आसमान से आग तो भाषण मंे शोले
मौसम प्रतिकूल होने से चुनाव प्रचार के साथ ही मतदान प्रतिशत भी प्रभावित हो सकता है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है, विगत दशकों से लोकसभा चुनाव मार्च-अप्रैल-मई में ही होते आए हैं, पर तापमान के मद्देनजर सभी को सावधान रहना होगा। मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, मई का महीना तपेगा। चिंता इसलिए भी ज्यादा है कि पिछला साल 2023 वर्ष 1901 के बाद सबसे गरम रहा था। क्या साल 2024 से हम राहत की उम्मीद कर सकते हैं? इस साल गरमियों में कुछ इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार भी जा सकता है। शहरों को विशेष रूप से जल की व्यवस्था दुरुस्त रखनी पड़ेगी।
अठारहवीं लोकसभा के लिए होने जा रहे आमचुनाव एक ओर पीक गर्मी के दिनों में संपन्न होने जा रहे हैं। नेता तो एअरकंडीशन्ड गाडियों में घूम रहे हैं लेकिन कार्यकर्ता और वोटर गर्मी में तप रहे हैं। वहीं नेताओं के बिगड़े बोल तपिश को और अधिक बढ़ा रहे हैं। हाल ही में जिस तरह राजद नेता तेजस्वी यादव की सभा में मौजूद किसी व्यक्ति ने मंच के सामने से चिराग पासवान की माता के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर विडियो वायरल की वह राजनीति में आ रही गिरावट को बताने के लिए पर्याप्त है। कभी खुद बेल पर चल रहे नेताओं की पार्टी की पुत्री प्रधानमंत्री को जेल में भेजने की बात कह रही है। अभी तक के चुनावों में मौजूदा चुनाव सबसे अधिक खराब भाषा और व्यवहार वाले हैं। तमाम मर्यादा टूट रही हैं। वैसे तो हर चुनाव में नेताओं की जुबान लड़खड़ाती रही है, मगर बिहार में इस बार कुछ अधिक हो गया। लालू यादव की बेटी और पाटलिपुत्र से आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती ने सरकार बनने पर पीएम मोदी को जेल भेजने की बात कही, तो लालू संविधान और आरक्षण खत्म करने पर जिन्दा आंख निकालने की धमकी दी। लालू के परिवार के करीबी एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने अपनी ही पार्टी की प्रत्याशी रोहिणी आचार्य को जिताने के बदले हराने की अपील कर दी। कुछ की अनजाने में जुबान फिसली तो कई ने जान-बूझकर शब्दों की मर्यादा तोड़ी। यह बद्जुबानी गर्मी को और बढ़ा रही है।
आपको बता दें कि भारत में सियासी तापमान के साथ ही मौसमी तापमान भी तेजी से बढ़ने लगा है। शहरों इलाकों में तापमान 40 डिग्री को छू रहा है वहीं उत्तर भारत के अनेक इलाकों में लू का प्रकोप शुरू हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपने ताजा पूर्वानुमान में महाराष्ट्र, उत्तरी गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में लू चलने की चेतावनी जारी की है। उत्तर भारत में कुछ इलाकों में चिलचिलाती गरमी से राहत रहेगी, पर ज्यादातर इलाके दिन के समय तपेंगे। कुछ जगहों पर बादल भी छाए रहेंगे, पर बादल के हटते ही तापमान के सभी जगह तेज होने का अनुमान है। बिहार के करीब एक दर्जन जिलों में लू का माहौल है, पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। उत्तर प्रदेश के भी अनेक जिलों में पारा 40 डिग्री के पार पहुंचने लगा है। तापमान या लू की चिंता इस साल इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि यह चुनावी समय है। बड़े पैमाने पर लोगों का आवागमन होगा और सभाओं का आयोजन होगा। अनेक जगहों पर हजारों लोगों की भीड़ जुटेगी और लोगों को परेशानी होगी। ऐसे में, अगर तापमान 40 या 45 के पार रहता है, तो संकट सताएगा।
