शरद चाचा पर भारी पड़ा भतीजा
बारामती तालुका में अजित पवार के काटेवाडी ग्राम पंचायत चुनाव में अजित पवार गुट को बड़ी सफलता मिली है। काटेवाडी की 16 में से 14 सीटों पर अजित पवार गुट ने जीत हासिल की है। काटेवाडी में पहली बार बीजेपी की एंट्री हुई है। काटेवाडी में बीजेपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है। काटेवाडी ग्राम पंचायत के नतीजे पर पूरे प्रदेश की नजर थी।
राजनीति में नाते-रिश्ते से ज्यादा तिकड़म महत्वपूर्ण होता है। दक्षिण भारत मंे तो यही कहानी देखने को मिली है। तमिलनाडु मंे एमजी रामचंद्रन की पत्नी को जनता ने ठुकरा दिया था और उनकी राजनीतिक फिल्मी शिष्या जयललिता को कंधे पर बैठाया। जयललिता ने अन्नाद्रमुक को कई बार सत्ता भी दिलाई। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश मंे एनटी रामाराव के परिवार को जनता ने ठुकरा दिया और उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। यह परिवर्तन राजनीतिक तिकड़म के चलते ही संभव हो सका। अब महाराष्ट्र मंे राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को उनके ही भतीजे अजीत पवार ने धूल चटा दी है। शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सत्ता के शिखर पर पहुंचाना चाहा लेकिन उनके भतीजे अजीत पवार ने भाजपा से मिलकर एकनाथ शिंदे सरकार मंे डिप्टी सीएम की कुर्सी प्राप्त कर ली। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे बताते हैं कि भतीजे ने अपने चाचा के गढ़ बारामती पर भी कब्जा कर लिया है। चाचा-भतीजे की लड़ाई का फायदा भाजपा भी उठा रही है। काटेवाड़ी ग्राम पंचायत मंे एनसीपी का दबदबा था लेकिन इस बार भाजपा ने पहली बार दो सीटें जीती हैं।
इसे राजनीति का तिकड़म ही कहेंगे कि मराठा छत्रप शरद पवार इस समय सियासत के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उनके भतीजे अजीत पवार ने उनकी राजनीति को हाईजैक कर लिया है। अजीत पवार ने पहले शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) मंे सेंध लगाकर उसे तोड़ दिया। इसी साल जुलाई में कई विधायकों को अपने साथ लेकर भाजपा समर्थित एकनाथ शिंदे सरकार मंे डिप्टी सीएम बन गये। अब उन्हांेने चुनावी मैदान में शरद पवार को धूल चटाई है। शरद पवार के गढ़ कहे जाने वाले बारामती मंे पंचायत चुनाव मंे अजीत पवार को भारी सफलता मिली है। बारामती तालुका की 32 मंे से 30 पंचायतों पर अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट को विजयश्री हासिल होने का यही मतलब लगाया जाता है कि शरद पवार की राजनीति को ही अजीत पवार ने हैक कर लिया है। गत 5 नवम्बर को 2359 ग्राम पंचायतों और 130 सरपंच के चुनाव हुए थे। इनमें 1300 से ज्यादा पदों पर भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट को जीत मिली।
बारामती तालुका में अजित पवार के काटेवाडी ग्राम पंचायत चुनाव में अजित पवार गुट को बड़ी सफलता मिली है। काटेवाडी की 16 में से 14 सीटों पर अजित पवार गुट ने जीत हासिल की है। काटेवाडी में पहली बार बीजेपी की एंट्री हुई है। काटेवाडी में बीजेपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है। काटेवाडी ग्राम पंचायत के नतीजे पर पूरे प्रदेश की नजर थी। एनसीपी में विभाजन के बाद यह पहला चुनाव है, इसलिए इस चुनाव का अलग महत्व हो गया है। क्या उपमुख्यमंत्री अजित पवार का गुट फिर जीतेगा या मतदाता बीजेपी को मौका देंगे? इस तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई थीं। वोटों की गिनती शुरू हुई। आखिरकार बहुप्रतीक्षित काटेवाडी ग्राम पंचायत के नतीजे आ ही गए। काटेवाड़ी में बीजेपी ने पहली बार दो सीटें जीती हैं। बीजेपी ने इस साल अजित पवार के गुट को कड़ी चुनौती दी थी। इसलिए बीजेपी ने दो सीटें जीतकर काटेवाडी में एंट्री की है। खास बात यह है कि वार्ड नं. 