लीडर के आदेश पर फौरी अमल

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
- योगी ने कहा था जनता की समस्याएं देखंे मंत्री
- ब्रजेश पाठक सामान्य मरीज बनकर पहुंच गये मेडिकल कालेज
- फोन पर ओपीडी रजिस्ट्रेशन की खुली पोल
सेना तभी जंग जीतती है जब उसके सैनिक कमांडर के आदेश का तुरन्त पालन करते हैं। मैदान जंग का हो या राजनीति का, सभी जगह यह नियम काम करता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च को पद की शपथ लेने के बाद कैबिनेट के मंत्रियों से कहा था हमारे पांव जमीन पर और निगाह लक्ष्य पर होनी चाहिए। अभी 5 अप्रैल को योगी ने अपने मंत्रियों से सप्ताह भर के अंदर व्यावहारिक कार्य योजना मांगी है। सीएम ने कहा कि लोगों के जीवन स्तर मंे सुधार, जीवन को सरल बनाने के लिए योजनाएं बनाएं और उन्हें लागू करें। मुख्यमंत्री योगी ने ईज आफ लिंबिंग पर विशेष ध्यान देने को कहा है। सुखद बात यह है कि कुछ मंत्रियों ने तो इस पर पहले से ही काम भी शुरू कर दिया है। एक उदाहरण उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का दिया जा सकता है जिन्होंने 5 अप्रैल को ही जनता की सुविधाओं पर व्यावहारिक रूप से
ध्यान दिया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पास चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग भी है। अस्पतालों मंे जनता को कितनी सुविधाएं मिल रही हैं, इसका आकलन उन्होंने स्वयं किया और कई खामियां भी मिली हैं। वे लखनऊ के मेडिकल कालेज मंे सामान्य मरीज बनकर पहुंचे। उनको कई खामियां मिलीं। डिप्टी सीएम का यह प्रयास सामान्य नहीं है, बल्कि इसके संदेश प्रदेश के कोने-कोने मंे बने सरकारी अस्पतालों तक पहुंचेंगे। यह प्रक्रिया रुकनी नहीं चाहिए। मंत्री यदि इसी तरह की सक्रियता दिखाएंगे तो प्रदेश को देश का नम्बर-एक राज्य और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को देश की नम्बर-एक अर्थव्यवस्था बनाने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लक्ष्य शीघ्र ही प्राप्त हो सकता है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक अपने दायित्व को निभाने मंे कामयाब रहे हैं। पिछली बार कानून मंत्री होते हुए भी कोरोना महामारी के समय जनता को चिकित्सा उपलब्ध कराने मंे अतिरिक्त प्रयास किया था। इस बार तो उनको यही विभाग मिल गया है। अस्पतालों मंे क्या मूलभूत कमियां हैं, उनका व्यावहारिक अनुभव है। इसीलिए 5 अप्रैल को राजधानी लखनऊ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल केजीएमयू (मेडिकल कालेज) मंे मरीज बनकर पहुंच गये। उनके सामने ही टेलीफोन पर ओपीडी पंजीकरण की पोल खुल गयी। उल्लेखनीय है कि सरकारी अस्पतालों मंे लम्बी-लम्बी लाइन लगने से मरीजों और तीमारदारों को तो परेशानी होती ही है, साथ ही कोरोना गाइड लाइन का पालन करना मुश्किल हो जाता है। कोरोना की लहर भले ही कमजोर पड़ गयी है लेकिन सतर्कता जरूरी है। सरकार ने इसी दृष्टिकोण से अस्पतालों मंे ओपीडी पंजीकरण की सुविधा फोन से प्रदान कर दी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को केजीएमयू में एक महिला मरीज ने केजीएमयू के जारी टेलीफोन न मिलने की बात बतायी। ब्रजेश पाठक मास्क लगाये थे, इसलिए वह महिला और दूसरे लोग पहचान भी नहीं पा रहे थे। महिला की शिकायत पर डिप्टी सीएम ने खुद पंजीकरण के लिए 0522-2958880 पर फोन मिला दिया। करीब 10 मिनट वे फोन लगाते रहे मगर फोन नहीं लगा। इसके बाद डिप्टी सीएम परिसर पीएचआई भवन में काल सेंटर पहुंचे। वहां की बदइंतजामी देखकर काल सेंटर कर्मचारियों से पूछा आज कितने फोन आए? कितनी लाइन काम कर रही हैं और जो लाइनें काम नहीं कर रही हैं, उसकी वजह क्या है?
