एकनाथ शिन्दे की एक और जीत
महाराष्ट्र में शिवसेना के 16 विधायकों की योग्यता पर विधानसभा स्पीकर के ताजा फैसले से मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे को एक और विजय मिली है। इससे पहले पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर भी उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिन्दे ने पटकनी दी थी। विधायकों की योग्यता के मामले को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा था। यह मामला देश की सबसे बडी अदालत अर्थात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। कोर्ट ने स्पीकर को शीघ्रता से फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। लम्बे इंतजार के बाद फैसला आने के समय ही शिंदे गुट के तमाम विधायक पार्टी दफ्तर में जमा हुए। उद्धव ठाकरे ने दिन में ही स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एकनाथ शिंदे गुट में कुल 16 विधायक हैं। इनमें खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीपन भुमरे, तानाजी सावंत, यामिनी जाधव, महेश शिंदे, बालाजी कल्याणकर, रमेश बोरनारे शामिल हैं। इनको लेकर ही स्पीकर को फैसला सुनाना था। फैसला एकनाथ शिन्दे के पक्ष में है। इस प्रकार लगभग डेढ़ वर्ष से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चले आ रहे विवाद का 10 जनवरी 2024 को पटाक्षेप हो गया। साफ हो गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एकनाथ शिंदे ही बने रहेंगे। विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाते हुए एकनाथ शिंदे और उनके सहयोगी विधायकों को योग्य ठहराया।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधायकों की अयोग्यता पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी ही असल शिवसेना है। विधानसभा में फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश में सभी बिन्दुओं पर गहन विचार करते हुए यह फैसला लिया गया है। स्पीकर का 1215 पन्नों में फैसला आया है। राहुल नार्वेकर ने फैसले के चुनिंदा अंश पढ़कर सुनाए। उन्होंने वे बातें बताईं जिनके आधार पर यह फैसला लिया गया है। राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में सभी घटना पर अच्छे ढंग से प्रकाश डाला। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व निर्वाचन आयोग के फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना पार्टी बताया। उन्होेंने कहा कि सबसे अहम यह है कि असली शिवसेना कौन-सी है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया था। स्पीकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दोनों गुटों ने पार्टी के अलग-अलग संविधान का हवाला दिया है लेकिन उद्धव गुट द्वारा दिए गए पार्टी के संविधान पर तारीख नहीं थी, इसलिए वो मान्य नहीं किया गया। ठाकरे गुट ने जो एफिडेविट दाखिल किया था वह अमान्य है क्योंकि, 23 जनवरी 2018 में शिवसेना में चुनाव नहीं हुआ। इसलिए संविधान में जो अमेंडमेंट किया गया वो गलत है। इसप्रकार एकनाथ शिन्दे की कुर्सी बरकरार रही। फैसला सुनाने से पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा था कि अयोग्यता की सुनवाई पूरी हो चुकी है। वे नियमों के अनुसार फैसला लेंगे और उनके फैसले में सभी के साथ न्याय होगा।
उल्लेखनीय है कि जून 2022 में बाला साहब ठाकरे के अतिविश्वसनीय माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार का तख्ता पलट किया था। इसके बाद एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि पहले यही कहा जा रहा था कि एकनाथ शिन्दे को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस बनेंगे लेकिन भाजपा हाईकमान के अपने मापदण्ड हैं जिनका नमूना अभी एक महीना पहले मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ में सभी ने देखा था। इसी मापदण्ड पर एकनाथ शिन्दे को सीएम और देवेन्द्र फडणवीस को उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने को मजबूर किया गया। शिंदे ने अपने समर्थकों के साथ दावा किया कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है। इस पर उद्धव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य ठहराते हुए याचिका दाखिल की थी। इस याचिका के बाद ही एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराते हुए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने सारा मामला विधानसभा स्पीकर के पाले में डाल दिया कि स्पीकर ही विधायकों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला करेंगे। इसके लिए पहले तो 31 दिसंबर की तारीख तय की गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 10 जनवरी 2024 का दिन मुकर्रर कर दिया गया।
फैसला आने से पहले पूरे दिन महाराष्ट्र सहित देश के सियासी गलियारे में लगातार हलचल मची रही। महाराष्ट्र में शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट एक-दूसरे पर आरोप लगाते हुए देखे गए। शाम को फैसला आने के समय शिंदे गुट के तमाम विधायक पार्टी दफ्तर में जमा हुए। उद्धव ठाकरे ने दिन में ही स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
बहरहाल महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने तगड़ा झटका दिया है। स्पीकर ने यह साफ कर दिया कि एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं था। शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। स्पीकर नार्वेकर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उद्धव ठाकरे के पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है। उनका नेतृत्व संवैधानिक नहीं है। स्पीकर के फैसले से यह साफ हो गया कि एकनाथ शिंदे की मौजूदा सरकार को महाराष्ट्र में कोई खतरा नहीं है। वो आगे भी सीएम बने रहेंगे। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार से अलग होकर शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने तत्कालीन सरकार को गिरा दिया था जिसके बाद उन्होंने अपने बागी विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी के समर्थन से नई सरकार का गठन किया था। विधानसभा स्पीकर ने साफ कर दिया कि उद्धव गुट द्वारा 16 विधायकों को आयोग्य ठहराने की याचिका में दम नहीं है। एकनाथ शिंदे और उनके 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधित याचिका पर फैसला देते हुए विधानसभा स्पीकर ने कहा कि उद्धव गुट की याचिका नामंजूर की जाती है। महाराष्ट्र विधानसभा में अपना फैसला सुनाते हुए स्पीकर ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के परे मैं नहीं जा सकता। याचिकाकर्ताओं की दलील मुझे स्वीकार नहीं है। दोनों ही गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे थे लेकिन उद्धव गुट की दलील में दम नहीं है। शिवसेना संविधान में पक्ष प्रमुख का पद ही नहीं है। ऐसे में उद्धव का फैसला पार्टी का फैसला कैसे हो सकता था। एकनाथ शिन्दे का पक्ष ही उचित लगता है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)