मौसम प्रतिकूल होने से चुनाव प्रचार के साथ ही मतदान प्रतिशत भी प्रभावित हो सकता है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है, विगत दशकों से लोकसभा चुनाव मार्च-अप्रैल-मई में ही होते आए हैं, पर तापमान के मद्देनजर सभी को सावधान रहना होगा। मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, मई का महीना तपेगा। चिंता इसलिए भी ज्यादा है कि पिछला साल 2023 वर्ष 1901 के बाद सबसे गरम रहा था। क्या साल 2024 से हम राहत की उम्मीद कर सकते हैं? इस साल गरमियों में कुछ इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार भी जा सकता है। शहरों को विशेष रूप से जल की व्यवस्था दुरुस्त रखनी पड़ेगी। आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, पर आने वाली बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने लगा लिया है। इस साल जून और सितंबर के बीच सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश होने की संभावना है।
ध्यान रहे, पिछले वर्ष देश में सामान्य से कम बारिश हुई थी, इसलिए इस बार सामान्य से अधिक बारिश किसी खुशखबरी से कम नहीं है।
पूर्वानुमान के अनुसार, देश भर में वर्षा की कुल मात्रा पांच प्रतिशत की त्रुटि आशंका के साथ लंबी अवधि के औसत का 106 प्रतिशत रहेगी। वैसे मई के अंत में मौसम विभाग बारिश से जुड़े सुनिश्चित अनुमान लगाने में सक्षम होगा। फिलहाल, समुद्री तापमान के ढर्रे में अपेक्षित बदलाव और उत्तरी गोलार्ध में बर्फ की मात्रा को देखते हुए सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान लगाया गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार अभी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। देश में सामान्य से अधिक मानसून की 31 प्रतिशत संभावना है, जबकि सामान्य से कम मानसून की 8 प्रतिशत संभावना है और कमजोर मानसून की केवल दो प्रतिशत संभावना जताई गई है। वास्तव में, हमें मौसम के बारे में समग्रता में सोचना चाहिए। ज्यादा गरमी भी ठीक नहीं और न ज्यादा बारिश, पर जलवायु परिवर्तन का जो हाल है, उसके अनुसार, हमें दोनों ही परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, एक बार जरूर सोचना चाहिए कि अत्यधिक तापमान या अत्यधिक बारिश की स्थिति से बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं। चुनाव के समय में पर्यावरण या मौसम राजनीति का केंद्रीय विषय भले न बना हो,लोगों के लिए यह विषय महत्वपूर्ण होना चाहिए।
यहां यह भी गौर तलब है कि यदि गर्मी ने प्रचंड तेवर अपनाए तो इस का असर मतदान पर होना लाजिमी है। यहां यह भी गौरतलब है कि शहरी वोटर धूप गर्मी से बचने के लिए जाना जाता है। यदि गर्मी के कारण वोटर कम निकला तो भाजपा को अधिक नुकसान हो सकता है क्योंकि शहरी वोटर गर्मी में मतदान करने के लिए कम निकलता है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा के मतों का प्रतिशत कम हो सकता है। दरअसल भाजपा का वोटर शहरी अधिक है और शहरी मतदाता धूप में निकलने से बचता है। यदि प्रचंड गर्मी के मौसम की मार से आहत मतदाता मतदान के लिए बाहर नहीं निकला तो मतदान का प्रतिशत काफी कम रह सकता है। थोडा सा कम मतदान तमाम पूर्वानुमान के आंकड़े बदल सकता है हार-जीत के फासले पर बहुत बड़ा असर डाल सकता है। हालांकि भाजपा इस खतरे को आंक चुकी है। हीटवेव के मुकाबले के लिए सरकारी स्तर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और तमाम राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की गई है। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)