लेखक की कलम

पलानी स्वामी ही अन्नाद्रमुक के नेता

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

स्वर्गीय जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक पर कब्जे के लिए उन्हीं के दो खादिम ओ. पन्नीर सेल्वम और इलापड्डी के पलानी स्वामी मंे झगड़ा चल रहा था। मामला अदालत में पहुंचा और मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री पलानी स्वामी को ही सही साबित किया। कोर्ट ने पन्नीर सेल्वम की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमंे आम परिषद का संचालन रोकने का अनुरोध किया गया था। अदालत का आदेश मिलने के बाद आम परिषद की बैठक हुई और उसमंे महासचिव पद को बहाल करते हुए ईके पलानी स्वामी को ही अंतरिम महासचिव चुना गया है। हालांकि इस बैठक के दौरान जमकर हंगामा हुआ। भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इस समय चल रहे दो गुटों के विवाद मंे भाजपा किसका साथ दे रही है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। तमिलनाडु मंे इस बार एमके स्टालिन की पार्टी द्रमुक सरकार में है। द्रमुक के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और इसका उसे राजनीतिक लाभ भी मिला था। अन्नाद्रमुक मंे तनाव पार्टी के विभाजन का कारण भी बन सकता है। इससे पहले ही स्वर्गीय जयललिता की सहेली और मुंह बोली बहन वीके शशिकला और उनके बेटे दिनाकरन ने पार्टी को तोड़ दिया था। राज्य की जनता ने उनको ज्यादा महत्व नहीं दिया। पन्;नीर सेल्वम और के. पलानी स्वामी के बीच विवाद तब बढ़ गया था जब जून 2022 में पार्टी के अंदर दोहरे नेतृत्व को खत्म करने की मांग उठी थी। इससे पूर्व ओपीएस और ईपीएस अर्थात् समन्वयक और सह समन्वयक के पद बनाये गये थे ताकि पार्टी को तानाशाही से बचाया जा सके। अब फिर से एक पद की व्यवस्था की जा रही है। पलानी स्वामी पहले भी भारी पड़े थे।
मद्रास उच्च न्यायालय ने अदालत के राजनीतिक दल के झगड़े में हस्तक्षेप नहीं करने की बात पर बरकरार रहते हुए अन्नाद्रमुक नेता एवं पूर्व समन्वयक ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) की आम परिषद की बैठक के संचालन पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका 11 जुलाई को खारिज कर दी कोर्ट के फैसले के बाद अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक में पार्टी के महासचिव पद को बहाल करने के लिए प्रस्ताव लाया गया, इडापड्डी के पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव चुना गया। अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक में समन्वयक और संयुक्त समन्वयक पद को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया गया। अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक में पलानीस्वामी को पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए अधिकृत किया गया, अंतरिम महासचिव के पद पर नियुक्त करके उन्हें पार्टी का सर्वेसर्वा बनाया गया।
अन्नाद्रमुक की आम परिषद की बैठक 11 जुलाई को एक मैरिज हॉल में हुई थी। इससे पहले न्यायमूर्ति
कृष्णन रामास्वामी ने फैसले में ईपीएस गुट को आम परिषद बैठक करने की अनुमति दे दी, जो तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल का सर्वोच्च निर्णायक निकाय है। ओपीएस और ईपीएस के वरिष्ठ वकीलों की लंबी दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने आठ जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आम परिषद की बैठक को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि कानून के अनुसार बैठक की जा सकती है। बैठक से पहले अन्नाद्रमुक मुख्यालय के बाहर पार्टी के कार्यकर्ताओं के दो समूहों के बीच