सम-सामयिक

मोदी की छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों को सीख

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनेता ही नहीं एक अच्छे शिक्षक-मार्गदर्शक भी हैं। यह बात उन्हांेने कई अवसरों पर साबित भी की है। गत दिनों (29 जनवरी) को मोदी सर की क्लास मंे पीएम मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को ऐसा मार्गदर्शन दिया जिसके सिर्फ अच्छे ही परिणाम निकलेंगे। उन्हांेने छात्रों को अच्छे दोस्त बनाना, स्वस्थ प्रतिस्पद्र्धा करने और कठिन परिश्रम के साथ तनाव से दूर रहने का मंत्र दिया तो शिक्षकों को भी छात्रों के साथ बेहतर संवाद को जरूरी बताया। उन्हांेने कहा अगर छात्र अपने शिक्षकों को भूल जाए तो शिक्षक को सोचना चाहिए कि निश्चित ही उसमंे कोई कमी रह गयी है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मैंने कई शिक्षकों से पूछा कि आपके कुछ शिष्य तो बड़े होकर अपना घर बसा चुके होंगे। उनमंे से कितनों ने आपको अपनी शादी का निमंत्रण दिया। इस सवाल पर 99 फीसद शिक्षकों ने नहीं में जवाब दिया। जाहिर है कि ये शिक्षक अपने छात्रों से संवाद नहीं रख सके। शिक्षकों ने सिर्फ अपना जाॅब (नौकरी) किया। अगर वे अपने छात्र के घर जाकर कभी उनके माता-पिता को यह बताते कि आपका बेटा अमुक कार्य बहुत अच्छा करता है तो शायद वह छात्र अपनी शादी का निमंत्रण देने शिक्षक के घर जाता। इसी प्रकार पीएम मोदी ने अभिभावकों को अपनी महत्वाकांक्षा छात्रों पर थोपने से बचने की सलाह दी। पीएम मोदी की यह सीख शिक्षा के क्षेत्र मंे बड़ा बदलाव कर सकती है।

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि कंप्यूटर और मोबाइल के युग में हम लिखना भूल गए हैं। ऐसे में हमें लिखने की आदत डालनी चाहिए। हमें कोशिश करनी चाहिए कि सभी सवालों को परीक्षा में जाने से पहले खुद से लिख लेना चाहिए। लिखने से हमें पता चल जाता है कि हम किसी सवाल में कितना समय दे सकते हैं। पीएम मोदी ने देश भर के छात्रों को परीक्षा के बारे में टिप्स दी। पीएम मोदी ने कहा कि जिंदगी में परीक्षा कभी नहीं खत्म होती है। हमें पॉजीटिव और आत्मविश्वास के साथ इसका सामना करना चाहिए। परीक्षा सबकी जिंदगी में आती है। पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, किसी भी प्रकार के तनाव को झेलने के लिए खुद को मजबूत बनाएं। पीएम मोदी ने कहा कि अभिभावक भी बच्चे पर दबाव बनाते हैं। अभिभावक हमेशा दूसरे बच्चों का उदाहरण देते हैं। घर के सभी सदस्य बच्चों पर प्रेशर देते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। फैमिली को बच्चों से बात करनी चाहिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, मां बाप प्रेशर पैदा करते हैं। हमेशा बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं। घर में मां, पिता, भाई बहन। सभी मिलकर प्रेशर देते हैं। सबके होने के बाद टीचर भी प्रेशर देते हैं। ऐसे में मैं पैरेंट्स से गुजारिश करता हूं कि बच्चों की तुलना किसी से न करें। बच्चों के मन में द्वेष की भावना पैदा होती है। पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि आपको खुद से कॉम्पीटिशन करना है। 100 अंक में किसी के 90 अंक आते हैं तो किसी के कम। देखा जाए तो 100 अंक सबके लिए हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि खुद पर मेहनत करें। किसी से द्वेष न करें। पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि होशियार बच्चों से दोस्ती करें। उनसे द्वेष न करें। दोस्तों से कई विषयों पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कोई गणित में तेज है तो उससे गणित सीख लीजिए। कोई भाषा में तेज है तो उससे भाषा के बारे में जानकारी ले लिया जाए। दोस्ती के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि दोस्ती बिना लाभ-हानि के होता है। दोस्ती पूरी जिंदगी भर की होती है। हमें अच्छे दोस्तों से सीखने की जरूरत है।

