लेखक की कलम

हिन्दुत्व के सजग प्रहरी योगी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों उस जज का समर्थन किया जिसने एक कार्यक्रम के दौरान इस्लाम धर्म के कठमुल्लों को खरी खोटी सुनाई थी। किसी भी धर्म के प्रति कट्टरता अच्छी नहीं होती। इस्लाम धर्म में भी कट्टरता दिखाने वालों को कठमुल्ला कहा जाता है। इनकी ही आलोचना करने वाले उस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कुछ राजनीतिक दलों के नेता कर रहे हैं। योगी ने संभल में 47 साल पहले हुए दंगे के दौरान हिंदुओं के कत्लेआम और पलायन के बाद मंदिरों पर कब्जा कर ताला डालने को शर्मनाक अध्याय बताया है। इस प्रकरण पर योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया सबसे ज्यादा मार्मिक है।
कुछ महीने पहले (मार्च 2024) की बात है जब बरेली के जज रवि कुमार दिवाकर की सीजेआई चंद्रचूड़ से शिकायत की गई। ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशंस फॉर जस्टिस ने सीजेआई चंद्रचूड़ को जज दिवाकर के खिलाफ शिकायत करते हुए कार्रवाई करने की मांग की थी। रवि कुमार दिवाकर ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा था कि सत्ता में धार्मिक व्यक्ति अच्छे परिणाम देता है। बता दें कि साल 2022 में जज दिवाकर ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी करवाने का आदेश दिया था। साल 2010 में बरेली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में मौलवी मौलाना तौकीर रजा को तलब करते हुए जज दिवाकर ने ये बातें कहीं कि शायद ही कभी भारत में दंगा भड़काने वाले मास्टरमाइंड को सजा मिलती है।
सीजेआई चंद्रचूड़ को लिखे गए लेटर में कहा गया था, देखा गया है कि सत्र न्यायालय के इस आदेश में मुस्लिम समुदाय के बारे में गलत रूढ़िवादिता और कट्टर धारणाओं को कायम रखने का असर है। इसके अलावा, इस आदेश ने न्याय के पैमाने को झुका दिया है, न्यायपालिका की स्वतंत्रता के स्वीकृत सिद्धांत का उल्लंघन किया है और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। यह न्यायिक अधिकारियों पर लागू होने वाले मानकों और मानदंडों का पालन करने यानी स्वतंत्रता, निष्पक्षता और औचित्य बनाए रखने में न्यायाधीश की घोर विफलता को दर्शाता है। आरोप लगाया गया कि जज ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ स्पष्ट पूर्वाग्रह और पूर्वाग्रह प्रकट करने वाले ये बयान देकर न्यायिक आचरण के बुनियादी मानकों को विफल कर दिया है। योगी ने जज दिवाकर की भी तारीफ की थी और उनके फैसले को उचित बताया था।
इसके बाद इसी दिसंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बगैर नाम लिए हाई कोर्ट के जज शेखर यादव के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सच बोलने वालों को धमकाया जा रहा है। ये लोग संविधान के नाम पर देश के सामने पाखंड कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की विरासत की चर्चा करने वाले व्यक्तियों को कुछ लोग धमकी दे रहे हैं। इन्हीं लोगों ने कुंभ की आध्यात्मिक और सामाजिक विरासत को भगदड़ और अराजकता का पर्याय बना दिया है। योगी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव का बगैर नाम लिये कहा कि एक न्यायमूर्ति ने सच कहा तो उन्हें कठघरे में खड़ा किया गया। सच बोलने वालों को धमकाया जा रहा है। यही लोग अब संविधान के नाम पर देश के सामने पाखंड कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में जज शेखर यादव ने कहा था- मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि हिंदुस्तान देश के बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। यह कानून है। मैं यह बात हाई कोर्ट के जज के तौर पर नहीं बोल रहा। आप अपने परिवार या समाज को ही लीजिए कि जो बात ज्यादा लोगों को मंजूर होती है, उसे ही स्वीकार किया जाता है। लेकिन जो कठमुल्ला हैं, जिसे कह लीजिए आप, शब्द गलत है। लेकिन कहने में गुरेज नहीं है क्योंकि यह देश के लिए घातक है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, इस प्रकार के लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने महाभियोग का नोटिस दिए जाने पर विपक्ष की आलोचना की है। सीएम योगी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने एक बात कही। योगी ने कहा कि समान नागरिक संहिता तो होनी ही चाहिए और दुनिया के अंदर बहुसंख्यक समाज की भावनाओं का सम्मान तो हर हाल में होता है। दुनिया में अगर होता है तो उस सच्चाई को कोई बोलता है तो यह कौन सा अपराध हो गया। इन लोगों ने जज के खिलाफ भी महाभियोग का नोटिस दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने बीते दिनों प्रयागराज में आयोजित विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल के एक कार्यक्रम में यह कथित विवादित बयान दिया था। विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के हाल में दिए गए कथित ‘विवादास्पद बयान’ के लिए उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के वास्ते राज्यसभा में नोटिस दिया है। महाभियोग के लिए 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कांग्रेस के कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा और तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले शामिल हैं।
अब नये मामले सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी के मदनपुरा में 40 साल पुराना मंदिर खोलने की मांग की जा रही है। इस पर योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है,हिंदू संगठन के लोग वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में सालों से बंद प्राचीन मंदिर खुलवाने पहुंचे थे। हिंदू संगठन के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में तकरीबन 40 साल से यह मंदिर बंद था अब हमें यहां पर नियमित पूजा पाठ करने की इजाजत दी जाए। हिंदू संगठन शांति व्यवस्था कायम रखने के साथ पूजा पाठ करने की इजाजत मांग रहा है । सनातन रक्षा दल के पं अजय शर्मा मंदिर में लगे ताला खोलने के लिए पहुंचे थे। मदनपुरा घनी मुस्लिम आबादी के लिए जाना जाता है। इससे पहले संभल में 46 साल बाद खुले मंदिर के बगल स्थित घर के अवैध हिस्से में अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हो गया है। हालांकि इस काम में प्रशासन ने अपना हाथ नहीं लगाया है। मकान मालिक मतीन अहमद ने खुद मजदूरों को बुलाया और उसे तुड़वाया। गत 14 दिसंबर को जिला पुलिस और प्रशासन द्वारा चलाए गए बिजली चोरी और अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मंदिर की खोज की गई थी। जिलाधिकारी डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को चिट्ठी लिख कर मांग की है कि इसकी वैज्ञानिक जांच की जाए। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक एएसआई ने इस चिट्ठी पर कोई जवाब नहीं दिया था। उधर, मतीन अहमद के मकान की पैमाइश की गई थी। संभल और वाराणसी दोनों जगह स्थानीय निवासी सौहार्द बनाए हुए हैं लेकिन धर्म की सियासत करने वाले आग उगल रहे हैं। (हिफी)

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