सम-सामयिक

पाक के सितम से कराहता बलूचिस्तान!

 

बलूचिस्तान पाकिस्तानी फौज के अत्याचार से कराह रहा है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तानी सेना आए दिन लोगों को परेशान करती रहती है। बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से अलग मुल्क की मांग कर रहे हैं। वहां की खनिज संपदा का पाकिस्तान सरकार भारी मात्रा में इस्तेमाल करती है. हालांकि, इसके बावजूद बलूचिस्तान के लोगों को सुख-सुविधा नहीं देती, जिसके वो हकदार है। इसकी वजह से बलूच विद्रोही समूह पनप रहे हैं, और वे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की 60 अरब डॉलर लागत वाली परियोजनाओं को निशाना बनाते रहे हैं।
इस वक्त पाकिस्तान में बलूचिस्तान के लोग हुक्मरानों के जुल्मों-सितम से तंग आ चुके हैं.। बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर पाकिस्तानी महिला यूट्यूबर सना अमजद ने एक बलूची शख्स से बात की। सना अमजद से बात करते हुए बलूची शख्स ने कई चैंकाने वाले खुलासे किए।

भारत का इतिहास तो युगों पुराना है। अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। बलूचिस्तान में माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज माता का है। बलूचिस्तान की भूमि पर दुर्गम पहाड़ियों के बीच माता का मंदिर है जहां माता का सिर गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान के राज्य मंज में स्थित हिंगोल नदी के पास स्थित पहाड़ी पर है। इस स्थान पर भगवान श्रीराम, परशुराम के पिता जमदग्नि, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देवजी भी आ चुके हैं। चारणों की कुल देवी हिंगलाज की माता ही थीं। ये चारण लोग बलूची ही थे और आज इनका नाम कुछ और कबीले से जुड़ा हुआ है। बलूचिस्तान में भगवान बुद्ध की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। यहां किसी काल में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था। पाकिस्तान में बलूच राष्ट्रवादियों के संघर्ष के कई लंबे-लंबे दौर चले हैं। पहली लड़ाई तो बंटवारे के फौरन बाद 1948 में छिड़ गई थी। उसके बाद 1958-59, 1962-63 और 1973-77 के दौर में संघर्ष तेज रहा। ये लड़ाइयां हिंसक भी रहीं, मगर अहिंसक प्रतिरोध के दौर भी चले। अलगाववादियों में लश्कर-ए- बलूचिस्तान और बलूच लिबरेशन यूनाइटेड फ्रंट प्रमुख हैं। 2006 में बलूच नेता अकबर बुगती को कत्ल कर दिया गया। इसके बाद संघर्ष और बढ़ गया।
पाकिस्तान की बर्बर कार्रवाई के चलते बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान सरकार के मुख्य ठिकानों पर हमले करने शुरू किए। राजधानी क्वेटा के फौजी ठिकाने, सरकारी इमारतों और फौजियों तथा सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाया जाने लगा। पाकिस्तान की फौजी कार्रवाई में सैकड़ों लोगों की जानें गईं और हजारों लोग लापता बताए जाते हैं जिनमें 2,000 महिलाएं और सैकड़ों बच्चे हैं। मानवाधिकार संगठनों के मोटे अनुमान के मुताबिक 2003 से 2012 के बीच पाकिस्तानी फौज ने 8000 लोगों को अगवा किया। 2008 में करीब 1100 बलूच लापता बताए जाते हैं। सड़कों पर कई बार गोलियों से बिंधी और अमानवीय अत्याचार के निशान वाली लाशें पाई जाती रही हैं।
पाक अधिकृत कश्मीर में कई आतंकवादी कैंप चल रहे हैं, जो भारतीय कश्मीर को जला रहे हैं। आजादी के लगभग 40 वर्षों तक कश्मीर के सुन्नी लोग आतंक की राह पर नहीं चले थे लेकिन बेनजीर और मुशर्रफ के काल के बीच उनको चरणबद्ध तरीके से भारत के खिलाफ खड़ा किया गया।