पीएम मोदी ने शिक्षकों से कहा कि छात्रों के साथ गहरा नाता होना चाहिए। क्लास शुरू होने से लेकर क्लास खत्म होने तक छात्रों से जुड़े रहना चाहिए। ऐसे में बच्चों के तनाव दूर हो सकते हैं। फोन के जरिए बच्चों से संवाद करने की जरूरत है। शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप किसी खास विषय से जुड़े हुए नहीं है, आपको विषयों के अलावा कई मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए। पीएम मोदी ने शिक्षकों को कहा कि टीचर का काम जॉब करना नहीं है, जिंदगी बदलना है। जिंदगी बदल कर हम एक बेहतरीन भविष्य की शुरुआत कर सकते हैं।

पीएम ने पैरेंट्स से कहा कि परीक्षा के समय बच्चों का खास ख्याल रखना बंद करें। उन्हें कंफर्ट में रहने दें। नई शर्ट, स्पेशल खाने, कलम, ऐसे में बच्चों को तनाव शुरु होता है। पैरेंट्स से निवेदन और सुझाव है कि छात्रों को मस्ती में जीने दिया जाए। पीएम मोदी ने पढ़ाकू स्टूडेंट्स के बारे में कहा कि कई बच्चों को देखता हूं कि वे हमेशा किताबों से घिरे रहते हैं। घर से लेकर ट्रेन तक किताबों में घुसे रहते हैं। मोदी ने कहा कि एग्जाम हॉल में पहुंचने से पहले आराम से सांस लें। हंसे, चुटकुला सुनाएं, फालतू तनाव से दूर रहे। परीक्षा हॉल में कई बच्चे प्रश्न पत्र को लेकर चिंतित रहते हैं। उन्हें लगता है कि अगर किसी को पहले प्रश्न पत्र मिल गया तो उनके पास ज्यादा समय रहेगा। उन्होंने कहा कि कई बार पहले बेंच पर छात्रों को मौका मिलता है। ऐसे में छात्रों को लगता है कि प्रश्न पत्र बाद में मिलेगा। ये भी ये एक तनाव की वजह है। मैं छात्रों से गुजारिश करता हूं कि आप अपना ध्यान न भटकाएं। एकाग्र रहें। शांत रहें।
पीएम मोदी ने कहा कि कंप्यूटर और मोबाइल के युग में हम लिखना भूल गए हैं। ऐसे में हमें लिखने की आदत डालनी चाहिए। हमें कोशिश करनी चाहिए कि सभी सवालों को परीक्षा में जाने से पहले खुद से लिख लेना चाहिए। लिखने से हमें पता चल जाता है कि हम किसी सवाल में कितना समय दे सकते हैं। लिखने से हमें सवाल आसानी से समझ सकते हैं।

पीएम मोदी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आपको तैरना आता है तो आप घबराएंगे नहीं, आप आराम से तैरने लगेंगे। कुछ कमियां रहती है तो पानी में उतरते ही दूर हो जाती हैं। पीएम मोदी ने लिखने के बारे में कहा कि लिखने से हमारे विचार में बदलाव आते हैं। हमें हर समय लिखने की कोशिश करनी चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि मोबाइल सिर्फ सोशल मीडिया के लिए नहीं है, बल्कि मोबाइल की मदद से हम बहुत काम आसानी से कर सकते हैं। मोबाइल की मदद से हम अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। किसी प्रोजेक्ट को कर सकते हैं। डिक्शनरी, कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन आजकल के बच्चों ने दिमाग का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। मोबाइल का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा शास्त्रों में भी कहा गया है कि किसी भी चीज का अति नहीं करना चाहिए। हर किसी चीज में संतुलन का होना बेहद जरूरी है। आजकल बच्चों से लेकर पैरेंट्स तक, सभी मोबाइल का बेहद इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में आपसी संवाद होना बंद हो चुका है। पीएम मोदी ने लोगों को सलाह देते हुए कहा है कि खाना खाते समय मोबाइल से दूरी बनाने की जरूरत है। एक सामंजस्य बैठाने की जरूरत है। तकनीक समय की मांग है, ऐसे में हमें सामंजस्य बैठाकर इस्तेमाल करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे पैरेंट्स को मोबाइल के नए फंक्शन के बारे में बता सकते हैं। मोबाइल में बहुत ही अच्छी चीजें हैं। इस प्रकार विभिन्न मुद्दो पर पीएम मोदी ने छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों को मार्गदर्शन दिया। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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