राजनीति

गंभीर हैं राधिका के आरोप

 

चुनाव के समय नेताओं का दल-बदल सामान्य घटना बन गया है। हालांकि ज्यादातर नेता जो आरोप लगाते हैं उनमें कोई दम नहीं होता। अभी दो दिन पहले 4 मई को दिल्ली मंे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरविन्दर सिंह लवली समेत कई नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा मंे शामिल हो गये। इनका आरोप है कि कांग्रेस की नीतियां, विशेषकर अयोध्या राम मंदिर को लेकर ठीक नहीं हैं। यह बात तो लगभग चार महीने पहले जनवरी की है। उसी समय इन्हें कांग्रेस छोड़ देनी चाहिए थी लेकिन इन्होंने अब पार्टी छोड़ी और भाजपा का दामन थामा है तो जाहिर है कि इसके पीछे उनका राजनीतिक स्वार्थ है। महाराष्ट्र मंे कई नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की अथवा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा की सहयोगी शिवसेना की सदस्यता ग्रहण कर ली है। जाहिर है कि इन सभी ने अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ देखे हैं लेकिन अभी 5 मई को कांग्रेस की प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। राधिका खेड़ा के आरोप राजनीतिक स्वार्थ से हटकर हैं। उन्हांेने यह भी कहा कि अपने साथ बदसलूकी करने वालों के बारे मंे उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को भी अवगत कराया लेकिन वहां से भी हस्तक्षेप नहीं किया गया। राधिका खेड़ा अब कानूनी लड़ाई लड़ेंगी और उन्हंे यह लड़ाई लड़नी भी चाहिए। इसके साथ ही चुनावों से इतर राहुल गांधी को भी इस बात का जवाब देना होगा कि वे भाजपा के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलने की जो बात कहते हैं, उनकी पार्टी के अंदर ही उसका अस्तित्व नहीं दिख रहा है। पार्टी की एक महिला का इस तरह आरोप लगाना बेहद गंभीर है। मध्य प्रदेश के एक कांग्रेसी नेता ने भाजपा की इमरती देवी को लेकर जिस तरह कटाक्ष किया है, उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस के अंदर महिलाओं को पर्याप्त सम्मान नहीं मिल रहा है। प्रियंका गांधी वाड्रा इस मामले को गंभीरता से लें तो पार्टी के हित में होगा।

कांग्रेस से इस्तीफा देने वालीं राधिका खेड़ा ने नई दिल्ली में पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राधिका ने आरोप लगाया कि उसके साथ बंद कमरे में बदतमीजी हुई, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। उन्होंने राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक से मदद की गुहार लगाई थी। हालांकि, राधिका का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई लड़ेंगी और आरोपियों को सजा दिलाएंगी। बंद कमरे में अपने साथ हुई बदतमीजी का जिक्र करते हुए राधिका खेड़ा ने कहा, हमेशा से सुनती रही कि कांग्रेस सनातन विरोधी है। मैं कभी इस पर यकीन नही करती थी। जब मैं रामलला के दर्शन करने गई, तो सच्चाई सामने आ गई। मैं अपनी मां को अयोध्या लेकर गई और राम मय हो गई।
ध्वज लगाया तो कांग्रेस के लोग विरोध में आ गए। मुझे हर जगह अपमानित किया जाने लगा। मेरे चरित्र पर सवाल उठाया जाने लगा। जब छत्तीसगढ़ गई, तो वहां के मीडिया प्रमुख शराब ऑफर करने लगे। सचिन पायलट और जयराम रमेश को यह बात भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बताई। 30 तारीख को छत्तीसगढ़ पार्टी मुख्यालय में सुशील आनंद शुक्ला ने मुझसे बदतमीजी की। मैं चिल्लाई। दरवाजा बंद कर दिया गया। एक मिनट तक कमरा बंद रहा। मैं चीखती रही पर कोई मदद के लिए सामने नहीं आया। मुझसे लगातार बदसलूकी की गई। बहुत मुश्किल से भागकर निकली। सबसे शिकायत की। किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। वो वाक्या सोचती हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। राधिका ने बताया घटना की जानकारी उन्होंने लगभग सभी बड़े कांग्रेसी नेताओं को दी, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। उन्होंने बताया, इस घटना के बारे में मैंने सचिन पायलट, भूपेश बघेल, जयराम रमेश, पवन खेड़ा को भी बताया। भूपेश बघेल के कहने पर मुझे कहा गया कि तुम छतीसगढ़ छोड़ दो। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी सबको मैसेज भेजा पर कोई जवाब नहीं आया। ट्वीट किया, तब जयराम रमेश का कॉल आया। मैंने पहले भी कई बार ऐसी बात सुनी थी। कई महिलाओं ने भी शिकायत की थी। कांग्रेस पार्टी ने हर ऐसे मुद्दे को दबा दिया। प्रियंका गांधी से लगातार समय मांगा पर नहीं मिला। महिला के साथ अन्याय होता है, तो पार्टी से निकाल दिया जाता है लेकिन मेरी लड़ाई जारी रहेगी। राधिका का कहना है कि कांग्रेस ने मामले की जांच भी ठीक से नहीं की। सब कुछ भूपेश बघेल के इशारे पर हुआ। एक बार भी किसी ने कुछ नहीं बोला। मैं छत्तीसगढ़ पुलिस से अनुरोध करती हूं कि इस मामले की जांच करें। मुझे प्रभु श्रीराम पर भरोसा है। मैं अभी वकीलों से संपर्क में हूं। कार्रवाई तो करूंगी ही।