बलूची तो 1948 से ही अपनी आजादी की जंग लड़ रहे हैं। उन पर एक ओर से जहां पाकिस्तानी फौज अत्याचार कर रही है वहीं दूसरी ओर लगभग 2010 से पाकिस्तानी तालिबान और कट्टर सुन्नी गुटों-लश्कर-ए- जांघी और जमायत-ए-इस्लामी ने भी अपने हमले तेज कर दिए हैं जिसके चलते अब बलूचों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। ये कट्टरपंथी सुन्नी संगठन बलूच मुसलमानों के साथ ही हिन्दुओं और शिया समुदाय तथा अन्य अल्पसंख्यकों को भी निशाना बनाते हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक इन हमले से हजारों अल्पसंख्यकों की जानें चली गई और करीब 3,00,000 लोग विस्थापित हैं, जो सिन्ध और भारत में शरणार्थियों का जीवन जी रहे हैं।

दलील है कि बलूच आबादी में साक्षरता दर बेहद कम होने और हुनरमंद लोगों की कमी की वजह से ऐसा करना जरूरी है। पाक की इस नीति के चलते पाकिस्तान ने कई इलाकों में बलूचों को अल्पसंख्यक बना दिया गया है।
बलूचों का आंदोलन उस वक्त तेज हो गया, जब पाकिस्तान ने उनकी भूमि का एक बहुत बड़ा हिस्सा चीन के हवाले कर दिया। चीन यहां अपने दक्षिणी प्रांतों से पाकिस्तान में आर्थिक कॉरिडोर का एक अहम पड़ाव बनाना चाहता है। इसका निर्माण 2002 में शुरू हुआ। हालांकि इस पर पूरा नियंत्रण पाकिस्तान की संघीय सरकार का है। इसके निर्माण में चीनी इंजीनियर या मजदूर ही लगाए गए हैं। बलूच लोगों को तकरीबन इससे बाहर रखा गया है। आसपास की जमीनें भी कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों ने बलूच लोगों से लेकर भारी मुनाफे में चीन को बेच दी हैं।

दरअसल, चीन सामरिक दृष्टि से भारत और अन्य देशों से निपटने के लिए एक सुरंग बना रहा है। चीन और पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होते हुए 200 किमी लंबी सुरंग बनाने का समझौता किया था। रणनीतिक लिहाज से अहम इस इलाके में सुरंग को बनाने पर 18 अरब डॉलर का भारी-भरकम खर्च किए जाने की योजना है। पीओके से गुजरने वाले पाक-चीन आर्थिक गलियारे से चीन का सामरिक हित भी जुड़ा है।
पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह के अलावा कश्मीर का एक बहुत बड़ा भू-भाग अक्साई चिन पाकिस्तान ने चीन को दे दिया है, जहां पर पूर्ण रूप से चीन का ही नियंत्रण है।

भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार चीनी सेना पीओके में पाकिस्तानी सैनिकों को हथियार संबंधी ट्रेनिंग दे रही है। बीएसएफ की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनिंग प्रोग्राम राजौरी सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार चल रहा है। यह अभ्यास पाक के अग्रिम रक्षा ठिकानों पर हो रहा है, वहीं बीएसएफ की अन्य एक सूचना के मुताबिक श्रीगंगानगर सेक्टर के उस पार कुछ पाक सैन्य इकाइयों ने चैकियों पर रेंजर्स का स्थान ले लिया है। पाक सेना और रेंजर्स भारतीय सैनिकों और संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए रणनीतिक ठिकानों और चैकियों पर अचूक निशानेबाज तैनात करने की योजना बना रहे हैं।

हाल ही में बलूचिस्तान के लोग एक बार फिर पाक के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और हालात इशारा कर रहे हैं कि बलूचिस्तान पाक से जल्द अलग हो जाएगा। इस आजादी की लड़ाई में बलूचिस्तान को भारत की मोदी सरकार से भी काफी उम्मीदें बंधी है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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