लेखक की कलम

केजरीवाल बढ़ाएंगे कांग्रेस की मुसीबत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का महासमर अब उफान पर है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही माना जा रहा है लेकिन अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। आम आदमी पार्टी आप से गठबंधन हो नहीं पाया। सभी 90 सीटों पर आप ने अपने प्रत्याशी उतार दिये हैं। केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित हैं। इस प्रकार आप कांग्रेस के वोट काट सकती है। भाजपा को इससे फायदा मिल सकता है। इसप्रकार हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा से सीधे मुकाबले में कांग्रेस के लिए केजरीवाल की जमानत मुसीबत बन सकती है। हरियाणा में नामांकन का शोर थमने के बाद चुनाव-प्रचार का शोर तेज हो गया है। बहरहाल हरियाणा में सियासी नफा नुकसान को दर किनार कर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने का स्वागत किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दिल्ली सरकार की आबकारी नीति से जुड़ी सीबीआई की एफआईआर में दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केजरीवाल को 10 लाख रुपए का मुचलका भरना होगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया गया था। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के सीएम अरविंद की जमानत को आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत की तरह देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि सीएम केजरीवाल के आने से चुनाव के बीच आप की कोशिशों को और धार मिलेगी और वे हरियाणा चुनाव के लिए प्रचार कर पाएंगे। दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से ही आते हैं। उनका जन्म भिवानी जिले के सिवनी में हुआ था। ऐसे में उनका जेल से बाहर आना सिंपैथी वोट्स इकट्ठा कर सकता है।
हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति मामले से संबंधित किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से मना किया है। साथ ही, कोर्ट ने शर्त रखी है कि ईडी मामले में जितने भी नियम बनाए गए थे, वो इस बार की जमानत में भी लागू रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी केस में सीएम केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि वह ऑफिस या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। इन प्रतिबंधों का हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार से कोई संबंध नहीं है। केजरीवाल की जमानत के सियासी प्रभाव को देखें तो कई राज्यों पर असर पड़ सकता है। इस बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भी बड़ा अपडेट सामने आया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि फरवरी 2025 में प्रस्तावित दिल्ली चुनाव समय से पहले ही हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसी साल के अंत तक दिल्ली में भी चुनाव होंगे। इस बीच सीएम अरविंद केजरीवाल की वापसी आम आदमी पार्टी को मजबूती देगी और सीएम केजरीवाल चुनावी तैयारी के लिए शुरुआती रणनीतियों का भी हिस्सा रह पाएंगे।
आबकारी नीति मामले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। उनसे 10 दिन तक पूछताछ की गई, जिसके बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। करीब 51 दिन बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी और सीएम जेल से बाहर आए थे। उनकी रिहाई एक जून तक मंजूर की गई थी। उस समय लोकसभा चुनाव हो रहे थे ।इसके बाद 2 जून को सीएम अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था। मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिल जाने के बाद सीबीआई केस में 26 जून को उन्हें जेल से ही फिर गिरफ्तार कर लिया गया था। अब 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो फैसला आया, वो इसी से जुड़ा है।
अरविंद केजरीवाल को पहले ईडी ने गिरफ्तार किया। उन्हें उस मामले में बेल मिल गई थी लेकिन फिर बाद में सीबीआई ने भी उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति बीआर एस की नेता के कविता को भी पहले ही जमानत मिल चुकी है।
कोर्ट में केजरीवाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई उन्हें जेल से बाहर नहीं आने देना चाहती है। सीबीआई के पास केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत नहीं थे। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ईडी केस में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा चुकी है। सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा था कि सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को एफआईआर दायर होने के बाद दो साल तक गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए जल्दबाजी में बीमा गिरफ्तारी की। सीबीआई की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने अपनी दलील पेश की। उन्होंने कहा कि सीएम केजरीवाल कोई असाधारण व्यक्ति नहीं है, जिनके लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने ही इसकी साल 12 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। हालांकि, उनकी रिहाई से पहले ही सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर दिया था।
बहरहाल हरियाणा में सियासी नफा नुकसान को दर किनार कर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र का चीरहरण करके अरविंद केजरीवाल को गलत तरीके से जेल में डाला गया। उन्होंने कहा कि हमारे आपस में राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि लोकतंत्र को बुलडोजर से कुचला जाए। सुरजेवाला ने कहा, सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका ने कहा कि यह कस्टडी गलत है। दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। कभी हेमंत सोरेन जी को अंदर डाल दिया कभी सिद्धारमैया पर मुकदमा किया। कभी बंगाल की सीएम पर हमला बोल दिया। बीजेपी ने लोकतंत्र को कुचलकर चुने हुए मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला है। जिस बुलडोजर से बीजेपी लोकतंत्र को कुचलना चाहती थी न्यायपालिका ने उसे कुचल दिया। हरियाणा में नामांकन का शोर थमने के बाद चुनाव-प्रचार का शोर तेज हो गया। कैथल में अपने बेटे के लिए रणदीप सिंह हुड्डा प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रदेश मनरेगा मेट और मनरेगा कामगारों ने प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में हरियाणा की 90 की 90 सीटों पर कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आई तो शहरों में भी मनरेगा मजदूरी शुरू होगी। बीजेपी ने मनरेगा मजदूरों
का 60 हजार करोड़ रुपए का बजट काटा है। इस प्रकार कांग्रेस आम आदमी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने के बावजूद हरियाणा में पूरे दमखम से भाजपा का मुकाबला करने का प्रयास कर रही है। (हिफी)

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