काल सेंटर का कर्मचारी डिप्टी सीएम के सवालों का जवाब नहीं दे सका। इसके बाद ब्रजेश पाठक ने काल सेंटर का संचालन कर रही एजेंसी को बदलने की चेतावनी दी। अधिकारियों ने बताया कि आईटी सेल इंचार्ज डाक्टर से बात की जाएगी। आईटी सेल इंचार्ज एक डाक्टर को बनाने पर चिकित्सा मंत्री ने आक्रोश जताया। उन्हांेने कहा कि डाक्टर का काम इलाज करना है, वे टेक्निकल कार्य कैसे करते होंगे? बहरहाल, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने केजीएमयू मंे काल सेंटर दुरुस्त करने के निर्देश दिये और जितने भी फोन आते हैं, उसका ब्यौरा दर्ज करने व एजेंसी को भुगतान प्रतिकाल करने को कहा है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जमीन पर बैठकर मरीज मोहन सिंह से बात की। मोहन ने बताया इलाज तो ठीक हो रहा है लेकिन बैठने की व्यवस्था नहीं है। डाक्टर के कमरे के बाहर कतार तक लगवाने वाला कोई नहीं है। हम फर्श पर बैठकर इंतजार करते हैं। डिप्टी सीएम ने इसकी व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है। वे डाक्टर के कमरे मंे भी गये और हाथ जोड़कर अभिवादन किया। डाक्टर को भगवान बताया। एक डाक्टर ट्यूब लाइट मंे एक्सरे देख रहे थे तो डिप्टी सीएम ने इसका कारण पूछा। पता चला कि एक्सरे देखने वाला व्यू बाक्स काफी समय से खराब है। चिकित्सा मंत्री यदि निरीक्षण न करते तो ये खामियां और उनके जिम्मेदार का पता नहीं लग सकता था।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले ब्रजेश पाठक ने छात्र जीवन से ही अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी और शुक्रवार को उन्होंने देश के सबसे बड़े राज्य में यह अहम मुकाम हासिल किया। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष पाठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में कानून मंत्री रहे थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ब्राह्मण समाज से दमदार नेता को खोज रही थी और पार्टी को ब्रजेश पाठक में एक दमदार ब्राह्मण नेता की छवि दिखी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बीजेपी ने पाठक को उनके इसी कार्य के लिए पुरस्कृत करते हुए उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया है। पाठक का जन्म 25 जून 1954 को हरदोई जिले के मल्लावां में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (एलएलबी) की उपाधि हासिल की। वह विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की राजनीति में सक्रिय रहे और 1989 में छात्र संघ उपाध्यक्ष चुने गये। इसके बाद 1990 में वह छात्रसंघ का अध्यक्ष चुने गये।
पाठक को 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरदोई के मल्लावां क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था और वह लगभग सवा सौ मतों के कम अंतर से पराजित हो गये थे। इसके करीब दो वर्ष बाद वह कांग्रेस छोड़ कर बसपा में शामिल हो गये। उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्नाव संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गये। इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें 2009 में राज्यसभा भेज दिया था।
पाठक, 2014 में उन्नाव से दोबारा लोकसभा चुनाव में बसपा से उम्मीदवार बनाये गये, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2016 में वह बीजेपी में शामिल हो गये।
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में पाठक को लखनऊ मध्य क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। उस चुनाव में पाठक ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा को पराजित कर यह सीट जीत ली और 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में कानून मंत्री बनाए गए थे। राजनीति में इतने लंबे करियर की वजह से ब्रजेश पाठक अबतक सियासत के मौसम को परखना सीख चुके थे। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले उन्होंने बीजेपी का कमल थाम लिया था। यूपी विधानसभा में यह उनकी पहली एंट्री थी और उन्हें मुख्यमंत्री योगी ने कैबिनेट मंत्री बनाया। इस बार उन्होंने लखनऊ कैंट से किस्मत आजमाई है और शानदार सफलता पाकर, उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं। (हिफी)