विविध

समुद्र के सेनापति दिनेश त्रिपाठी

 

वायु और थल के साथ अब समुद्र की सीमा की रक्षा करना काफी जटिल हो गया है। वायु और थल की तो सिर्फ निगरानी ही करनी पड़ती है ताकि कोई दुश्मन घुसपैठ न कर सके लेकिन समुद्र मंे तो अथाह सम्पदा भरी है। इस सम्पदा के लिए चीन जैसे देश समुद्र मंे अपनी सीमा का उल्लंघन करने की कुचेष्ठा करते रहते हैं। हमारे देश के तीन तरफ समुद्र है और चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान समुद्र के तट पर हैं। सबसे ज्यादा खतरा चीन से ही है। हालंाकि 26 नवम्बर को पाकिस्तान के आतंकी समुद्र के रास्ते ही मुम्बई पहुंचे थे। इसलिए सावधानी हर स्तर पर बरतनी है। चीन के लिए मालदीव जैसे टापू भी भारत के निकट अपना युद्ध कैम्प बनाने मंे मदद कर सकते हैं। श्रीलंका मंे भी घुसने की चीन ने कोशिश की थी लेकिन वहां इसका विरोध किया गया। समुद्र में सुरक्षा के अलावा पेट्रोल की खोज भी की जा रही है। लाखों लोग मछली पकड़कर अपना परिवार पालते हैं। इस प्रकार समुद्र की निगहबानी अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है। हमारे देश मंे दिनेश कुमार त्रिपाठी को नया नौसेना प्रमुख बनाया गया है। उन्हें विशेष रूप से चीन की साम्राज्यवादी सोच को करारा जवाब देना है। उन्हें 30 अप्रैल 2024 को नौसेना प्रमुख का कार्यभार संभालना है। हालांकि भारत के पास भरपूर समुद्री ताकत है लेकिन चीन इस मामले मंे अब भी हमसे इक्कीस है। इसलिए नौसेना प्रमुख को समुद्री क्षेत्र की रखवाली बहुत सतर्कता से करनी होगी। आज से लगभग 400 साल पहले भारतीय नौसेना का गठन हुआ था। दुनिया की सबसे ताकतवर 10 नौसेनाओं मंे भारत सातवें स्थान पर है।

वाइस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी देश के नए नौसेना प्रमुख होंगे। वर्तमान नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के सेवानिवृत्त होने पर 30 अप्रैल को वह नया पदभार संभालेंगे। सैनिक स्कूल रीवा के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल त्रिपाठी वर्तमान में नौसेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं और एडमिरल कुमार के पद छोड़ने पर वह नौसेना में सबसे वरिष्ठ अधिकारी होंगे। सरकार ने उन्हें नौसेना में शीर्ष पद पर नियुक्त करते समय वरिष्ठता क्रम का अनुपालन किया। फिलहाल कार्मिक प्रमुख के रूप में कार्यरत वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन को नौसेना का अगला उप प्रमुख बनाया जा सकता है। वाइस एडमिरल त्रिपाठी का 15 मई 1964 को जन्म हुआ था और एक जुलाई 1985 में वह भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ वाइस एडमिरल त्रिपाठी का करीब 30 वर्ष का लंबा और विशिष्ट करियर रहा है। नौसेना के उप प्रमुख का पद संभालने से पहले वह पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं। उन्होंने आईएनएस विनाश, किर्च और त्रिशूल की भी कमान संभाली थी। उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया है जिनमें पश्चिमी बेड़े के बेड़ा संचालन अधिकारी, नौसेना संचालन के निदेशक, प्रमुख निदेशक, नेटवर्क केंद्रित संचालन और प्रमुख निदेशक, नौसेना योजना शामिल हैं। रियर एडमिरल के तौर पर वह ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रह चुके हैं। वह भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला के कमांडेंट भी रह चुके हैं। सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल त्रिपाठी ने गोवा के नेवल वॉर कॉलेज और अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में भी कोर्स किया है। उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) और नौसेना मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।

एडमिरल आर हरि कुमार 30 अप्रैल को रिटायर होने जा रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद वाईस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी नौसेना का पदभार संभालेंगे।वाइस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, पीवीएसएम, एवीएसएम, एनएम, वर्तमान में नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वह 30 अप्रैल, 2024 की दोपहर से देश के नए नौसेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे। भारत सरकार ने उनको नया नौसेना प्रमुख नियुक्त किया है।

