राजनीति

बिहार मंे सियासत के ‘चिराग’

 

राजनीति मंे चाचा-भतीजों का महाभारत उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुआ था लेकिन अब महाराष्ट्र मंे चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार तथा बिहार मंे चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच तनाव चर्चा में है। बिहार में सियासत के कई ‘चिराग’ जल रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कथित हनुमान अर्थात् चिराग पासवान की तनातनी समीकरणों को बदल सकती है। भाजपा ने पहले चाचा पशुपति को तरजीह दी थी और केन्द्र सरकार मंे मंत्री बना दिया था लेकिन अब भतीजे चिराग पासवान को लोकसभा चुनाव मंे जिस तरह से तरजीह दी गयी, उससे चाचा पशुपति पारस बगावत पर उतरते दिखाई पड़ रहे हैं। पिछले दिनों उन्हांेने यहां तक कह दिया था कि सम्मान नहीं मिला तो हमारे दरवाजे खुले हैं। भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी- लोकजनशक्ति पार्टी (पासवान) को पांच सीटें लड़ने के लिए दी हैं। चाचा पशुपति पारस को दरकिनार कर दिया गया है।

हालांकि भाजपा ने इससे एक तीर से दो निशाने लगाये हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी यह संकेत दिया गया है क्योंकि चिराग पासवान से नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव के समय से ही नाराज चल रहे हैं। नीतीश का मानना है कि चिराग पासवान के चलते ही जद(यू) के कई प्रत्याशी विधायक नहीं बन पाये थे। राज्य मंे लगभग आधा दर्जन नेता ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव के समीकरण बदल सकते हैं। बिहार मंे लोकसभा की 40 सीटें हैं।
इस बार सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी के सामने सबसे बड़ा सवाल ये था कि वो चिराग पासवान के साथ जाए या उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस से गठबंधन करे। बीजेपी ने चाचा की जगह भतीजे को साथ लेने का फैसला किया है। बीजेपी को लगता है कि वोटर चिराग पासवान के साथ हैं। बीजेपी ने चिराग पासवान के धड़े को पाँच सीटें देने का वादा किया है पासवान तक ये संदेश बीजेपी नेता मंगल पांडे के जरिये पहुँचाया गया। बीजेपी से डील के बाद पशुपति पारस कैंप के दो सांसद वीणा देवी और अली कैसर चिराग पासवान के कैंप में शामिल हो गए। जून 2021 में चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस अलग हो गए थे। पारस अपने साथ पाँच सांसदों को लेकर अलग हुए थे। पशुपतिनाथ पारस इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए थे।
बिहार के जातिगत सर्वे से पता चला है कि बिहार में पासवान जाति के लोगों की आबादी 5.3 फीसदी है। ऐसा माना जाता है कि पासवान जाति के लोगों के ज्यादातर वोट चिराग पासवान के पास ही है। पशुपतिनाथ पारस समर्थक नेताओं का कहना है कि वो बीजेपी की ओर से चिराग पासवान से आधिकारिक गठबंधन के एलान का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही वो अगला कदम उठाएंगे। पारस और उनके समर्थक नेताओं को एनडीए में लाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी लेकिन बीजेपी ने चिराग पासवान के साथ जाने का संकेत देकर यह जता दिया है कि एनडीए गठबंधन में किसकी चल रही है। इसी बीच सीटों का बटवारा हो गया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को बीजेपी के साथ सीट बँटवारे में 16 सीटें मिली हैं। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) को एक-एक सीट दी जा सकती है। बीजेपी इस बार भी 2019 की तरह 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पशुपतिनाथ पारस समर्थक नेताओं का कहना है कि वो बीजेपी की ओर से चिराग पासवान से आधिकारिक गठबंधन के एलान का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही वो अगला कदम उठाएंगे। चिराग पासवान को 5 सीटें मिलने के बाद पशुपति पारस अलग हो गये हैं। मल्लाह समुदाय के जनाधार वाली मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को भी एक सीट मिल सकती है।

चिराग को हाजीपुर से चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गयी है। हालांकि उनकी पार्टी जमुई, खगड़िया या समस्तीपुर सीट से चुनाव लड़ेगी या नहीं, ये अभी साफ नहीं है। चिराग पासवान की पार्टी के एक सूत्र ने बताया था खगड़िया और समस्तीपुर में उम्मीदवारों का चयन मुश्किल होगा। अगर बीजेपी समस्तीपुर रखती है तो वो उसे यहां किसे उतारेगी? उसके सामने पशुपतिनाथ पारस और रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई के बेटे प्रिंस राज के बीच किसी का चयन करना होगा।

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण के साथ-साथ राजनीतिक जोड़ तोड़ और वोटर को लुभाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज भी बिहार के सियासत के सबसे महत्वपूर्ण है।
लालू प्रसाद यादव लोकसभा चुनाव में विहार की राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले हैं। लालू प्रसाद यादव आज भी देश के सबसे चर्चित और लोकप्रिय नेताओं में से एक माने जाते है। अपने अलग अंदाज और भाषण की शैली से वोटरों को लुभाने की कला में इनका कोई सानी नहीं है। उम्र और सेहत इनकी समस्या हो सकती है लेकिन, अगर सेहत ठीक रही तो बिहार में इनके अनुभव का महागठबंधन बड़ा फायदा मिल सकता है।

उनके बेटे तेजस्वी यादव बिहार के दो बार डिप्टी सीएम रह चुके हैं बिहार में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर पहचान बना चुके तेजस्वी यादव आने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए के 40 में 39 सीट के प्रदर्शन को फिर से दोहराने में सबसे बड़े बाधक के तौर पर खड़े हैं। तेजस्वी यादव भले ही अभी युवा हैं, लेकिन उन्होंने जो राजनीतिक परिपक्वता दिखाई है इससे उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई देने लगी है।

बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चैधरी बिहार की सियासत में तेजी से उभरने वाले खिलाड़ी हैं। आक्रामकता और पार्टी पर मजबूत पकड़ के साथ-साथ बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के नजदीक माने जाने वाले सम्राट चैधरी पिछड़ो की राजनीति में महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर भी दिख रहे हैं। इसी तरह तेजस्वी यादव के बाद युवा नेता के तौर पर चिराग पासवान सबसे बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभर चुके हैं और युवाओं के बीच बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के अभियान के बहाने युवाओं को लुभाने की कवायद में भी लगे हुए हैं। चिराग पासवान दलित वोटर में अपनी पैठ तो रखते ही हैं, सवर्ण जातियों में भी अच्छी खासी पकड़ बनाई है। बिहार में लोकसभा चुनाव में एनडीए के स्टार प्रचारक रहने वाले हैं और तेजस्वी के मुकाबले एनडीए इन्हें प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर भी आगे रख सकती है ताकि युवाओं को एनडीए के तरफ लाया जा सके। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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