विश्व-लोक

स्वीडन में कुरान जलाने वाले सलवान की गोली मारकर हत्या

स्वीडन में कुरान जलाने वाले एक व्यक्ति को गोली मार दी गई है। कुरान जलाने की घटनाओं के कारण मुस्लिम देशों में आक्रोश देखा गया था। पुलिस ने पुष्टि की है कि एक दिन पहले हुई गोलीबारी में इस शख्स की मौत हो गई। नस्लीय घृणा के मामले में स्टॉकहोम की अदालत सलवान मोमिका को लेकर गुरुवार को फैसला सुनाने वाली थी। 37 साल के सलवान मोमिका इराकी ईसाई शरणार्थी हैं. वह अप्रैल 2018 में स्वीडन आए थे और अप्रैल 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिला था। वह अपने फेसबुक पर खुद को नास्तिक और लेखक बताते हैं। मोमिका ने पिछले महीने 28 जून को स्टॉकहोम की सबसे बड़ी मस्जिद के सामने कुरान जलाया था। कुरान ईद-उल-अजहा के दिन जलाया था। मुसलमान कुरान को अल्लाह के अल्फाज के रूप में देखते हैं और कुरान के साथ इरादतन छेड़छाड़ या अनादर को घोर अपराध की तरह देखते हैं।
स्वीडिश पुलिस ने कुरान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन को बैन कर दिया था लेकिन स्वीडिश कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर यह पाबंदी हटा दी थी। बगदाद में प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से शिया मौलवी मोकघ््तदा अल-सद्र के समर्थक थे। ये विरोध-प्रदर्शन के दौरान स्वीडिश दूतावास की दीवार फांदकर परिसर में घुस में गए थे और आग लगा दी थी।
प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई थी। स्वीडन ने कहा है कि बगदाद दूतावास में उसके सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। इराक की सरकार ने स्वीडिश दूतावास में हमले की निंदा की है और कहा है कि इससे जुड़े 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने बयान जारी कर कहा था कि स्वीडन के राजदूत वापस चले जाएं। इराक ने स्वीडिश कारोबारियों की वर्क परमिट को निलंबित कर दिया है। इराक की सरकारी न्यूज एजेंसी आईएनए के अनुसार स्वीडन की टेलिकॉम कंपनी एरिक्शन की वर्क परमिट को भी रद्द कर दिया गया है। इराक ने कहा है कि स्वीडन बार-बार कुरान जलाने की अनुमति दे रहा है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। ईरान, तुर्की, कतर और सऊदी अरब ने भी स्वीडन में कथित इस्लाम विरोध प्रदर्शन को अनुमति देने की निंदा की है। स्वीडन को लेकर मुस्लिम बहुल देशों में काफी हलचल है। पोप ने भी कुरान जलाने की निंदा की है। इस महीने की शुरुआत में एक व्यक्ति को स्टॉकहोम में इसराइली दूतावास के सामने तोराह जलाने की अनुमति दी थी लेकिन वह व्यक्ति अपनी सुरक्षा डर के कारण जलाने नहीं गया था। हालांकि उस व्यक्ति ने बाद में कहा था कि वह दिखाना चाहता था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा होती है।

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