हाल ही हमारे कुछ निकटतम देशों का रुख बदला है। मालदीव को भारत द्वारा उपहार में दिए गए विमान के संचालन के लिए तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों का दूसरा समूह राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मांग के अनुसार द्वीप राष्ट्र से रवाना हो गया है। नौ अप्रैल को मालदीव से रवाना होने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों के दूसरे समूह में वे भारतीय सैनिक थे जो डोर्नियर विमान का संचालन कर रहे थे। पहले यह माना जा रहा था कि द्वीप राष्ट्र से रवाना होने वाले भारतीय सैन्यकर्मी एक हेलीकॉप्टर का संचालन कर रहे थे। चीन समर्थक माने जाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था, पहली टीम पहले ही जा चुकी है। अब नौ अप्रैल को दूसरे प्लेटफॉर्म से भी सैनिक हटा लिए गए हैं। मुइज्जू ने अपने देश से भारतीय सैन्य कर्मियों के पहले समूह की वापसी के लिए 10 मार्च की समय सीमा तय की थी। इस प्रकार भारत के लिए मालदीव अब सुरक्षित नहीं है।

मालदीव और भारत के बीच फरवरी में हुए समझौते के तहत, नयी दिल्ली ने देश द्वारा उपहार में दिए गए सैन्य विमानों के संचालन की देखरेख के लिए मालदीव में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों के स्थान पर भारत से प्रशिक्षित नागरिकों की तैनाती पर सहमति जताई थी। मुइज्जू ने कहा, एक ही प्लेटफार्म बचा है। जैसा कि दोनों देशों ने पहले ही हस्ताक्षर कर दिए हैं, उन्हें (बाकी भारतीय सैन्य कर्मियों को) भी 10 मई से पहले वापस बुला लिया जाएगा।
मालदीव सरकार के अनुसार, 88 भारतीय सैनिक मालदीव में एक हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान को संचालित करने के लिए तैनात थे। इससे समुद्र भी सुरक्षित था।

दुनिया में सबसे ताकतवर नौसेना की बात की जाए तो 10 सबसे ताकतवर नौसेनाओं में से सातवां नंबर भारतीय नौसेना का है। करीब 400 साल पहले 1612 में भारतीय नौसेना का गठन हुआ था। तब इसे रॉयल इंडियन नेवी कहा जाता था। अभी कुछ दिनों पहले ही अरब सागर में सोमालियाई तट पर एक जहाज को समुद्री लुटेरों ने बंधक बना लिया था, जिसे भारतीय नौसेना की स्पेशल फोर्स ने छुड़़ा लिया है और जहाज में मौजूद सभी 21 लोगों को सुरक्षित बचा लिया है। भारतीय नौसेना का यह ऑपरेशन कामयाब हुआ है। दुनिया के किसी भी देश को अगर तरक्की करनी है तो फिर उसे देश की सेना का और खास तौर पर नौसेना का मजबूत होना बेहद जरूरी है भारतीय नौसेना को दुनिया की ताकतवर नौसेना में से एक माना जाता है। इसके इतिहास की बात करें तो यह करीब 400 साल पुराना है।

सन् 1612 में भारतीय नौसेना का गठन हुआ था। तब इसे रॉयल इंडियन नेवी कहा जाता था। इस सेना के प्रमुख भारत के राष्ट्रपति होते हैं। भारतीय नौसेना के प्रमुख कार्यों की बात की जाए तो इसमें परमाणु युद्ध होने से रोकना। समुद्री बचाव कार्य। और अगर युद्ध हुआ तो समुद्र में मोर्चा संभालना। भारतीय नौसेना की शक्ति की बात की जाए तो नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट करियर हैं। भारतीय नौसेना के 11 से ज्यादा बेस हैं, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा कर्नाटक और गुजरात में मौजूद हैं। भारतीय नौसेना के सबसे जरूरी काम है एम्यूनिशन सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस सपोर्स, मार्कोस बेस, एयर स्टेशन, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस, सबमरीन और मिसाइल बोट बेस आदि।
नौसेना के पास आठ टैंक लैंडिंग जहाज, 12 विध्वंसक, 12 फ्रिगेट, दो न्यूकिल्यर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन, 16 हमला सबमरीन, 22 कार्वेट, आठ लैंडिंग क्राफ्ट उपयोगिताएं, दस बड़े ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप, पांच फ्लीट टैंकर और इसके साथ ही कई सारे सहायक जहाज और छोटी पेट्रोलिंग बोट्स भी मौजूद हैं। इसलिए दिनेश त्रिपाठी को संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। (हिफी)

(मोहिता-हिफी फीचर)

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