साधुओं पर हमले: नफरत की परिणति
बंगाल में पालघर जैसी घटना सामने आने के बाद बवाल मच गया है। हालही में यहां भारी भीड़ ने यूपी के 3 साधुओं को बच्चा चोर समझकर बेरहमी से पीटा है। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत लिया है। वहीं भाजपा ने ममता सरकार पर जमकर हमला बोला है। यह मामला पुरुलिया जिले का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसका 30 सेकंड का वीडियो भी वायरल हुआ। फिलहाल तृणमूल कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है।
भाजपा का दावा है कि मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा है।भारतीय जनता पार्टी के आइटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है। ममता बनर्जी के शासन में, शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को राज्य का संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में तीन साधुओं पर एक भीड़ द्वारा इस संदेह में हमला किए जाने का एक कथित वीडियो सामने आया है कि वे साधु के भेष में अपहरणकर्ता थे।
इस बीच, टीएमसी ने भाजपा पर घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश का आरोप लगाया।पुरुलिया पुलिस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह घटना गलतफहमी के कारण हुई। उसने कहा, ‘‘पुरुलिया में हाल की एक घटना तीन स्थानीय नाबालिग लड़कियों के साथ गंगासागर जाने वाले तीन साधुओं के बीच भाषा की दिक्कत के चलते गलतफहमी हो गई थी।‘लड़कियां डर गईं और स्थानीय लोगों ने साधुओं के साथ मारपीट की, उनके वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया और अपहरण के प्रयास का आरोप लगाया। स्थानीय पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और साधुओं को बचाया। पुलिस ने कहा कि इस संबंध में एक विशेष मामले के आधार पर 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उसने कहा, ‘‘साधुओं को हर संभव सहायता प्रदान की गई। घटना के संबंध में किसी भी तरह का सांप्रदायिक रंग नहीं है। सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति से कानून के मुताबिक सख्ती से निपटा जाएगा। पुरुलिया पुलिस की पोस्ट को टीएमसी मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा भी प्रसारित किया गया।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने घटना पर प्रतिक्रिया जताते हुए पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही है तुष्टिकरण की राजनीति बंगाल को कहां ले जा रही है यह प्रक्रिया हिंदू विरोधी बनाई जा रही है क्यो?’’
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ठाकुर ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के शासन में राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गयी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘पुरुलिया से चैंकाने वाली घटना, गंगासागर जा रहे साधुओं को टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र करके पीटा, जिसने पालघर घटना की याद ताजा कर दी। ममता बनर्जी के शासन में शाहजहां जैसे आतंकवादी को सरकारी संरक्षण मिलता है जबकि साधुओं को हिंसा का सामना करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल में हिंदू होना एक अपराध है।’’ मजूमदार ने साधुओं को गंगासागर मेले में उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
आपको बता दें कि इस से पहले साधुओं की नृशंस हत्या के कई मामले सामने आ चुके हैं। इनमें हर बार हिन्दू साधुओं पर बच्चा चोरी के प्रयास या इसी तरह का कोई अन्य संगीन आरोप लगाकर जानलेवा हमला किया गया है। एक बेहद निर्ममता व क्रूरता भरी वारदात 16 अप्रैल, 2020 को घटित हुई थी। महाराष्ट्र के पालघर जिले में कुछ असामाजिक लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बच्चों चोर समझकर दो साधुओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। साधु सूरत में एक अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे, तभी पालघर के एक आदिवासी गांव गढ़चिंचल में ग्रामीणों के एक समूह ने उनके वाहन को रोका और उन पर पत्थरों, लकड़ियों और कुल्हाड़ियों से हमला किया. घटना के संबंध में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मृतकों की पहचान 70 साल के कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 साल के सुशील गिरी महाराज के रूप में हुई थी। उनके साथ हिंसक भीड़ ने उनके ड्राइवर को भी मौत के घाट उतारा।मामले के तूल पकड़ने पर उनके ऊपर तरह तरह के इल्जाम लगाए गए। हालाँकि बाद में जब वीडियो आई तब इस हकीकत का खुलासा कि आखिर कैसे पुलिस की मौजूदगी में हिंसक भीड़ ने बेरहमी ने संतों को मारा। इस पूरे मामले की जाँच में यह भी खुलासा हुआ था कि यह हत्या जानबूझकर की गई और इससे कई राजनीतिक कोण भी जुड़े हुए थे। यह भी अंदाजा लगाया गया कि एनसीपी के इशारे पर ईसाई मिशनरियों ने घटना को अंजाम दिलवाया।
एक अन्य मामले में महाराष्ट्र के नांदेड़ में दो साधुओं की हत्या हुई। पीड़ितों की पहचान बाल ब्रह्मचारी शिवाचार्य महाराज गुरु और भगवान शिंदे के रूप में हुई। साधुओं को शव घर के बाथरूम से बरामद हुआ। पुलिस रिपोर्ट ने बताया कि कम से कम दो आरोपित चोरी करने के लिए घर में घुसे और जब साधुओं से उनका आमना-सामना हुआ तो चार्जिंग केबल से उनका गला घोंट दिया। इसके बाद आरोपितों ने 69,000 रुपए लूटे, लैपटॉप चोरी किया और बाकी वस्तुएँ भी नहीं छोड़ीं। कुल मिलाकर साधु के कमरे से 1,50,000 रुपए गायब थे। पुलिस ने इस संबंध में साईनाथ सिंघाड़े को गिरफ्तार किया था
सवाल यह है कि आए दिन साधुओं को हिंसा का शिकार क्यों बनाया जा रहा है क्या इस के पीछे सांप्रदायिक घृणा और नफरत काम कर रही है? क्या इस तरह के हमलावरों को कुछ राजनीतिक दल विशेष का संरक्षण प्राप्त है जो अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर साधुओं के हमलावरों का बचाव व हमलावरों का तुष्टिकरण करते हैं। इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर इन वारदातों के पीछे छिपी नफरत व आक्रामकता को बढ़ावा देने वाले लोगों की साजिश का पर्दाफाश किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)