सम-सामयिक

जहर क्यों उगल रहे हैं विपक्ष के बदजुबान?

 

विपक्षी गठबंधन के कई नेताओं की जुबान इन दिनों जहर उगल रही है दक्षिण में एक राजा राम हनुमान और सनातन पर भद्दी टिप्पणी कर रहे हैं तो उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य जहर बुझे बयान देते रहते हैं उधर राहुल गांधी देश के दो उद्योगपति घरानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध को लेकर अनाप शनाप बयान दे रहे हैं लेकिन इन सबको पीछे छोड़कर राजद नेता लालू यादव ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है उस भाषा से देश भर में राजनीतिक गलियारे में गहमा गहमी बढ़ गई है वहीं लोगों में व्यक्तिगत रूप से अपशब्दों के प्रयोग को लेकर नाराजगी का भी माहौल बना है याद रहे कि लालू यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को परिवार न होने के लिए कोसा बल्कि माता जी के निधन पर मुंडन नहीं करने जैसे आक्षेप लगाकर उनके हिंदू होने पर भी सवालिया निशान लगाया। इस भाषण को लेकर न सिर्फ बीजेपी के केंद्रीय लीडरशिप में गहरा आक्रोश है वरन देश के करोड़ों जनमानस में भी गुस्सा है जो अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में राजनीतिक व व्यक्तिगत आस्था रखते हैं हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालू यादव द्वारा छोड़े गए विषैली बदजुबानी के बयान को चुनावी लड़ाई का हथियार बना दिया है उन्होंने मेरा भारत मेरा परिवार का नारा देकर विपक्ष की जमकर बखिया उधेड़ी है बल्कि विपक्षी दलों द्वारा अपने शासनकाल में अपने परिवारों के लिए जमीन से लेकर आकाश तक गबन घोटाले करने का आरोप खुले मंच से लगाया है देखते ही देखते लालू यादव के बयान पर बड़ा हंगामा खड़ा हो चुका है देश भर के अनेक शहर कस्बों में हम हैं मोदी का परिवार नारे लगी होर्डिंग हर चैराहे पर लग रही है तमाम चुनावी मुद्दों से इतर लालू यादव का एक जहरीला बयान एक चुनावी मुद्दा बन गया है और लालू यादव की बदजुबानी विपक्षी गठबंधन इंडिया पर भारी पड़ने वाली है अब इन सबके जवाब में भारतीय जनता पार्टीने सोशल मीडिया पर ‘मोदी का परिवार’ अभियान शुरू कर दिया। लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नाम के साथ ‘मोदी का परिवार’ लिख रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने मोदी पर हमलावर होते हुए ‘चैकीदार चोर है’ का नारा दिया था, जिसके जवाब में भाजपा ने ‘मैं भी चैकीदार’ अभियान चलाकर पूरी तस्वीर ही बदल डाली थी। चुनाव नतीजों के बाद कई विश्लेषकों ने माना कि मोदी पर निजी हमले का कांग्रेस को नुकसान हुआ था। उससे पहले, मणिशंकर अय्यर ने मोदी के बारे में ‘चायवाला’ और ‘
…आदमी’ जैसी टिप्पणियां की थीं, जो कांग्रेस को ही महंगी पड़ी थीं। मोदी ने कांग्रेस नेताओं के उन वाहियात शब्दों को ऐसे घुमाया कि वे बाद में कांग्रेस पर ही भारी पड़ गए। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था, जिसका परिणाम सब देख चुके हैं। नेतागण को चाहिए कि वे निजी और सार्वजनिक जीवन में ऐसे शब्दों का प्रयोग न करें, जो शिष्टाचार और मर्यादा के विरुद्ध हों। याद करें, महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता सामान्य बयान देने से लेकर भाषण तक में कितने सधे शब्द बोलते थे उनके शब्दों में विपक्ष से असहमति होने के बावजूद सम्मान का भाव होता था। वे किसी के निजी जीवन के बारे मेंकोई ऐसी टिप्पणी नहीं करते थे, जिसे सुनकर उसे कष्ट हो। राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को ऐसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, जिनसे अन्य नेता और कार्यकर्ता भी शिक्षा ले सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बदजुबानी का सिलसिला नया नहीं है हर चुनाव से पहले विपक्ष उन पर हमला करते हुए कुछ ऐसे ‘शब्दबाण’ छोड़ देता है, जिनका रुख बयानवीर की ओर ही हो जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी ऐसे बदजुबानी भरे शब्दबाणों पर बड़ी ही सूझबूझ से काबू पा लेते हैं तथा उन पर कुछ और धार चढ़ाते हुए दोबारा विपक्ष की ओर इस्तेमाल कर देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष ने इस बार भी वह बाण छोड़ दिया है, जिसे मोदी ने न केवल लपक लिया, बल्कि विपक्ष की ओर रवाना भी कर भी दिया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पटना में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ऐसे अनेक जहरीली बेजुबानी शब्दबाण छोड़ सकते थे, जिनके जरिए उनकी सरकार पर कई बार निशाना साधने का मौका मिलता, लेकिन उन्होंने उनके निजी जीवन पर प्रहार किया, जो गैर-जरूरी था। उनका यह बयान कि ‘अगर नरेंद्र मोदी के पास अपना परिवार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं’, राजनीतिक शुचिता और मर्यादा का उल्लंघन है। किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन को इस तरह निशाना नहीं बनाना चाहिए। कौन व्यक्ति घर-बार बसाता है,परिवार जोड़ता है कौन वैराग्य धारण करता है, यह उस व्यक्ति का निजी मामला है। स्वयं की स्थिति के आधार पर न तो किसी से ऐसी तुलना करनी चाहिए और न ही किसी को ताना मारना चाहिए। लालू यहीं नहीं रुके। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की माता के बारे में भी कुछ ऐसी टिप्पणियां कीं, जो उन जैसे अनुभवी नेता को नहीं करनी चाहिए थीं। उन्होंने खुले मंच और माइक से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मां की मौत पर मुंडन नहीं कराने का इल्जाम लगाते हुए हिन्दू होने पर सवाल उठाए। यह न सिर्फ बेहद शर्मनाक कृत्य है वरन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करोड़ों समर्थकों को भीतर तक चोटिल कर गया है।

यह बदजुबानी हर हाल में विपक्षी गठबंधन पर भारी पड़ सकती है और लालू यादव का बयान पिछले आम चुनाव में राहुल गांधी के चैकीदार चोर वाले बयान की पुनरावृत्ति हो सकता है जिस तरह चैकीदार चोर वाला बयान कांग्रेस के अपने लिए ही सूपड़ा साफ करने वाला साबित हुआ था उसी तरह इस बार परिवार वाला बयान परिवारवादी दलों के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। अब चारों ओर एक ही भाषण गूंज रहा है जिसमें प्रधानमंत्री परिवारवादियों ने देश की महंगी जमीन, खदान बेचने देश को लूटने और अपनी तिजोरिया भरने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री का मेरा देश ही मेरा परिवार नारा देश भर में चल निकला है इसके असर को झेलना विपक्ष के बूते से बाहर होगा। क्या एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी राजनीतिक किरदार को इस तरह की घटिया व निम्न स्तरिय सतही बेजुबानी करने की छूट दी जानी चाहिए ऐसे लोग संसद या विधानसभा में पहुंचकर किस भाषा और विचार की प्रक्रिया का इस्तेमाल करेंगे? यह विचारणीय है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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