राजनीति

क्या विफल हो गयी कुर्सी पलट की साजिश?

 

इस बात की खासी चर्चा है कि जदयू के दिग्गज नेता को राजद से करीबी होने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ललन सिंह का भविष्य क्या होगा?

सिंहासन पलटने की कहानियां इतिहास मंे भरी पड़ी हैं। आज भी उनकी प्रासंगिकता है। दुनिया भर मंे चाहें राजतंत्र हो या प्रजातंत्र-कुर्सी पलटने की साजिशें होती रहती हैं। कभी वे सफल हो जाती हैं तो कभी सफलता नहीं मिल पाती। पिछले दिनों हमारे देश मंे बिहार मंे एक ऐसी ही साजिश की चर्चा हो रही है। खुलेतौर पर कोई इसे स्वीकार नहीं कर रहा है कि नीतीश कुमार की कुर्सी पलटने का गुपचुप प्रयास हुआ लेकिन सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड अर्थात् जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की विदाई और इसी पार्टी के 12 विधायकों की एक गुप्त बैठक के किस्से निराधार नहीं कहे जा सकते। नीतीश कुमार राजनीति के पटु माने जाते हैं और जार्ज फर्नांडीस जैसे धुरंधर नेता को भी उन्हांेने हाशिए पर कर दिया था। लालू यादव की जादुई राजनीति का तिलिस्म नीतीश कुमार ने ही तोड़ा और भाजपा आज कुछ भी कहे लेकिन उसको भी नीतीश ने अपनी राजनीति मंे एक चारे की तरह प्रयोग किया।

इस बार भी लालू यादव की रणनीति को नीतीश ने विफल कर दिया है। वह मुख्यमंत्री के साथ ही अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गये और अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही सक्रियता भी दिखा दी। दूसरे पक्ष अर्थात् ललन सिंह की तरफ से प्रतिक्रिया का संकेत अभी नहीं मिला है। प्रत्यक्ष रूप से वह कह रहे हैं कि उन्हांेने लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए अध्यक्ष पद छोड़ा है लेकिन इस पर राजनीति का थोड़ा भी जानकार यकीन नहीं कर रहा है। बताते हैं कि जद(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते ललन ंिसंह ने राजद के नेता तेजस्वी यादव को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने और खुद पीएम पद का प्रत्याशी बनने की सलाह नीतीश कुमार को दी थी। इसी के बाद नीतीश कुमार चैकन्ने हो गये थे और 12 विधायकों की गुप्त बैठक की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि अब ललन ंिसंह पर भरोसा करना ठीक नहीे है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से ललन ंिसंह की करीबी बढ़ती जा रही थी।

राजद व जद(यू) नेताओं की सफाई के विपरीत नीतीश कुमार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जनता दल यूनाइटेड का अध्यक्ष चुना गया। राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और नीतीश कुमार को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। जद(यू) ने नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के ‘विचारों’ का संयोजक और प्रधानमंत्री करार दिया है। हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस में नीतीश कुमार को अभी तक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं दी गई है। पार्टी का बयान ऐसे समय आया है, जब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में लौट सकते हैं। जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी के बयान से यह ध्वनित होता है कि जद(यू) अध्यक्ष बन जाने से नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में कोई पद मिल जाएगा। त्यागी ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय परिषद ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के उस फैसले को अनुमोदित कर दिया जिसमें ललन सिंह द्वारा दिए गए इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुना गया। नीतीश ने कहा, ‘‘ललन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। हमने तुरंत राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को स्वीकार कर किया है। ललन सिंह ने बंद कमरे के कार्यकारिणी बैठक में अध्यक्ष पद छोड़ दिया और नीतीश के नाम का प्रस्ताव को रखा।

जद(यू) के भीतर अधिकतर नेताओं का मानना था कि नीतीश कुमार को 2024 में लोकसभा चुनावों से पहले इस महत्वपूर्ण समय में संगठन की कमान संभालनी चाहिए। पार्टी के भीतर कई नेताओं ने ललन सिंह की नेतृत्व शैली की आलोचना की थी। बहरहाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दल (यूनाइटेड) की कमान लेने के 24 घंटे के अंदर ही एक बैठक की। राज्यों के प्रभारी और अध्यक्षों से मुलाकात की। जदयू के दूसरों राज्यों के नेता चाहते है कि नीतीश कुमार उनके यहां भी दौरा करें। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश ने जो यह नया दांव खेला है, ये उनके और उनकी पार्टी के लिए कितना फायदेमंद होता हैं यह बताना मुश्किल है।

लोकसभा चुनाव-2024 को देखते हुए बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। खबर है कि महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। आरजेडी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस को 5 से 6 सीटें दी जाएंगी। हालांकि, इस फॉर्मूले में वाम दल का नाम कहीं नहीं आ रहा है। वाम दलों ने महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की खासी चर्चा है कि जदयू के दिग्गज नेता को राजद से करीबी होने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ललन सिंह का भविष्य क्या होगा? बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की प्रमुख भागीदार पार्टी जनता दल यूनाइटेड में घमासान के कई अर्थ लगाये जा रहे हैं।

यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिपरिषद को भंग कर सकते हैं। साथ ही बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भी कर सकते हैं। हाल में ही नीतीश कुमार ने पहले महिलाओं को लेकर अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी, फिर इसके एक दिन बाद अचानक ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से कटु संवाद करने लगे। खास बात यह कि ये दोनों ही घटनाएं विधानमंडल में घटित हुई थीं। महिलाओं पर अमर्यादित टिप्पणी को लेकर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी तो मांग ली, लेकिन अगले ही दिन मांझी से दुर्व्यवहार कर फिर नये विवाद को जन्म दे दिया। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा समेत भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने भी सीएम नीतीश को मानसिक बीमार बता दिया। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार का बचाव किया इससे सियासत में नयी गर्मी भी महसूस की जाने लगी, लेकिन लालू यादव अंदर ही अंदर क्या खिचड़ी पका रहे हैं, उसकी भनक नीतीश को देर मंे लग पायी।

यह भी कहा जा रहा है कि ललन ंिसह राजद सुप्रीमों लालू यादव के बेटे तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। मीडिया के अनुसार नीतीश कुमार के इनकार करने के बाद ललन सिंह ने जद(यू) के लगभग एक दर्जन विधायकों के साथ एक बैठक की थी। बताते हैं कि उसी बैठक में शामिल एक विधायक ने अपने को नीतीश का विश्वस्त साबित करने के लिए गुप्त बैठक की जानकारी नीतीश कुमार को दे दी थी। बैठक की जानकारी मिलते ही नीतीश कुमार के कान खड़े हो गये और उन्हांेने अपने दशकों पुराने मित्र राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को औकात बताने का निश्चय कर लिया था। इससे पता चलता है कि बिहार में सीएम की कुर्सी पलटने की एक साजिश विफल हो गयी है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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