराव आबिटकर। हालांकि, मेडिकल रिलीफ सेल डायरेक्ट फाइनेंशल मदद नहीं करेगा,जैसा सीएम रीलीफ फंड करता है। बावजूद इसके एकनाथ शिंदे के इस कदम को बगावती तेवर के तौर पर देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे में चल रही अनबन की अटकलों के बीच डिप्टी सीएम ने बड़ा बयान दिया है। एकनाथ शिंदे ने दो टूक कहा है कि कोई भी उन्हें हलके में न ले और जिसे यह समझना है, वह समझ ले। महाराष्ट्र में एनडीए सरकार बनने के बाद से ही शिंदे और फडणवीस में समय-समय पर टकराव की अटकलें लगती रही हैं। शिंदे कई बार अहम कार्यक्रमों को छोड़कर अपने पैतृक गांव चले गए, जिसकी वजह से सवाल उठने लगे। वहीं, बीएमसी सरकार ने भी उनके 1400 करोड़ रुपये के टेंडर को खारिज करके शिंदे को झटका दिया था। इन सबके बीच, शिंदे ने नए बयान में कहा है कि उन्हें हलके में नहीं लिया जाना चाहिए।एकनाथ शिंदे ने गत दिनों मीडिया से बात करते हुए कहा, मैंने पहले ही कहा है कि जिन्होंने मुझे हलके में लिया है… मैं एक कार्यकर्ता हूं, लेकिन बाला साहेब ठाकरे और दिघे साहेब का कार्यकर्ता हूं और यह समझकर मुझे लेना चाहिए। जब हलके में लिया तो 2022 में पलटी कर दिया। सरकार को बदल दिया और डबल इंजन की सरकार चली। इसलिए मुझे हलके में मत लेना, यह इशारा जिसे समझना है, वह समझ ले। यह जवाब देवेंद्र फडणवीस के लिए भी हो सकता है।
दरअसल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ठाणे जिले के बदलापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण, ऐतिहासिक आगरा किले में मराठा राजा की जयंती समारोह और अम्बेगांव बुद्रुक में शिवसृष्टि थीम पार्क के दूसरे चरण के उद्घाटन में उपस्थित नहीं रहे। वहीं, इन तीनों कार्यक्रमों में सूबे के मुखिया देवेंद्र फडणवीस नजर आए।
ध्यान देने की बात यह भी है कि हाल के दिनों में ही महाराष्ट्र के गृह विभाग ने सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल शिवसेना के 20 विधायकों की सुरक्षा कम कर दी है। इस घटनाक्रम को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे शीतयुद्ध से जोड़कर देखा गया। बताते हैं जिन विधायकों की सुरक्षा को कम किया गया, उनमें सबसे अधिक शिवसेना के विधायक हैं। शिवसेना के 20 विधायकों सहित भाजपा एवं राकांपा (अजीत पवार) के भी कुछ विधायकों की सुरक्षा कम की गई है। इस प्रकार महाराष्ट्र की सरकार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच पैदा हुई खाई बढ़ती जा रही है।
नवंबर 2024 में नई सरकार बनी तो ढाई साल तक एकनाथ शिंदे के डिप्टी रहे देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए। वहीं फडणवीस के रोल में एकनाथ शिंदे आए और साथ में अजित पवार भी डिप्टी सीएम हैं। इस तरह ताकत कम होना और अजित पवार के साथ उसे शेयर किया जाना एकनाथ शिंदे को अखरा है। तब से ही एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच शीत युद्ध की चर्चाएं हैं। एकनाथ शिंदे कई बार अहम कार्यक्रमों को छोड़कर जब सतारा स्थित अपने पैतृक गांव चले गए तो इन चर्चाओं को और बल मिला। यही नहीं अब उनके कदमों ने इस राजनीतिक खींचतान के और बढ़ने के संकेत दिए हैं।
ध्यान रहे कि 2022 में उद्धव ठाकरे से बागी होकर एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ आ गए थे और नई बनी सरकार के ढाई साल तक मुखिया रहे। हालांकि, महायुति गठबंधन में शीत युद्ध की अटकलों ने जब जोर पकड़ा, उसके बाद राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का बयान सामने आया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच मतभेद की अफवाहों को खारिज करते हुए अपने रिश्ते को ठंडा ठंडा, कूल कूल बताया हालांकि पिछले दिनों दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान शरद पवार द्वारा दिए गए पुरस्कार को लेकर भी शिंदे ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, मैं काम करता रहूंगा। पवार साहब ने पुरस्कार दिया। उस पर भी कितने लोग जलने लगे। कितना जलोगे एक दिन तो जलकर खाक हो जाओगे। पवार साहब का भी अपमान किया, जबकि उन्होंने ही सीएम (उद्धव ठाकरे) बनाया था। साहित्यिक लोगों का भी अपमान किया। अमित शाह का भी नाम जोड़ा गया। कभी सुधरेंगे ये सब कि नहीं। जब तक जनता मेरे साथ है, मुझे कोई चिंता नहीं है। मालूम हो कि शिवसेना सांसद संजय राउत ने शरद पवार द्वारा शिंदे को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की थी। उधर, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधने के कुछ दिनों बाद, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने वरिष्ठ नेता की तुलना मराठा सेनापति महादजी शिंदे से की, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में दिल्ली पर विजय प्राप्त की थी। शिवसेना (यूबीटी) ने पिछले महीने पवार द्वारा एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने की आलोचना की थी। शिंदे को पुणे के एक गैर सरकारी संगठन द्वारा स्थापित महादजी शिंदे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
यह भी ध्यान रहे कि पिछले दिनों एकनाथ शिंदे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी बीएमसी यानी बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों सहित राज्य में अन्य नगर निगमों और स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था। पार्टी रैली में शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर करारा हमला बोला साथ ही महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस से कोल्ड वॉर पर भी अपना रिएक्शन दिया। शिंदे ने कार्यकर्ताओं से जून 2022 और नवंबर 2024 के दौरान महायुति सरकार द्वारा किए गए कार्यों को लेकर मतदाताओं तक पहुंच बढ़ाने को कहा। एकनाथ शिंदे ने कहा कि हर वार्ड में शिवसेना की एक शाखा और एक शिव सैनिक होना चाहिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि विधानसभा चुनाव में एक झटका दिया गया था, अब सत्ता हासिल करने के लिए आगामी बीएमसी चुनावों में एक और झटका
दिया जाना चाहिए। शिवसेना को और विस्तार और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को प्रत्येक वार्ड में मतदाता सूची में 123 नाम सदस्य के रूप में दर्ज करने और प्रत्येक वार्ड में 10,000 से अधिक सदस्यों को पंजीकृत करने का निर्देश दिया। ये सब एकनाथ शिन्दे के एकल प्रभाव को बढ़ाने वाला है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button