लेखक की कलम

विरोध पक्ष को भी मुरीद बनाया योगी ने

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी भाजपा के दो नेताओं को लेकर यह कहा जा सकता है कि वे विरोध पच्छ के लोगों को भी अपना मुरीद बना लेते हैं। इनमें एक नाम है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। याद कीजिये 2024 का पिछली लोकसभा का आखिरी सत्र जब मुलायम सिंह यादव ने मोदी को फिर से पीएम बनने का आशीर्वाद दिया था। दूसरे नेता का नाम है योगी आदित्यनाथ जो उत्तर प्रदेश के लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें एक सीट फूलपुर भी है। इस सीट पर भाजपा ने दीपक पटेल को उम्मीदवार बनाया है। उनका प्रचार प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पूजा पाल कर रही हैं। ऐसा सियासी आभा मंडल विरले नेताओं का ही होता है।
फूलपुर विधानसभा उपचुनाव के नतीजे क्या होंगे यह 23 नवंबर को पता चलेगा लेकिन अभी विपक्ष के दावे कमजोर देखने को मिल रहे हैं। भाजपा संगठन के तमाम शीर्ष नेता क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। कैबिनेट मंत्री डा. राकेश सचान भी कैंप कर रहे हैं। अपनी जाति विशेष के गांव में चौपाल लगा रहे हैं। इसी बीच चौकाने वाली तस्वीर मिली है। समाजवादी पार्टी की कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल क्षेत्र में सक्रिय हैं। वह भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल के समर्थन में वोट मांग रही हैं। अब तक वह 16 ग्राम पंचायतों में दौरा कर चुकी हैं। यह वह इलाके हैं जहां पाल बिरादरी के लोग अधिक हैं। जन संपर्क करने के साथ वह नुक्कड़ सभा भी कर रही हैं। खास बात यह कि अपने प्रचार में वह सिर्फ यह बता रही हैं कि जब एक पाल बिरादरी के नेता की हत्या हुई तो न सपा सामने आई न बसपा। लंबे अंतराल के बाद जब मैने अपनी पीड़ा बाबा योगी आदित्यनाथ के सामने रखी तो उन्होंने खुले मन से उसे सुना और संबल दिया। हाल ही हुए एक अन्य पाल बिरादरी के व्यक्ति की हत्या के आरोपियों का जो हाल हुआ उसे सभी ने देखा है। अब निर्णय आप के हाथ में हैं। किसके साथ खड़ें हो। भाजपा मजलूमों को संबल देने का काम कर रही है।
उधर, सपा उम्मीदवार मुज्तबा सिद्दीकी के लिए अब तक उनकी ओर से कोई सभा या प्रचार कार्यक्रम नहीं बनाया गया। भाजपा गंगापार जिला अध्यक्ष कविता पटेल ने कहा, पूजा पाल का प्रचार उनकी अपनी प्रेरणा है। वह पाल बिरादरी के बीच जा रही हैं। प्रदेश सरकार के कार्यों से प्रभावित हैं। भाजपा चुनाव कार्यालय निरंतर उनके प्रचार अभियान पर नजर रखे हुए हैं। वह कहां जाएं इस पर कोई निर्देश पार्टी की ओर से नहीं दिया जा रहा है। वह स्वतः अधिक से अधिक जगहों पर पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। ध्यान देना होगा कि सपा विधायक की अपनी पार्टी से दूरी राज्य सभा चुनाव के समय भी नजर आई थी। उन्होंने पार्टी के दिशा निर्देशों से अलग जाते हुए भाजपा के लिए मतदान किया था। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने सपा प्रत्याशी के पक्ष में कोई प्रचार नहीं किया था। इस संदर्भ में सपा के मीडिया प्रभारी दान बहादुर ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि विधायक पूजा पाल भाजपा के लिए प्रचार कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सबकी नजरें फूलपुर विधानसभा सीट पर लगी हुई है। इस सीट का जातीय समीकरण ऐसा है कि ऊँट किस करवट बैठेगा ये कहना काफी मुश्किल हो रहा है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच हमेशा से ही जबरदस्त टक्कर रही है। यहां पर मुद्दों से ज्यादा जाति का गुणा भाग अहम हैं, जो चाल सही बैठी उसकी नैया पार हो जाएगी। फूलपुर में सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। बीजेपी ने यहां पूर्व विधायक दीपक पटेल पर दांव लगाया है तो वहीं सपा ने तीन बार के विधायक रहे मुज्तबा सिद्दीकी जैसे अनुभवी नेता को मैदान में उतारा है। यहां बहुजन समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि ये दोनों दल सपा-बीजेपी के वोट कटवा ही साबित होंगे।
फूलपुर विधानसभा सीट पर कुर्मी वोटर सबसे ज्यादा 70 हजार हैं, ऐसे में बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट देकर कुर्मी और सवर्ण वोटरों का समीकरण बनाने की कोशिश की है तो वहीं यादव वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं। यहां यादव मतदाता दूसरे नंबर पर हैं जिनकी संख्या 65 हजार है। सपा ने यहां यादव और मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश की है। ऐसे में दलित और अन्य पिछड़ी जातियों का झुकाव बहुत हद तक चुनाव के नतीजे तय करेगा।
2022 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी के प्रवीण पटेल ने सपा के मुज्तबा सिद्दीकी को सिर्फ 2700 वोटों से मात दी थी। प्रवीण अब सांसद बन चुके हैं, जिसके बाद बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट दिया है। लोकसभा चुनाव में भी सपा और बीजेपी के बीच जीत का अंतर 18 हजार ही रहा था। यानी इस सीट पर बीजेपी को सपा से कड़ी टक्कर मिलती आई है।
फूलपुर विधानसभा भारतीय जनता पार्टी के लिए आखिर इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र ने अब तक भाजपा की उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है। योगी आदित्यनाथ के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर रेकार्ड तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत पाई थी। फूलपुुर के मतदाताओं ने गंगा पार के इस इलाके में राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को सबक सिखाया है। राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को खारिज कर दिया था। इसकी वजह से भाजपा फूलपुर लोकसभा की फूलपुर विधानसभा सीट पर 18 हजार मतों के अंतर से पीछे रह गई थी।
यदि फूलपुर विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां कुल मतदाता चार लाख सात हजार हैं। इनमें 45 हजार दलित, 70 हजार यादव, 50 हजार ब्राह्मण, 40 हजार मुस्लिम, 30 हजार कुर्मी, 25 हजार निषाद, 20 हजार राजभर, 15 हजार मौर्य, 10 हजार क्षत्रिय और 20 हजार पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं।
योगी के चुनावी नारे ज्यादा चर्चा में हैं। बंटेगे तो कटेंगे का नारा तो देश भर में चर्चित है। गत 10 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूलपुर में एक चुनावी सभा में नारा दिया था जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। उनके इस नारे ने भी देश भर में खासी सुर्खियां बटोरीं।
ध्यान रहे कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद केशव प्रसाद मौर्य को इस सीट से त्यागपत्र देना पड़ा और उसके बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यहां समाजवादी पार्टी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इतना जरूर हुआ कि बाद में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में फूलपुर की विधानसभा सीट पर प्रवीण पटेल ने भाजपा के टिकट पर 2700 मतों के अंतर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुस्तफा सिद्दीकी से जीत दर्ज की थी। उन्हें लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फूलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। पौने पांच हजार मतों के बहुत कम अंतर से प्रवीण पटेल ने विजय हासिल की। प्रवीण पटेल के सांसद बनने की वजह से ही फूलपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। (हिफी)

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