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उद्योगपतियों के बेहतर काम से सरकार को मिलती है समाज कल्याण की ताकत: सीएम शिवराज

भोपाल। उद्योगपति हमारे प्रदेश की ताकत हैं। जब वे बेहतर काम करते हैं तो सरकार के पास सामाजिक क्षेत्र में और बेहतर काम करने की गुंजाइश बनती है। प्रदेश के समग्र विकास के लिए जितना जरूरी कृषि की प्रगति है उतना ही जरूरी औद्योगिक विकास भी है। मैं आपका अभिनंदन करने इसलिए आया हूं, क्योंकि आपके प्रयासों और प्रगति से प्रदेश और सरकार को शक्ति मिलती है। यह विचार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाम को यहां कुशाभाऊ ठाकरे सभागार (मिंटो हाल) में नईदुनिया-नवदुनिया द्वारा आयोजित कैप्टंस आफ इंडस्ट्री सम्मान समारोह में व्यक्त किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 40 अग्रणी उद्यमियों एवं उद्योगपतियों को कैप्टंस आफ इंडस्ट्री ट्राफी देकर सम्मानित किया। उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर हमको आर्थिक विकास करना होगा तो दूसरी ओर सामाजिक क्षेत्र में काम करके प्रदेश के सामने मौजूद चुनौतियों को दूर करना होगा। हमने ऐसा किया भी है। अनेक चुनौतियों का सामना करके विकास का रास्ता बनाया है। आर्थिक और सामाजिक विकास की जो गति है उसका भी श्रेय मैं आप उद्यमियों को ही दूंगा, क्योंकि आपने भी चुनौतियों के समाधान में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मुझे खुशी है कि अपने इन्हीं प्रयासों के कारण आपने यह मुकाम हासिल किया है और कैंप्टंस आफ इंडस्ट्री बने हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने सरकार की कमान संभाली तो मध्य प्रदेश के जीडीपी का आकार 71 हजार करोड़ रुपये था। आज यह बढ़कर 15 लाख करोड़ हो रही है। उस दौरान प्रदेश के कुल बजट का आकार 21 हजार करोड़ था, जबकि 2012 तक हमने एक लाख करोड़ का मुकाम हासिल किया। फिर 2021 तक हमने दो लाख करोड़ रुपये को पार किया। जब 2023-24 का बजट पेश किया तो इसका आकार तीन लाख 14 हजार करोड़ रुपये था। इसी बजट का चमत्कार है कि हमने पूंजी व्यय किया। शानदार राजमार्ग, सिंचाई परियोजनाएं, पावर प्लांट, सोलर प्लांट तक लगाए और लगाते जा रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था में हमारा योगदान बढ़ा है।
मुख्घ्यमंत्री ने उद्योगपतियों से कहा कि आप टैक्स पेयर्स हैं। कई बार चर्चा होती है कि यह टैक्स पेयर्स का पैसा है, लेकिन मैंने कहा यह सोशल सेक्टर है, इसमें धन लगाना पड़ेगा। विशेष तौर पर महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करने होंगे जो हम कर रहे हैं। लाड़ली लक्ष्मी और अब लाड़ली बहना इसी के उदाहरण हैं, जिन्होंने प्रदेश में महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ कर दी है। 2012 में मध्य प्रदेश में एक हजार पर 912 महिलाएं थीं, अब 976 बेटियां हैं।

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