लेखक की कलमसम-सामयिक

नीतीश सरकार का विवादित फैसला

 

बिहार मंे नीतीश कुमार की सरकार ने जातिगत सर्वे और 75 फीसद आरक्षण को लेकर विपक्षी दलों को बैकफुट पर कर दिया था लेकिन हिन्दुओं के त्योहार की छुट्टियां कम करके और मुसलमानों के त्योहार की छुट्टियां बढ़ाकर विपक्ष को हमला करने का मौका दिया है, साथ ही अनावश्यक विवाद भी खड़ा कर दिया है। नीतीश की सरकार अगर मुसलमानों के त्योहार की छुट्टी न बढ़ाती तो संभवतः इतना बवाल न होता। इससे साफ जाहिर है कि सरकार ने मुसलमानों का पक्ष लिया और हिन्दुओं का विरोध किया है। यह अल्पसंख्यक वोट बैंक के कारण किया गया है लेकिन इससे नीतीश कुमार सिर्फ अपनी पार्टी ही नहीं कांग्रेस और राजद को भी धर्म संकट में डाल रहे हैं। तमिलनाडु मंे हिन्दू धर्म को मलेरिया डेंगू जैसा बताने वाले एम स्टालिन के बेटे का समर्थन कांग्रेस नहीं कर सकी। अब बिहार की गठबंधन सरकार मंे शामिल कांग्रेस और राजद इस बात का जवाब कैसे देंगे कि हिन्दुओं के त्योहार मंे कटौती उचित है? तुष्टीकरण की राजनीति से विपक्ष और कमजोर होगा। परिवार कल्याण को लेकर इससे पहले नीतीश ने जो बयान दिया था, उससे भी उनके साथी काफी शर्मिन्दा हुए थे। नीतीश कुमार ने भी माफी मांगी थी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शिक्षा विभाग स्कूलों में छुट्टियों को लेकर सुर्खियों में है। शिक्षा विभाग ने 2024 का कैलेंडर जारी कर दिया है। इसमें हिंदुओं के कई पर्व की छुट्टियों को खत्म कर दिया गया है। विभाग द्वारा जारी कैलेंडर में रक्षाबंधन, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी की छुट्टी खत्म कर दी गई है। वहीं, मुस्लिम पर्व ईद में तीन दिनों की छुट्टी कर दी गई है। यह आदेश शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने जारी किया है।

शिक्षा विभाग ने वर्ष 2024 के लिए छुट्टियों की लिस्ट जारी कर दी है। 2024 कैलेंडर के अनुसार ग्रीष्मावकाश (क्रमांक-12) केवल विद्यार्थियों के लिए है। प्रधानाध्यापक/अध्यापक/शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी सरकारी कैलेंडर के अनुसार विद्यालय में आएंगे। अन्य शैक्षणिक/प्रशासनिक/कार्यालीय कार्य निष्पादित करेंगे। इस दौरान अभिभावक-शिक्षक बैठक होती रहेंगी। इसके साथ ही विभाग ने हिंदू पर्व रक्षाबंध्न, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, मकर संक्रांति, तीज, विश्वकर्मा पूजा और जिउतिया सहित अन्य त्योहारों की छुट्टी को रद्द कर दिया है। मुस्लिम त्योहारों में ईद, मुहर्रम और बकरीद की छुट्टी बढ़ा दी गई है।