5 और वार्ड नं. 2 में एक बीजेपी का और एक बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। इन दोनों वार्डों में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और मां आशा पवार ने मतदान किया था। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विश्वास जताया था कि चुनाव के दौरान हमारी जीत होगी। इससे पहले काटेवाडी में बीजेपी का कोई उम्मीदवार नहीं चुना गया था। काटेवाडी में दो उम्मीदवार जीते हैं और ये मामला बीजेपी के लिए अहम है। बारामती के काटेवाडी में अजित पवार और बीजेपी के बीच टक्कर हुई। सत्ता संघर्ष के बाद क्या अजित पवार का अपने क्षेत्र में दबदबा कायम रहेगा? मतदान के दौरान अजित पवार गुट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, लेकिन अजित पवार ने काटेवाडी में अपना दबदबा बरकरार रखते हुए 14 सीटें जीत ली। पुणे जिले की 231 ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं। इस साल पुणे जिले में अजित पवार गुट की जीत हुई है। अजित पवार गुट ने 109 सीटें जीतकर वर्चस्व कायम कर लिया है। इसके बाद बीजेपी ने 34 सीटों पर जीत हासिल की है। कुल 229 सीटों में से कांग्रेस ने 25, शिंदे ग्रुप ने 10, ठाकरे ग्रुप ने 13, शरद पवार ग्रुप ने 27 और अन्य ने 11 सीटें जीती हैं। 231 में से दो सीटें एक मुलशी में और एक भोर में खाली हैं।
पुणे जिले को एनसीपी का गढ़ कहा जाता है। इस किले में सत्ता संघर्ष के चलते अजित पवार और शरद पवार दो गुटों में बंट गए हैं। इस जिले में कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर थी। सांसद अमोल कोल्हे, दिलीप वलसे पाटिल, अजित पवार, शरद पवार, हर्षवर्द्धन पाटिल की प्रतिष्ठा दांव पर थी। इसलिए इस चुनाव पर सभी का ध्यान गया। इस चुनाव में कई नेताओं ने अपना दबदबा कायम रखा तो कई नेताओं को झटका भी झेलना पड़ा। अमोल कोल्हे और दिलीप वलसे पाटिल को जुन्नर और अंबेगांव तालुका में बड़ा झटका लगा है। उन्हें अपने ही घरेलू मैदान पर हार स्वीकार करनी पड़ी। दिलीप वलसे पाटिल के प्रचार के बावजूद उनके सरपंच पद के उम्मीदवार संतोष टावरे हार गए हैं। जबकि शिंदे गुट के उम्मीदवार रवींद्र वलसे पाटिल को सरपंच चुना गया है। जुन्नार तालुका के सांसद अमोल कोल्हे की नारायणगांव सीट एनसीपी से हार गई है। नारायणगांव ग्राम पंचायत में उद्धव बालासाहेब ठाकरे समूह ने सत्ता बरकरार रखी है। उसके 17 में से 16 उम्मीदवार जीत गए हैं और सरपंच पद ठाकरे समूह के खाते में चला गया है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार के कामकाज की बदौलत शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की महायुति ने ग्राम पंचायत चुनावों में शानदार जीत हासिल की है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि विपक्ष ने एक साल सरकार पर तंज कसने और आलोचना करने में ही बिता दिया। उन्होंने कहा, ‘‘महायुति ने महा विकास आघाडी से कई गुना अधिक सीटें जीतीं।’’ उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन अगले साल के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 45 सीटें जीतेगा। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)