लेखक की कलम

योगी की उत्तराखंड यात्रा

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तराखंड यात्रा केवल भावनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण नहीं थी। वह अपने पूर्व आश्रम की जननी से मिले। किसी संन्यासी के लिए यह दुर्लभ व विलक्षण पल होता है। इसके अलावा उन्होंने अपनी कार्यशैली के अनुरूप उत्तर प्रदेश के हित को भी महत्व दिया। उत्तराखण्ड के साथ मिलकर पर्यटन तीर्थाटन व अन्य विकास कार्यों को क्रियान्वित करने का मंसूबा व्यक्त किया। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की पारस्परिक समस्याओं का समाधान अन्तिम चरण में है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य से सम्बन्धित सभी समस्याओं का समाधान समयबद्ध ढंग से जन भावनाओं के अनुरूप कर लिया जाएगा। उन्होंने पौड़ी गढ़वाल, बिथ्याणी,यमकेश्वर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय परिसर में ब्रह्मलीन राष्ट्रसन्त महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया। योगी आदित्यनाथ संन्यासी है। पूरे विधि विधान से इस धर्म का पालन करते है। संन्यास ग्रहण करने के साथ ही उन्होंने अपने परिवार का त्याग कर दिया था। योगी आदित्यनाथ ने इस नियम का अंतःकरण से पालन किया। यह भी एक प्रकार की साधना है। योगी इस पर भी अमल करते है किंतु विशेषता यह कि उन्होंने संन्यास के साथ समाज सेवा का समन्वय किया। यह गोरक्ष पीठ की परम्परा रही है। भारतीय चिंतन में भी इसकी मान्यता है स्वयं संन्यासी के रूप में रहते हुए भी समाज की सेवा की जा सकती है। योगी आदित्यनाथ ने इस मार्ग का अनुशरण किया। वह पांच बार सांसद रहे। पांच वर्ष से मुख्यमंत्री है। किंतु पूर्व आश्रम परिवार से अनाशक्त रहे। समाज को परिवार मानते हुए संन्यास पथ पर सतत आगे बढ़ते रहे। विधान के अनुसार संन्यासी को एक बार अपने पूर्व आश्रम परिवार में जाना होता है। कोरोना आपदा के शुरुआती दौर में लॉक डाउन लगाया गया था। यह संकट नया था। इसके मुकाबले के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं थी। अल्प समय में व्यापक तैयारी करनी थी। उसी समय योगी आदित्यनाथ के पूर्व आश्रम पिता जी का निधन हुआ था। योगी की इस उत्तराखंड यात्रा ने उस प्रसंग को भी ताजा कर दिया। कुछ दिन पहले योगी ने लखनऊ के एक कार्यक्रम में गीता का श्लोक सुनाया था
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।।
योगी आदित्यनाथ समाज सेवा में इसी समर्पण भाव से कार्य करते है। योगी को जब अपने पिता के निधन का समाचार मिला वह कोरोना के मद्देनजर बनी टीम इलेवन के साथ मीटिंग में थे। एक तरफ पुत्र का व्यथित हृदय दूसरी तरफ समाज के प्रति कर्तव्य निर्वाह का बोध। मुख्यमंत्री के रूप में वह सबको कोरोना से बचाने व राहत पहुंचाने में लगे रहे। यह उनके लिए कठिन समय था। मन मे एक पल को कई विचार उपजे होंगे। लेकिन उन्होंने अपने को संभाला होगा। विचलित नहीं हुए। समाज धर्म पर चलने का निर्णय लिया।
इस संबन्ध में उनका बयान भावुक करने वाला था। स्वयं को संभालते हुए निर्णय लिया- लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार में हिस्सा ना लेने का निर्णय। उन्होंने कोर ग्रुप के साथ अपनी बैठक को पूरा किया। आपदा राहत का पूरा फीडबैक लिया। अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद कुछ पल के लिए अपने पिता की स्मृति में बालक आदित्यनाथ रहे। अकेले,भावविह्वल। उन्होंने कहा,
पूज्यनीय पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी,कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की तेईस करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका। इस बार उत्तराखण्ड यात्रा के दौरान योगी पूर्व आश्रम की माता से मिलने गए। इसके अलावा उन्होंने महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय में शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुजनों को सम्मानित भी किया। महंत अवेद्यनाथ जी का जन्म इसी भूमि पर हुआ था लेकिन वर्ष 1940 के बाद उन्हें इस धरती पर वापस आने का अवसर नहीं मिला। पूज्य गुरु महंत अवेद्यनाथ जी की प्रेरणा से यहां पर महाविद्यालय की स्थापना हुई थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड मिलकर तीर्थाटन व पर्यटन की दिशा में कार्य कर सकते है। दोनों ही प्रान्तों में भारतीय आस्था के स्थल है। काशी में बाबा विश्वनाथ के मन्दिर का रास्ता बहुत संकरा था। अब वहां उस परिसर में पांच लाख श्रद्धालु एक साथ आ सकते है। वर्तमान में प्रतिदिन वहां लगभग एक लाख श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए आ रहे हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर का निर्माण हो रहा है। इस मन्दिर के पूर्ण हो जाने के पश्चात वहां भी प्रतिदिन लगभग डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आएंगे। इन पावन स्थलों पर श्रद्धालु आएंगे। तीर्थाटन से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। आज उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य के रूप में विकास कर रहा है। उत्तर प्रदेश आज गुण्डागर्दी और दंगे से मुक्त है। उन्होंने कहा कि आस्था का सम्मान होना चाहिए। किन्तु आस्था के समक्ष आमजन की सुविधाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। उत्तर प्रदेश में जगह-जगह अनावश्यक शोर करने वाले सारे लाउडस्पीकर उतर गए हैं। अब तक एक लाख से अधिक लाउडस्पीकर उतर चुके हैं। भारत का कोरोना प्रबन्धन विश्व में सबसे अच्छा रहा है। नागरिकों को निःशुल्क कोरोना टेस्ट,निःशुल्क कोरोना का उपचार,निःशुल्क कोरोना वैक्सीनेशन, निःशुल्क राशन की
सुविधा उपलब्ध कराई गई है। गरीब परिवारों के लिए निःशुल्क राशन की व्यवस्था भी की गई है। ऐसे कार्य संवेदनशील सरकार ही कर सकती है। (हिफी)

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