इस प्रकार विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदू त्योहारों पर छुट्टियां कम कर दी हैं, जबकि मुस्लिम त्योहारों पर छुट्टियां बढ़ा दी हैं। बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने हिंदू विरोधी मानसिकता और हिंदुओं की भावनाओं को आघात करने वाला एक निर्णय लिया है। हिंदुओं के जितने पर्व थे, उन सभी त्योहारों की छुट्टियों को रद्द कर दिया और मुसलमानों के पर्व की छुट्टियों को बढ़ा दिया गया। इसे हम कदापि स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह हिंदू विरोधी मानसिकता का परिचायक है। ये इस बात को दर्शाता है कि नीतीश कुमार ने हिंदु समाज को जातियों में बांटकर उनका वोट लेने और मुस्लमानों को खुश करने के लिए उनकी छुट्टियों को बढ़ा दिया है लेकिन बिहार के लोग चुप नहीं रहेंगे। लोग सड़कों पर आएंगे। सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा, ये एक सेक्युलर स्टेट है। चाहे हिंदु स्कूल हो या मुस्लमान हो या ईसाई, पूरे राज्य में एक दिन छुट्टी होनी चाहिए। ये जो तुगलकी फरमान है, हिंदु विरोधी निर्णय है, हिंदूओं की भावनाओं को आघात करने वाला निर्णय है, इसको बीजेपी कदापि बर्दाशत नही करेगी। उन्होंने कहा कि हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं और अविलंब इसको वापस लेने की मांग करते हैं।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चैबे ने भी इसी मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि श्बिहार के कुर्सी कुमार तुष्टिकरण के सरदार हैं। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, तुष्टिकरण के सरदार-बिहार के कुर्सी कुमार। एक बार फिर चाचा-भतीजे की सरकार का हिंदू विरोधी चेहरा सामने आया। एक तरफ स्कूलों में मुस्लिम पर्व की छुट्टी बढ़ाई जा रही हैं। वहीं हिंदु त्योहारों में छुट्टियां खत्म की जा रही हैं। लानत है वोटबैंक के लिए सनातन से घृणा करने वाली सरकार को।
इससे पहले राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने जिस तरह से महिलाओं पर मंच से सेक्सिस्ट कमेंट किया था, वह शर्मनाक है। मोदी ने कहा कि राजद की संगत में जाने के बाद से नीतीश कुमार भाषा की मर्यादा और संवेदनशीलता खोते जा रहे हैं। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो पीयेगा, सो मरेगा, विरोधियों को तुम-तुमको कह कर संबोधित करना और पुरुषों के महिलाओं से रोज-रोज शारीरिक संबंध बनाने की बात महिलाओं की सार्वजानिक सभा में कहना अत्यंत अमर्यादित और आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा था भाजपा प्रजनन दर कम करने और जनसंख्या नियंत्रण का समर्थन करती है, लेकिन नीतीश कुमार जिस तरह से इसके लिए केवल महिलाओं की अशिक्षा और पुरुषों की मनमानी को गाली की तरह बयां कर रहे हैं, वह एक मुख्यमंत्री के लिए अशोभनीय है। मोदी ने कहा कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रजनन दर पर ऐसे सड़क-छाप बयान की मुख्यमंत्री से अपेक्षा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री यह बता कर युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं कि वे अपने कालेज जमाने में लड़कियों का पीछा किया करते थे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने भाषण में कहा था कि प्रजनन दर को रोकने को लेकर महिलाएं पढ़ लेंगी, तभी यह घटेगा। मर्द लोग तो हर दिन करते रहता है। उन्हें इस बात से मतलब ही नहीं होता कि हर दिन बच्चा पैदा नहीं करना हैं। पढ़ी-लिखी महिलाएं ही इस बात को अच्छे से समझती हैं कि उन्हें यह नहीं करना है। मुख्यमंत्री ने यह बात जब कही, तब वहां काफी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं। सम्राट चैधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने जिस तरह से प्रजनन दर रोकने को लेकर मर्दों के चरित्र की व्याख्या की है और महिलाओं को हर दिन बच्चा पैदा करने वाला बताया है। यह सीधे-सीधे अमर्यादित संबोधन है। सम्राट चैधरी ने वीडियो के साथ अपने कैप्शन में लिखा है कि “मुख्यमंत्री श्री कुशासन कुमार जी ने जिन अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया वह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। ऐसे शब्दों का प्रयोग कर वह मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कलंकित कर रहे हैं। इसके बाद नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उनके सहयोगी दल उनका बचाव नहीं कर पाये थे। अब मुस्लिम के धर्म पर छुट्टी बढ़ाने का औचित्य भी सहयोगी दल सिद्ध नहीं कर पाएंगे। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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