राजस्थान में भजनलाल की उलझन
राजनीति भी कभी-कभी अजीब परीक्षा लेती है। अभी हाल ही राजस्थान मंे भाजपा ने स्पष्ट बहुमत से सरकार बनायी। राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा मंे पार्टी को 115 विधायक मिले। विपक्षी दल कांग्रेस को हालांकि 70 विधायक मिले लेकिन भजनलाल शर्मा की सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है। भाजपा हाईकमान ने यहां अपनी पार्टी के कुछ दिग्गजों को भी सबक सिखाया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और उनका खेमा नाराज भी बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री बनने के और भी दावेदार थे लेकिन मोदी- अमित शाह की रणनीति ने दिग्गजों को उनकी औकात बताने की ठान ली थी। इसलिए वसुंधरा राजे सिंधिया के कद को छोटा करने के लिए राजवंश की दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाया। पिछड़ा वर्ग से प्रेमचंद बैरवा को भी उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया। इसी के साथ भाजपा हाईकमान ने एक और काम किया। राज्य के चर्चित नेता सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी को बिना चुनाव जीते ही भजनलाल शर्मा सरकार मंे मंत्री बना दिया। भाजपा को उम्मीद थी कि श्रीगंगानगर जिले की श्री करणपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव मंे भी भाजपा ही विजयश्री का वरण करेगी। उपचुनाव का नतीजा आया तो भाजपा सकते में है। भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी को कांग्रेस के प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह कुन्नर ने 11 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया है। सरकार के मंत्री की पराजय के कई अर्थ लगाये जा रहे हैं। कुछ लोग इसे राज्य के दिग्गजों की उपेक्षा का नतीजा मान रहे हैं तो कुछ लोग भजनलाल की परीक्षा बता रहे हैं। टीटी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा हाईकमान भी लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए सतर्क हो गया है। कांग्रेस खेमे मंे इससे उत्साह होना स्वाभाविक है।
राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत पाने वाली बीजेपी श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधानसभा चुनाव में मात खा गई। पूर्व में कांग्रेस के कब्जे वाली श्रीकरणपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने यहां से चुनाव लड़ रहे पार्टी के उम्मीदवार सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया था। मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने यह बड़ा दांव खेला था लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रूपेन्द्र सिंह कुन्नर चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को करीब 11 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया है। सीट पर पूर्व में कांग्रेस ने अपने तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था लेकिन 25 नवंबर 2023 को होने वाले मतदान से पहले गुरमीत सिंह कुन्नर का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। लिहाजा चुनाव आयोग ने वहां मतदान टाल दिया था। 25 नवंबर को राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर ही मतदान हुआ था। उनमें से 115 सीटें बीजेपी और 69 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। शेष सीटों पर अन्य पार्टियों के प्रत्याशी और निर्दलीय विजयी हुए थे।
चुनाव आयोग ने यहां पांच जनवरी 2024 मतदान की तिथि घोषित की थी। इस पर कांग्रेस ने यहां अपनी सीट को बचाए रखने के लिए सहानुभूति का कार्ड खेलते हुए गुरमीत सिंह कुन्नर के बेटे रूपेन्द्र सिंह कुन्नर को प्रत्याशी घोषित किया था। भाजपा ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में बड़ा दांव खेला। उसने श्रीकरणपुर से पार्टी के घोषित प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को मंत्री बनाकर सबको चैंका दिया। अब भजनलाल के साथ भाजपा की भी किरकिरी हो रही है।
भाजपा के इस कदम का कांग्रेस ने विरोध भी जताया था और कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन और मतदाताओं को प्रभावित करने वाला है। उसने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की थी लेकिन चुनाव में मतदाताओं ने ही सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को नकार दिया और कुन्नर को जीता दिया। इस पर कांग्रेस खेमे में जबर्दस्त उत्साह का माहौल है। कांग्रेस की इस जीत के बाद पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा पर तंज भी कसे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने श्रीगंगानगर के श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कु्न्नर की जीत पर बयान में कहा कि जनता समझ गई है कि सरकार बनने के बाद भी हमारी ताकत कम नहीं हुई, उन्होंने कहा कि इसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिलेगा। राजस्थान में सरकार भाजपा की बनी लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में बहुत देरी हुई, यह कोई सरकार चलाने के तौर तरीके हैं?
करणपुर विधासभा सीट के चुनाव परिणाम को राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहली परीक्षा के रूप मंे भी देखा जा रहा है। दरअसल, बीजेपी के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को विधायक बनने से पहले ही बीजेपी सरकार में मंत्री बनाया गया है। भजनलाल शर्मा का मुख्यमंत्री बनना और सुरेन्द्र पाल को बिना विधायक बने मंत्री बनना कई लोगों को रास नहीं आ रहा था।
गहलोत ने राजस्थान की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, उनके तौर-तरीके अच्छे नहीं रहे हैं। उन्होंने राजस्थान में देरी से हुए मंत्रिमंडल विस्तार पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार बनीं, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार करने की मुख्यमंत्री को छूट नहीं दी गयी। यह कोई सरकार चलाने के तौर-तरीके हैं। श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत को बड़ी बताते हुए पूर्व राजस्थान सीएम गहलोत ने हा कि इसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिलेगा, क्योंकि राजस्थान की जनता पर पहले ही इनका प्रभाव खराब पड़ा है, ऐसे में कांग्रेस को फायदा मिलना तय है।
इस प्रकार राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में प्रचंड जीत दर्ज कर सत्ता में पहुंची भाजपा के लिए श्रीकरणपुर सीट पर करारी हार एक धक्का माना जा रहा है। हालांकि उससे बड़ा धक्का राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए है, जो अपनी पहली परीक्षा में पार्टी को जीत दिलाने में नाकाम रहे हैं। भाजपा के ही धुरंधर नेता उनकी तरफ सवालिया नजर से देख रहे हैं। सुरेन्द्रपाल टीटी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उनके पास अभी 6 महीने थे, जब वह सदन के सदस्य बन सकते थे लेकिन टीटी ने राज्यपाल कलराज मिश्र को इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल ने इस्तीफा मंजूर कर लिया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)