अध्यात्म

बड़े भाग मानव तन पावा

प्रारब्ध, समस्याएं, विफलताएं, रोग कष्ट आदि कर्मों से ही उत्पन्न है

‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का विश्लेषणात्मक ढंग से नाना प्रकार से भाषायी भाव भले व्यक्त कर लें, लेकिन सत्य यही है कि शिव और शक्ति के योग से हम समस्त नकारात्मक भोगों-दोषों से मुक्त होकर मोक्ष पाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह शाश्वत सत्य है कि शिव शक्ति के बिना पूर्णता को नहीं प्राप्त होता है। शिव-शक्ति का योग ही हमें सकारात्मक से संयुक्त कर दिव्यता प्रदान करता है- जिसका स्रोत प्राप्त होता है सक्षम ‘गुरू’ से।

भारतीय दर्शन और आध्यात्मिक गुरुओं का कथन है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता है अथवा घटित हो रहा है, वह हमारे अनेकों पूर्व जन्मों के संचित हुए कर्मों के फलस्वरूप है। हम जो कुछ भी महसूस करते हैं, दुख, बीमारियां, असफलताएं, दुर्बल पारस्परिक सम्बन्ध, यहां तक कि समय-समय पर हमारे द्वारा झेले गये मानसिक तनाव और कष्टों के कारक भी यही कर्म हैं। लेकिन योग्य सिद्ध गुरुओं द्वारा हमें ब्रह्माण्ड मंे छायी अदृष्य ब्रह्म शक्ति का ज्ञान मिलता है ताकि इस शक्ति की उपासना द्वारा हम अपने इन कष्टों का निवारण कर सकते हैं। इसी दैनिक ब्रह्म ऊर्जा को सिद्ध एवं जागृत करके हम अपने इन ऋणात्मक कर्मों को भस्म करके इससे सदा के लिये मुक्ति पा सकते हैं।
यह दैवीय ऊर्जा हमारे जीवन को इन पिछले ऋणात्मक कर्मों से आजाद करके उसे असीमित प्रसन्नता, शान्तिमय समृद्धि तथा अच्छे स्वास्थ्य से सराबोर कर देती है।
वास्तव मंे देखा जाए तो मानव जीवन का लक्ष्य मनुष्यता का भोग परम लक्ष्य ईश्वर से योग है। अपने इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर और अपनी समस्याओं, कमियांे और असफलताओं से तटस्थ होकर हम परम शक्ति शिव से एकात्म होकर शिव योग के द्वारा उस लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। सच ही कहा गया है कि बड़े भाग मानव तन पावा। दरअसल मानव जीवन हमारी आत्मा की उन्नति हेतु ही हमें मिला है।
हमारे सभी प्रारब्ध, समस्याएं, विफलताएं, रोग कष्ट आदि हमारे कर्मों से ही उत्पन्न है और उन्हें भोग कर ही आत्मा परिष्कृत होती है। किन्तु शिव योग के माध्यम से यह प्रारब्ध भोग भोगे बिना ही मनुष्य समस्त सांसारिक सुख तथा आध्यात्मिकता की ऊंचाई को प्राप्त कर सकता है। शिव का तात्पर्य है असीमित और योग का अर्थ है जुड़ना और इसी निस्सीम से जुड़ जाना ही शिवयोग हैं।
हम सभी अत्याधिक संभावनाएं लिए जन्मते हैं। विश्व की समस्त शक्तियां हमारे भीतर होती हैं। जब कोई व्यक्ति कष्ट में होता है या सहता है तो वह यह मान लेता है कि यही उसका भाग्य है, लेकिन शिव योग के अनुसार वास्तव में हम स्वयं ही दैवीय हैं, हम ही परम सुख हैं। हमें मानव रूप में जन्म इसीलिये मिला है कि हम अपने शरीर के द्वारा इस सुख का अनुभव कर सकें।
सिद्ध गुरुओं ने ये स्पष्ट किया है कि जैसे ही हम शिवयोग ध्यान के द्वारा अपने संचित कर्मों को प्रज्ज्वलित करते हैं हमारी चेतना का स्तर ऊंचा उठता है जिसके फलस्वरूप स्वास्थ्य समृद्धि तथा आत्मीय संबंधों की वृद्धि होती है। यह मस्तिष्क विकास की ओर हमारा मार्गदर्शन करता है और हमको अपनी सभी शारीरिक तथा