यहां झड़पें हुईं। यह घटना तब हुई जब आम परिषद की बैठक में नेता इडापड्डी के पलानीस्वामी के गुट के लोगों ने उन्हें अपना नेता चुन लिया हैं। पूर्व समन्वयक ओ पन्नीरसेल्वम अपने समर्थकों के साथ पार्टी के कार्यालय पहुंचे जबकि पलानीस्वामी उस स्थान पर पहुंचे, जहां आम परिषद की बैठक हो रही थी। सुबह दोनों गुटों के कथित समर्थक पार्टी के झंडे के साथ पहुंचे टो और उनके बीच झड़पें हुईं। एआईडीएमके जनरल काउंसिल ने महासचिव पद को फिर से स्थापित करने और पार्टी के प्राथमिक सदस्यों द्वारा इस पद के लिए एक व्यक्ति का चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। चुनाव 4 महीने बाद होगा। एआईडीएमके जनरल काउंसिल ने पार्टी के दोहरे नेतृत्व को खत्म करने और पार्टी के लिए उप महासचिव पद सृजित करने का प्रस्ताव भी पारित किया।
तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी अन्नाद्रुमक इस समय गुटबाजी और अंतर्कलह से जूझ रही है। यह लड़ाई पूर्व सीएम एडप्पादी के. पलानीस्वामी और पूर्व डिप्टी सीएम ओ. पन्नीरसेल्वम के बीच है। साल 2016 में पार्टी प्रमुख जे. जयललिता के निधन के बाद पार्टी को एकजुट बनाए रखने के लिए दोहरे नेतृत्व की एक इनोवेटिव अवाधारणा को रखा गया था। ओपीएस और ईपीएस यानी कि समन्यवयक और सह-समन्वयक थे। वहीं ईपीएस यानी कि सह-समन्वयक पलानी स्वामी अब पार्टी के उपनियमों को बदलकर एकात्मक नेतृत्व पर लौटने की मांग कर रहा है। शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता सीवी षणमुगम ने कहा कि एआईएडीएमके की आम परिषद ने ओपीएस और ईपीएस के समन्वयक व सह समन्वयक के रूप में दिसंबर 2021 के चुनाव के संबंध में प्रस्ताव पेश नहीं किया, इसलिए दोहरे नेतृत्व का अस्तित्व समाप्त हो गया।
ओपीएस पार्टी का कोषाध्यक्ष था और ईपीएस मुख्यालय सचिव। ओ पनीरसेल्वम के वफादार और उप सचिव आर वैथिलिंगम ने तंजावुर जिले में पत्रकारों से बात करते हुए एकता और दोहरे नेतृत्व ढांचे की वकालत की। पत्रकारों से बात करते हुए, वरिष्ठ नेता और ईपीएस के वफादार सीवी षणमुगम ने कहा कि पिछले साल, ओपीएस और ईपीएस के पक्ष में नेतृत्व की दोहरी प्रणाली को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए पार्टी के उप-नियमों को बदल दिया गया था। उप-नियमों में संशोधन के बाद, ओपीएस और ईपीएस को निर्विरोध समन्वयक और सह-समन्वयक के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया। षणमुगम ने कहा कि इस तरह के संशोधनों ने यह अनिवार्य कर दिया है कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के दो शीर्ष पदों पर प्रत्याशियों का चुनाव पार्टी के प्राथमिक सदस्यों द्वारा एक वोट से किया जाना चाहिए। इन संशोधनों को पिछले साल पार्टी मुख्यालय में आयोजित कार्यकारी समिति की बैठक में एक प्रस्ताव को अपनाने के माध्यम से लागू किया गया था।

इस बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अन्नाद्रमुक के झगड़े का मजाक उड़ाया। षणमुगम ने द्रमुक अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन पर उनकी पार्टी का मजाक उड़ाने के लिए निशाना साधते हुए कहा कि इस तरह के मतभेद सभी राजनीतिक संगठनों में सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक एक लोकतांत्रिक ताकत है।
पलानीस्वामी ने संक्षिप्त संबोधन में पन्नीरसेल्वम को अपना ‘भाई’ बताया। हाल में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए वरिष्ठ नेता सी.वी. षणमुगम ने घोषणा की कि सामान्य परिषद सभी प्रस्तावों को खारिज करती है। के पलानी स्वामी को सजा हुआ ताज, तलवार और राजदण्ड भेंट किया गया। (हिफी)

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