विदेश

चीन को अच्छी तरह समझ लें मुइज्जू

 

मालदीव हमारा छोटा भाई देश है। उसे समझाना हमारा दायित्व बनता है। अन्तरराष्ट्रीय परम्परा के अनुसार मालदीव के आंतरिक मामलों मंे हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता संभालने के बाद चीन के प्रति जिस तरह की मोहब्बत का इजहार किया है, उसके लिए उन्हंे चीन के बारे मंे बेहतर जानकारी कर लेना भी जरूरी है। चीन में मुस्लिम आबादी अर्थात् उइगर मुस्लिमों के साथ जिस तरह का अत्याचार किया जा रहा है, उसका मालदीव की मुस्लिम जनता को भी एहसास हो रहा होगा। मानवाधिकार समूह ने इसके लिए चीन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। इसलिए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को ़चीन के सभी इरादों को भलीभांति समझना होगा। चीन का समुद्र में अनुसंधान करने वाला जहाज जासूसी करने के लिए बदनाम रहा है। भारत ने इसीलिए मालदीव की समुद्री सीमा में चीन के जहाज के प्रवेश का विरोध किया था।

चीन उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार करता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है। चीन के अत्याचारों के ढेरों वीडियो सामने आ चुके हैं। यही वजह है कि मानवाधिकार समूह लंबे समय से चीन पर एक्शन की मांग कर रहे हैं। ऐसी ही मांग एक बार फिर से उठी है। उइगर मानवाधिकार नेताओं ने पूर्वी तुर्किस्तान क्षेत्र में उइगर, कजाख, किर्गिज और अन्य तुर्क समूहों के खिलाफ चीन के जरिए किए जा रहे नरसंहार और अपराधों को लेकर कार्रवाई की मांग की है। मानवाधिकार नेताओं ने ग्लोबल एक्शन की मांग ऐसे समय पर की है, जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 22 अप्रैल को 2023 की मानवाधिकर रिपोर्ट जारी की। इसमें दुनिया भर में हो रहे मानवाधिकर अपराधों की जानकारी है। ईस्ट तुर्किस्तान गवर्नमेंट इन एक्साइल (ईटीजीई) ने एक बयान में कहा, ईटीजीई पूर्वी तुर्किस्तान में उइगर, कजाख, किर्गिज और अन्य तुर्क समूहों के खिलाफ चीन के नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों पर पर्याप्त ग्लोबल एक्शन की मांग करते हैं।

उइगर मुस्लिमों पर समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बयान में कहा गया, इन अत्याचारों में सामूहिक नजरबंदी, जबरन मजदूरी और लगभग दस लाख तुर्क बच्चों को सरकार के जरिए ऑपरेट होने वाले फैसिलिटी में जबरन बंद करना शामिल है। ईटीजीई के विदेश मंत्री सलीह हुदयार ने कहा, चीनी सरकार और सीसीपी पूर्वी तुर्किस्तान पर अपने औपनिवेशिक कब्जे को बनाए रखने के लिए नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों को उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

ईटीजीई ने बताया कि मई 2014 में चीन की सरकार ने अतिवाद, अलगाववाद और आतंकवाद से निपटने के नाम पर पूर्वी तुर्किस्तान में उइगरों और अन्य तुर्क लोगों पर पीपुल्स वॉर का ऐलान किया और 2016 तक पीपुल्स वॉर मानवता के खिलाफ नरसंहार और अपराधों के रूप में तब्दील हो गया। इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय संगठनों की तरफ से कोई एक्शन नहीं लेना रहा। चीन ने लोगों को कन्संट्रेशन कैंपों में ठूसना शुरू कर दिया। लाखों लोगों को नजरबंद किया गया। ईटीजीई के बयान में बताया गया है कि सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि कैंपों में हजारों लोगों की नसबंदी की गई। महिलाओं के साथ दुष्कर्म किए गए और उनकी भी नसबंदी कर दी गई। लाखों लोगों को कैंपों में ठूसकर उनसे जबरन मजदूरी करवाने की भी जानकारी सामने आई। तुर्क और उइगर महिलाओं की चीनी पुरुषों से शादी करवाई गई। उइगर इलाकों में मौजूद धार्मिक और सांस्कृतिक इमारतों को ढहाया गया। तुर्क और उइगर भाषाओं पर पाबंदी लगा दी गई।

चीन में जो उइगर मुसलमान रह रहे हैं वो वास्तव में अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से संबंध रखते हैं। माना जाता है कि ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया के रहने वाले हैं। तुर्क मूल के उइगर मुस्लिमों की चीन के शिनजियांग प्रांत में कई लाख की आबादी है। ये तुर्की भाषा बोलने में सहज हैं। चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक मान्यता मिली है, उइगर उनमें ही शामिल हैं।

चीन के ऐसे रवैये को बावजूद चीन का जासूसी जहाज जियांग यांग होंग 03 मालदीव के तट पर आने वाला है। मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में चीनी जहाज की मौजूदगी ने संभावित जासूसी को लेकर चिंता बढ़ा दी है। मालदीव के लोग भी इसे खतरा मान रहे हैं। यूएई में मालदीव के पूर्व उप राजदूत मोहम्मद फैसल ने इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मालदीव के क्षेत्र में चीनी जहाज जियांग यांग होंग 3 की मौजूदगी इसकी पिछली गतिविधियों और क्षमताओं के कारण कई संभावित खतरे पैदा करती है। उन्होंने कहा, मालदीव सरकार ने आश्वासन दिया है कि जहाज की यात्रा पूरी तरह से पुनः पूर्ति के लिए है लेकिन कई संबंधित कारक हैं, जिनकी जरूरत पर विचार किया जाना चाहिए। फैसल ने कहा कि जहाज से पैदा होने वाला खतरा चिंताजनक है और इसे तुरंत मालदीव छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा, श्जहाज का चीन के फायदे वाले रणनीतिक स्थानों पर समुद्री रिसर्च करने का एक इतिहास है जो पानी के नीचे बुनियादी ढांचे, पनडुब्बी गतिविधियों और संचार केबलों से जुड़ी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए इसके इस्तेमाल के बारे में चिंता पैदा करता है लगभग 4,500 टन का उच्च तकनीक वाला चीनी रिसर्च जहाज मालदीव के जल क्षेत्र में वापस आ गया है। दो महीने पहले वह इस द्वीपसमूह देश के विभिन्न बंदरगाहों पर एक हफ्ता बिता चुका है।

मावदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद ही चीन समर्थक नेता के नेतृत्व वाली पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने आम चुनाव जीता है जिसमें 93 सदस्यीय पीपुल्स मजलिस में से 66 सीटें हासिल कीं। मुइज्जू पिछले साल इंडिया आउट के वादे पर सत्ता में आए थे और 21 अप्रैल को संसदीय चुनावों में भारी बहुमत से जीत के साथ उन्होंने अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। मालदीव की भारत से निकटता, लक्षद्वीप में मिनिकॉय द्वीप से बमुश्किल 70 समुद्री मील और मुख्य भूमि के पश्चिमी तट से 300 समुद्री मील दूर है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के जरिये चलने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों के केंद्र पर इसका स्थान इसे महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व देता है। इसलिए चीनी जासूसी जहाज की मौजूदगी मालदीव के साथ भारत के लिए भी खतरा है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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