दिल्ली के एलजी की ‘सक्रियता’
लोकसभा चुनाव-2024 मंे दिल्ली की चर्चा कुछ ज्यादा ही रही हैं। शराब घोटाले मामले मंे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को गिरफ्तार किया है। वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल मंे बंद हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है। यह मामला कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने साफ-साफ कह दिया कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए कोर्ट नहीं कह सकता। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने जेल को भी चुनाव प्रचार का मुद्दा बनाया है। उधर, राज्य के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना भी सक्रिय हैं। उन्हांेने पिछले दिनों बयान जारी किया कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के जेल में रहने से जनता को मिल रही बिजली, पानी और बस सेवा से जुड़ी सब्सिडी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दरअसल, दिल्ली की जनता को मुफ्त बिजली, पानी और बस सेवा जैसी सुविधाओं का श्रेय अरविन्द केजरीवाल की सरकार ले रही है, उपराज्यपाल सक्सेना इसे केन्द्र सरकार का उपहार साबित करना चाहते हैं। इसी कड़ी में उपराज्यपाल सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के एक फैसले को पलट दिया है। एलजी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है। ये सभी वे कर्मचारी हैं जिनकी नियुक्ति दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति माॅलीवाल ने की थी। दिल्ली महिला आयोग (डीसी डब्ल्यू) के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है। मुख्य बात यह है कि दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति माॅलीवाल आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य भी हैं। स्वाति माॅलीवाल ने एलजी विनय कुमार सक्सेना के इस कदम को तुगलकी फरमान बताया है। माॅलीवाल इसे महिलाओं पर जुल्म की संज्ञा दे रही हैं। वह कहती हैं कि संविदा कर्मियों को अगर हटाया गया तो यह संस्था ही बंद हो जाएगी। इसी के साथ ही एलजी ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था मंे भी दखल देने की बात कही है।
दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों पर दिल्ली के उपराज्यपाल का बड़ा एक्शन हुआ है। दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है। एलजी के आदेश पर दिल्ली महिला आयोग ने अपने 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। दरअसल, ये सभी कर्मचारी वे कर्मचारी हैं, जिनकी नियुक्ति दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने की थी। आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मलीवाल ने नियमों के विरुद्ध जाकर बिना अनुमति के इनकी नियुक्ति की थी। आदेश में दिल्ली महिला आयोग एक्ट का हवाला दिया गया है, जो कहता है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं और ईसीडब्ल्यू के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है। दिल्ली महिला आयोग डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर की तरफ से जारी इस आदेश में ये भी कहा गया है कि नई नियुक्तियों से पहले जरूरी पदों का कोई मूल्यांकन नहीं हुआ था और न ही अतिरिक्त वित्तीय बोझ की अनुमति ली गई थी। बता दें कि फरवरी 2017 में तत्कालीन उपराज्यपाल को सौंपें गए इंक्वायरी रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई हुई है।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने से जनता को मिल रही बिजली, पानी और बस सेवा से जुड़ी मुफ्त सब्सिडी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दिल्ली के एलजी सक्सेना ने आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मंत्रियों पर जनता के बीच भ्रम फैलाने का आरोप भी लगाया। उप-राज्यपाल ने साफ किया कि कानून की उचित प्रक्रिया के तहत किसी व्यक्ति के जेल में रहने से दिल्ली में मिल रही बिजली, पानी और बस यात्रा सब्सिडी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के सब्सिडी को लेकर दिए जा रहे बयानों पर उपराज्यपाल कार्यालय ने ये बयान जारी किया। इस बयान में उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के ऑफिस की तरफ से कहा गया है कि एक पार्टी विशेष और मंत्री पद की शपथ लेने वाले मंत्री लोगों के बीच बिजली, पानी और बस यात्रा से जुड़ी सब्सिडी को लेकर भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं। ये योजनाएं केंद्र सरकार और उपराज्यपाल द्वारा पास किए जाने वाले बजट का हिस्सा हैं। इनका किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल से संबंध नहीं हैं। एक विशेष राजनीतिक दल के सदस्य और उसके मंत्री भ्रम पैदा करने के लिए साफ तौर से जानबूझकर झूठे और भ्रामक बयान दे रहे हैं। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में तिहाड़ जेल प्रशासन पर आरोप लगाया कि जेल मैन्युअल के मुताबिक सुनीता केजरीवाल और भगवंत मान से अरविंद केजरीवाल की मुलाकात करने के रोका जा रहा है। संजय सिंह बोले कि खूंखार कैदी बैरक में मुलाकात करते हैं, लेकिन सुनीता केजरीवाल और भगवंत मान को जंगले-शीशे से मुलाकात करने के लिए कहा जा रहा है। इस पर बीजेपी के नेता वीरेंद्र सचदेवा ने कहा अपनी जिद के चलते दिल्ली को संवैधानिक संकट में डाल रहे हैं।
उधर, दिल्ली की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की कवायद तेज हो गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं। पिछले दिनों ही दिल्ली की स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था पर एलजी ने श्वेत पत्र लाने की मांग की थी। इसी कड़ी में अब कुछ बड़े अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर और चिकित्सा अधीक्षकों की बदलने की तैयारी चल रही है। एलजी ऑफिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी और कुछ दूसरे सरकारी अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर बदले जाएंगे। लोकसभा चुनाव के दौरान लगे आचार संहिता के बीच स्वास्थ्य महकमे में इन डायरेक्टरों के बदलने की चर्चा जोर-शोर से शुरू हो गई है। पिछले दिनों ही दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसी क्रम में एलजी को जानकारी दी गई कि एलएनजेपी सहित दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर सालों से कुर्सी से चिपके हुए हैं। इसके बाद एलजी ने वैसे मेडिकल डायरेक्टरों की लिस्ट मांगी, जिन्होंने चिकित्सा अधीक्षक के रुप में अपना टर्म पूरा कर लिया है। इस लिस्ट में लोक नायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार का नाम सबसे ऊपर है। इन पर दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन को विशेष सुविधा देने का आरोप भी लगा था। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)