उधर, दिल्ली में लोकसभा की चुनावी सियासत दिलचस्प हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अब बिखरती नजर आ रही है। दिल्ली यूनिट के दिग्गज नेताओं ने बगावती तेवर अख्तियार कर रखा है। इसकी बानगी 4 मई को देखने को भी मिली। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली के साथ चार दिग्गज नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया। प्रदेश कांग्रेस नेता अपने राष्ट्रीय नेतृत्व से ही नाराज है। उन्हें बिना तवज्जो दिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन और उम्मीदवार को उतारना रास नहीं आया।कन्हैया कुमार के रूप में बाहरी नेता को और डॉ. उदित राज को आरक्षित सीट से चुनाव में उतारना दिल्ली के पुराने दिग्गज नेताओं को पसंद नहीं आया। राजनीतिक जानकार यह भी तर्क दे रहे है कि अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चैहान जैसे पुराने कांग्रेसी नेता को दूसरी बार भाजपा में शामिल होना पार्टी के अंदर बिखराव का बड़ा संदेश है। चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बाद यही सेकेंड लाइन के कांग्रेसी नेता है। उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से कांग्रेस आलाकमान ने जब से कन्हैया कुमार को उतारा तभी से विरोध के तेवर कांग्रेस नेताओं में उठने लगे थे। इसी तरह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली सीट से डॉ. उदित राज भी प्रदेश नेतृत्व को पसंद नहीं थे। पार्टी कार्यालय में विरोध-प्रदर्शन तक हुआ, पार्टी के भीतर ही एक नया गुट उभरा, यहां तक कि इस्तीफा भी दे दिया। अपनी राय भी जाहिर की कि बिना किसी सलाह मसवरा लिए केंद्रीय नेतृत्व ने अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए उम्मीदवार थोप दिया।दरअसल, उत्तर-पूर्वी सीट पर लवली की नजर थी और उत्तर पश्चिम सीट पर राजकुमार चैहान की। उन्हें आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की राजनीति से यह भी डर सता रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनका राजनीतिक अस्तित्व ही न खत्म हो जाए। दूसरी तरफ कन्हैया कुमार ही दिल्ली की राजनीति पर हावी न हो जाए इसकी भी संभावना बागी नेताओं को डरा रहा है। पार्टी में शामिल होने के दौरान लवली ने भी स्पष्ट किया कि उनके जैसे कई कांग्रेसी नेता अपने शीर्ष नेतृत्व से गठबंधन को लेकर नाराज है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के प्रत्याशी कन्हैया कुमार अभी तक अपने क्षेत्र में ठीक से सक्रिय तक नहीं हो पाए है। पुराने कांग्रेसी नेताओं का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ रहा है। दूसरी तरफ चांदनी चैक के प्रत्याशी जेपी अग्रवाल जब नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो उनके क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ अन्य पुराने
कांग्रेसी नेताओं की भी कमी स्पष्ट रूप से देखने को मिली। इसी तरह पुराने कांग्रेसी नेता महाबल मिश्रा के चुनाव से भी पुराने कांग्रेसी नेता दूरी बनाए हुए है। एक तरफ राधिका खेड़ा के आरोप तो दूसरी तरफ दिल्ली के कांग्रेसियों की नाराजगी। कांग्रेस नेतृत्व को अपने गिरेवान मंे झांकना चाहिए। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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