आध्यात्मिक इच्छाओं को प्राप्त करने योग्य बनाता है। शिव की कृपा दृष्टि के फलस्वरूप हम जीवन में जो कुछ पाने की कामना करते हैं वह प्राप्त करते हैं। इस प्रकार शिव योग द्वारा हम अपने भीतर की असीमित
शक्तियों को परत दर परत खोलते हुए अपने भविष्य का स्वनिर्माण कर सकते हैं।
शिव योग कोई तकनीक नहीं अपितु ईश्वरी कृपा पाने का मार्ग है। शिव योग की साधना आरम्भ करते ही तुरंत ही ज्ञानचक्षु खुलने लगते हैं। यह उन शिवयोगियों की कृपा के फलस्वरूप है जिन्होंने अपनी महज तपःशक्ति से भगवान महा मृत्यंुजय की संजीवनी शक्ति को जागृत किया है जिसकी ताकत तथा ज्ञान केवल कुछ शिवयोगियों तक ही सीमित था। हम सभी हर क्षण इस दैवीय ब्रह्मशक्ति का अनुभव करते रहे हैं लेकिन इसकी पूर्णता को पाने में हम अक्षम थे क्योंकि केवल एक योग्य गुरु ही उस द्वार को खोल सकता है जो प्रभु तक जाता है। यह आमजन के लिये सौभाग्य की बात है कि शिवजी की अनुकम्पा से बाबाजी ने हम में से हर एक को दैवीय ज्ञान लाभ देने का कार्य शुरू किया है। शिव योग ध्यान शिविर मंे बाबा जी द्वारा शक्तिपात किया जाता है जो आत्मा का परमात्मा से योग कराता है और उसे दैवीय ब्रह्म शक्ति का आह्वान करने योग्य उपयुक्त बनाता है। इस ब्रह्माण्ड शक्ति का आह्वान करके हम शुद्ध होते हैं और अपने ऋणात्मक कर्मों से मुक्त होकर इसके परिणाम स्वरूप एक सुखी समृद्ध और सफल जीवन पाते हैं।
बाबा जी के पास हम सभी को स्वस्थ सफल तथा प्रसन्न देखने की दिव्यदृष्टि है। वह शिव से हमारा उपचार करने की प्रार्थना करते हैं ताकि हमारे परिवार पर शिवयोग तथा संजीवनी शक्ति की अनुकम्पा हो और शिवयोग की कृपा हम
पर हो।
जब भी आप भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं तो यह याद रखिये कि बाबा सदा आपके ही पास हैं और आपकी प्रार्थना परमपिता माता के पास पहुंचाने के लिए तत्पर हैं। ताकि भगवान शिव-शिवा आपकी इसी जीवन काल में अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करें और आप पुनर्जन्म के चक्र से सदा के लिए मुक्त हो जाएं।
शिवयोग शिविर पूरे नौ दिन के लिए है। लोगों की सुविधा के लिए यह तीन भागों में विभाजित किया गया है। सिद्ध ध्यान तथा उपचार शाम्भवी ध्यान एवं उपचार तथा श्री विद्या साधना। चूंकि यह क्रमानुसार हैं अतः प्रत्येक व्यक्ति यहां आरम्भ से इसी क्रम में ही उपस्थित हो सकता है। शिवयोग श्रीविद्या, साधना अति लाभदायी तथा तुरन्त फलदायी है।
शिव योग करने से लाभ

परिवार तथा मित्रों के आपसी संबंध बेहतर होते हैं, मार्ग की रुकावटंे समाप्त होती हैं और शिक्षा कैरियर, कोर्टकेसों तथा घर विद्यालयों एवं कार्यस्थलों पर स्थितियों में सुधार होता है। विभिन्न दोषों जैसे जन्म कुंडली, भूमि, कालसर्प इत्यादि से राहत मिलती हैं।
शिवयोग साधना पितृदेवों को मृत्यु पश्चात जीवन के उच्चतम स्तर पर पहंुचाने में सहायक बनती है। जैसे-जैसे पूर्वज उच्च स्थान की ओर अग्रसर होते हैं उनके द्वारा दिए गए आशीर्वादों से पितृ दोष की रुकावटंे समाप्त होती हैं। संजीवनी शक्ति तथा यंत्रों की सहायता से घर, दुकान कारखानों तथा आफिसों के वास्तुदोष सुधरते हैं।
(हिफी)

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