लेखक की कलम

शिवपाल ने ऐसे दी अखिलेश को ईदी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

चाचा शिवपाल बहुत दिनों से गरल अपने कंठ मंे रोके थे। वे दिल्ली मंे अमित शाह से मिले। लखनऊ मंे सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले लेकिन यह भी कहा था कि वे भाजपा मंे नहीं जाएंगे। हालांकि इससे पहले अखिलेश यादव भाजपा को लेकर चाचा पर तंज कर चुके थे। ईद के दिन अर्थात् 3 मई को चाचा ने भतीजे को कठोर शब्दों की ईदी थमाई। शिवपाल ने कहा ‘जिसे हमने चलना सिखाया, वो हमें रौंदता चला
गया…। इसके बाद शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) को पुनः सक्रिय कर दिया। विधानसभा चुनाव से पहले प्रसपा की सभी इकाइयां भंग कर दी गयी थीं।
सियासी हालात का जायजा लेते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के चीफ शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा का दामन थामने के बजाए अपनी ही पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद उन्होंने प्रसपा की सभी इकाईयों को भंग कर दिया था और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मतभेदों के चलते ये कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। अब पार्टी की पुनर्गठन की प्रक्रिया से तय हो गया है कि वह खुद को मजबूत कर रहे हैं। इस बीच प्रसपा चीफ शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के नौ प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों का ऐलान कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव ने आशुतोष त्रिपाठी को युवजन सभा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया है। इसके अलावा नितिन कोहली को यूथ ब्रिगेड, दिनेश यादव को छात्र सभा, मोहम्मद आलिम खान को लोहिया वाहिनी, अनिल वर्मा को पिछड़ा वर्ग, शम्मी वोहरा को महिला सभा, संगीता यादव को सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, अजीत चैहान को अधिवक्ता सभा और रवि यादव को शिक्षक महासभा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। बता दें कि नौ प्रकोष्ठों में से दो की महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई है। सभी प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष का नियुक्ति पत्र प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( लोहिया) के राष्ट्रीय महासचिव और शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव ने जारी किया है। इसके साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने उम्मीद जताई है कि आप सभी के प्रयासों से पार्टी की नीतियों एवं कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने और संगठन को मजबूत, प्रभावशाली और सुगठित करने में सहायता मिलेगी।
शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज होकर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया था। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वह भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपने भतीजे के साथ आ गए। यही नहीं, उन्होंने सपा प्रमुख से 100 सीटों की मांग की थी, लेकिन बात एक सीट पर आकर थमी। सपा ने उनको अपने सिंबल पर इटावा की जसवंतनगर सीट से मैदान में उतारा था। हालांकि उन्होंने अपनी पार्टी का विलय सपा में नहीं किया था। यही नहीं, प्रसपा चीफ लगातार छठी बार विधानसभा पहुंचने में सफल हो गए। जबकि सपा विधायकों की बैठक में नहीं बुलाए जाने से शिवपाल सिंह यादव नाराज हो गए। इसके बाद वह दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मिले और फिर लखनऊ में सीएम योगी से मिलने की वजह से सियासी पारा चढ़ गया। इसके बाद शिवपाल यादव के भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गईं, लेकिन इस मामले पर प्रसपा और भाजपा की तरफ से कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया। वैसे सीतापुर जेल में बंद रामपुर विधायक आजम खान से मुलाकात के बाद शिवपाल सिंह यादव ने यूपी में नए मोर्चे के संकेत दिए हैं, जो कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना दम दिखाएगा।
शिवपाल यादव की इस बार की नाराजगी अकारण नहीं कही जा सकती। प्रसपा ने सब कुछ दे दिया लेकिन पाया क्या? समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने झांसी में चाचा (शिवपाल सिंह यादव) को लेकर बड़ा बयान दिया था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो चाचा को अपनी पार्टी यानी समाजवादी पार्टी का सदस्य ही नहीं मान रहे हैं। सीतापुर जेल में बंद आजम खां के बारे में उन्होंने कहा कि हम हर स्तर पर उनके साथ
रहे हैं। हालांकि आजम खान खफा हैं।
अब, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की ओर से संगठन के विस्तार का सिलसिला लगातार जारी है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के निर्देश पर कई प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन किया गया है। ज्ञात हो कि सपा के टिकट पर यूपी चुनाव जीते शिवपाल यादव ने बीते दिनों संकेत भी दिए थे। उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा था कि एक सप्ताह के भीतर गठन का कार्य पूर्ण हो जाएगा जिसके बाद अब उनके द्वारा 9 प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन कर दिया गया है।
शिवपाल यादव और उनके भतीजे व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच रार चुनाव परिणाम के बाद से ही खुलकर सामने आ रही है। परिणाम आने के बाद विधायक दल की बैठक में न बुलाए जाने से लेकर बीजेपी के नेताओं से मुलाकात तक कई ऐसे मौके आए हैं। बीते दिनों अखिलेश यादव ने तो खुलकर मंच से भी कह दिया था कि पता नहीं क्यों बीजेपी के लोग उनके चाचा को पार्टी में लेने में इतनी देर लगा रहे हैं। हालांकि अखिलेश के इस बयान के बाद शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को ही मजबूत करने का संकेत दिया था।
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव लंबे अंतराल के बाद यूपी चुनाव 2022 से ठीक पहले ही एक साथ आए थे। उससे पूर्व में भी दोनों के बीच काफी मतभेद देखे गए थे। हालांकि चुनाव के दौरान भी राजनीतिक जानकर यह कहते रहे कि शिवपाल यादव भले ही अखिलेश यादव के साथ दिख रहे हों लेकिन वास्तविकता में दोनों के बीच कुछ खटास जरूर शेष रह गई है। इसके बाद जब परिणाम सामने आए तो समय के साथ यह खटास भी खुलकर सभी के सामने आ गई।
प्रसपा की ओर से जारी की गई लिस्ट में आशुतोष त्रिपाठी को प्रदेश अध्यक्ष युवजन सभा, नितिन कोहली को प्रदेश अध्यक्ष यूथ ब्रिगेड, दिनेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष छात्र सभा, ई। मोहम्मद आलिम खान को प्रदेश अध्यक्ष लोहिया वाहिनी, अनिल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग, शम्मी वोहरा को प्रदेश अध्यक्ष महिला सभा, संगीता यादव को प्रदेश अध्यक्ष सांस्कृतिक प्रकोष्ठ, अजीत चैहान को प्रदेश अध्यक्ष अधिवक्ता सभा और रवि यादव को प्रदेश अध्यक्ष शिक्षक सभा बनाया जाना यही बताता है कि शिवपाल यादव अपनी पार्टी को सभी वर्गों से जोड़ना चाहते हैं। (हिफी)

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