राहुल व पित्रोदा के विरासत टैक्स का खेल बखेड़ा
कहते हैं कि इंसान में आयु और अनुभव से समझ विकसित हो जाती है लेकिन कांग्रेस के नेता व कथित नेहरू गांधी परिवार के चश्मे चिराग राहुल गांधी पर यह बात लागू नहीं होती है। हालांकि इस बार उन्होंने होमवर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन इसके बावजूद उनके जुबान से निकल रहे बयान कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर ही भारी पड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के एक सलाहकार और मास्टर माइंड सैम पित्रोदा ने ऐसे समय में अमेरिका मंे माता-पिता से मिलने वाली संपत्ति पर विरासत टैक्स का हवाला देकर और भारत मंे इस पर विचार करने की बात कहकर सारे खेल को ही बिगाड़ दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस को हाथों हाथ लिया है और कहा है कि कांग्रेस का मंत्र लूट है जो जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी। शहजादे और उनके सलाहकार देश के मध्यमवर्ग पर और अधिक टैक्स लगाने की योजना बना रहे हैं। माता-पिता से मिलने वाली सम्पत्ति पर भी विरासत (इनहैरिटैंस) टैक्स लेने की कांग्रेस की योजना है कांग्रेस का पंजा आपके बच्चों का अधिकार छीनने के लिए व्याकुल है।
चुनावी मौसम मंे विरोधी के तीरों को भी अपने पक्ष में करने की रणनीति बनायी जाती है। मौजूदा माहौल देखकर ऐसा लगता है मानो विपक्षी दलों का कुनबा इंडी गठबंधन सत्ताधारी दल से मुकाबला करने में जूझ रहा है। मतदाताओं को लुभाने के लिए वे किसी तरह की कमी नहीं छोड़ रहे। कांग्रेस ने तो गरीब महिलाओं के वोट खरीदने के लिए 1-1 लाख रुपये देने की घोषणा भी कर डाली है। आरक्षण की सीमा तोड़कर 50 प्रतिशत से आगे ले जाने, देश को पुनः जात-पात की आग में जलाने के लिए जाति आधारित जनगणना जैसे वादे भी कांग्रेस कर रही है। दूसरी ओर, भाजपा ने मानो हर बात को इस तरह पेश करने में महारत हासिल कर ली है कि कांग्रेस जो भी कहे और कर रही है, वह देश के लिए अत्यंत खतरनाक है।
वामपंथी सोच वाले सलाहकारों से घिरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी अति- उत्साह में कई बार ऐसी बातें बोल जाते हैं, जिनसे भाजपा को बड़ा मुद्दा मिल जाता है। एकाध बार हो जाए तो वह चूक या गलती मानी जा सकती है, किन्तु राहुल से बार-बार ऐसी गलतियां होती हैं, जिनका लाभ भाजपा उठाती है। अब चुनावी सभा में राहुल ने कह दिया कि सत्ता में आने पर अमीरों का धन लेकर गरीबों में बांट देंगे। 7 अप्रैल को हैदराबाद में राहुल ने कहा, हम पहले यह निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना करेंगे कि कितने लोग अन्य ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उसके बाद, धन के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएंगे। अब भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया है कि कांग्रेस की नजर आम जनता की कमाई पर है वह उसे छीनना चाहती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलीगढ़ में चुनावी जनसभा में कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन पर बहुत गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर आपकी कमाई और संपत्ति पर है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि उनकी सरकार आई तो कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है, उसकी जांच करेंगे। इतना ही नहीं, वह कहते हैं कि यह जो संपत्ति है उसको अपने कब्जे में लेकर सबको बांट देगी। यह उनका चुनाव घोषणा पत्र है। वह सर्वे करना चाहते हैं कि जो नौकरी पेशा कर्मचारी हैं उनकी कितनी सम्पत्ति है। यह सर्वे कराकर कांग्रेस सरकार के नाम पर सम्पत्ति को छीन कर बांटने की बात कर रही है। कांग्रेस यहां तक कह रही है कि अगर आपके पास दो घर हैं तो एक घर छीन लेगी। यह कम्युनिस्टों की सोच है, ऐसा ही करके कितने ही बर्बाद कर चुके हैं। अब यही नीति कांग्रेस पार्टी और इंडी में लागू करना चाहते हैं। भाजपा ने यह भी कहना शुरू कर दिया । कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कहते थे देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, अब कांग्रेस आपकी संपत्ति छीनकर उनको बांटने की तैयारी कर रही।
कल्पना कीजिए यदि महिलाओ में यह धारणा हो कि कांग्रेस की नजर वास्तव में उनके गहनों पर है तो क्या कोई महिला कांग्रेस को वोट देगी? केवल महिलाएं ही क्यों, यदि उच्च मध्यम वर्ग एवं अभिजात्य वर्ग में भी यह विचार आ गया तो वे भी कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। यह तो असल में अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा हो गया।बची कसर उनके तकनीकी गुरु सैम पित्रोदा ने पूरी कर दी है जो इन दिनों अमेरिका में हैं। उनके बयान भी पैतृक सम्पत्ति पर कर लगाने की बात कर रहे हैं। पित्रोदा के बयान ने कांग्रेस की फजीहत और बढ़ा दी है। एक तरफ कांग्रेस अपने नेता के बयान पर सफाई देने में जुटी थी, इस बीच पित्रोदा भी फूट पड़े और सारा रायता दोबारा बिखर गया है।
राहुल को अपने शब्दों का चयन बहुत सोच-समझकर करने की जरूरत है। उन्होंने धन के बंटवारे का जो शिगूफा छोड़ा है, वह न व्यावहारिक है और न ही उचित। यदि परिश्रम कर कमाने वालों का धन छीनकर निठल्लों को देने लगे तो देश में क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना मात्र डराने वाली है। ऐसी अराजकता पैदा करने वाली योजनाओं के बारे में सार्वजनिक दावे कोई भी राजनीतिक तौर पर परिपक्व नेता तो नहीं करेगा। अब भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी और कांग्रेस सफाई देती रह जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी राजनीति के मंजे खिलाड़ी हैं। उनका मुकाबला कर पाना राहुल जैसे नौसिखिए और समय की नजाकत से बेखबर उनके कांवेंट शिक्षित सलाहकारों के वश की बात नही है। ऐसे कमजोर रणनीतिक माहौल में उन क्षेत्रीय दलों का भी नुकसान हो सकता है जो अपने बूते पर मतदाता के बीच वजूद रखते हैं लेकिन अपने गठबंधन के नेता के ऐसे बयान उनके वोटर्स को भी भ्रमित कर सकते हैं। ऐसे गठबंधन को कौन वोट देगा जिसके नेता माता पिता की सौंपी विरासत पर टैक्स लगाने की योजना बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की सोच सही समय पर सामने आ गई है। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)