सम-सामयिक

राहुल की दूसरी पद यात्रा

 

राहुल गांधी को राजनीति में आये काफी समय हो चुका है। इस बीच 10 साल तक उनकी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाले युनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए) की केंद्र में सरकार भी रही। राहुल गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी बैठ सकते थे। इस बात को भाजपा अच्छी तरह भुना सकती थी लेकिन कांग्रेस नहीं भुना पायी। कांग्रेस के पास स्वाधीनता संग्राम की बहुत ही समृद्ध थाती है जबकि भाजपा के पास सिर्फ क्रांतिकारियों की ढाल है। इसी लिए भाजपा को सरदार पटेल और बाबा भीमराव अम्बेडकर जैसे नेताओं को हाईजैक करना पडा है। इसके बावजूद भाजपा देश भर में कैसे छा गयी, यह बात राहुल गांधी की दूसरी पद यात्रा से पहले विचारणीय है । राहुल गांधी की मध्य भारत में यह लम्बी यात्रा होगी जिसकी शुरुआत मणिपुर से और समापन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म स्थल पोरबंदर पर होगा। कांग्रेस ने 14 जनवरी से शुरू होने वाली राहुल गांधी के नेतृत्व वाली मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा का नाम बदल दिया है। अब इसे ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के नाम से जाना जाएगा। यात्रा अरुणाचल प्रदेश समेत 15 राज्यों से होकर गुजरेगी। अगर भाजपा और संघ राम मंदिर के नाम पर करोड़ों लोगों से सम्पर्क कर सकती है तो कांग्रेसी भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकेंगे। हां, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जनता से प्रत्यक्ष संवाद कर उसे न्याय दिलाने के लिए है।

पिछले दिनों दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई बैठक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो की दूसरे चरण की यात्रा के नाम पर फैसला किया गया। इसमें पार्टी महासचिव, राज्य प्रभारी, राज्य इकाई प्रमुख और कांग्रेस विधायक दल के नेता मौजूद थे।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ हुई पार्टी की गठबंधन समिति की बैठक के दौरान सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे के रोडमैप पर भी चर्चा हुई। राज्यों की कांग्रेस इकाइयों के साथ तालमेल को लेकर हुई चर्चाओं के बाद गठबंधन समिति के सदस्यों अशोक गहलोत भूपेश बघेल मुकुल वासनिक सलमान खुर्शीद आदि ने चर्चाओं के आकलन समेत राज्यवार पार्टी के लिए नेता तय किये। बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के नये नाम की घोषणा की। पहले यात्रा का नाम भारत न्याय यात्रा था। जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस सभी भारतीय ब्लॉक नेताओं को इस यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित करती है। इसके लिए निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 6,713 किलोमीटर से अधिक की यात्रा बसों और पैदल तय की जाएगी। इसमें लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र शामिल होंगे।

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में अधिकतम सीटें हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाएगी। सीट बंटवारे की इस कसरत में यह लगभग तय हो गया है कि दिल्ली में कांग्रेस का आम आदमी पार्टी (आप) के साथ चुनावी गठबंधन होगा, मगर पंजाब में प्रदेश इकाई के जबर्दस्त विरोध को देखते हुए पार्टी राज्य में तालमेल से परहेज करेगी। बंगाल में पार्टी ममता बनर्जी के साथ गठबंधन को प्राथमिकता देगी और भाजपा से एकजुट मुकाबले की जरूरत बताते हुए वामदलों को साधने की कोशिश करेगी। हालांकि व्यावहारिक कठिनाई है। पश्चिम बंगाल में ईडी टीम पर हमला हुआ तो कांग्रेस के अधीर रंजन ने ममता सरकार की आलोचना की।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ पार्टी की गठबंधन समिति की बैठक के दौरान राज्यों की कांग्रेस इकाइयों के साथ तालमेल को लेकर हुई चर्चाओं के बाद गठबंधन समिति के सदस्यों अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद आदि ने चर्चाओं के आकलन समेत राज्यवार पार्टी के लिए अपेक्षित सीटों का खाका नेतृत्व के समक्ष रखा। इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद थे। समझा जाता है कि इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली-पंजाब, झारखंड में सीट बंटवारे की कठिन चुनौतियों के साथ महाराष्ट्र और तमिलनाडु के मसले पर भी गहरी मंत्रणा हुई। लगता है कि कांग्रेस राजनीतिक वास्तविकता को स्वीकार करने को तैयार है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ सीट बंटवारे पर अंदरूनी सहमति लगभग बन चुकी है जिसके तहत दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार पर आप तो तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। मगर पंजाब में दोनों पार्टियों के बीच तालमेल की गुंजाइश नहीं दिख रही है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के नेता इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
गठबंधन समिति ने सीट बंटवारे की राज्यवार जो रूपरेखा तैयार की है, उसके तहत कांग्रेस उत्तर प्रदेश की 80 में से 25 सीटों की सूची के साथ समाजवादी पार्टी से बातचीत शुरू करेगी और इसके आस-पास सीटें हासिल करने का प्रयास करेगी। बिहार में राजद-जदयू से आठ सीटें मांगेगी तो झारखंड में झामुमो नेता व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर 10 लोकसभा सीटें देने का दबाव बनाएगी। कांग्रेस का मानना है कि झामुमो को प्रदेश की राजनीति की कमान दी गई है तो राष्ट्रीय राजनीति में उसकी बड़े भाई की भूमिका बनती है। बंगाल में तूणमूल कांग्रेस दो सीटें देने को तैयार है, मगर कांग्रेस छह सीटों की अपनी सूची में से अधिकतम जितने पर बात बन जाए, उस पर दीदी को राजी करने का प्रयास करेगी।

महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटों में से कांग्रेस 21-23 सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा है तथा शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे के साथ सीट बंटवारे में दिक्कत नहीं आएगी। तमिलनाडु में भी कांग्रेस को द्रमुक से कोई दिक्कत नहीं है और पार्टी पहले की तरह आठ सीटें अपने खाते में आना सुनिश्चित मान रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय गठबंधन समिति की बैठक के बाद इसके संयोजक मुकुल वासनिक ने कहा कि हमने विभिन्न राज्यों के नेताओं से चर्चा की थी। पार्टी नेतृत्व को उससे अवगत करा दिया गया है और अब कांग्रेस सहयोगियों के साथ राज्यवार चर्चा कर सीटों के समझौते को सिरे चढ़ाएगी क्योंकि कांग्रेस का उद्देश्य आइएनडीआइए की केंद्र में सरकार बनाना है।
कांग्रेस यूपी से खरगे को चुनाव लड़ाकर दलितों को साधना चाहती है। हालांकि बसपा को भी गठबंधन से जोड़ने के प्रयास कांग्रेस की तरफ से किये जा रहे हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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