फारुक का गैरजिम्मेदाराना बयान
कहते हैं उम्र के साथ आदमी की परिपक्वता बढ़ती है लेकिन राजनीति में कुछ नेता इसका अपवाद साबित हो रहे हैं। ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारुक अब्दुल्ला हैं। एक दिन पहले ही उन्हांेने बयान जारी किया था। पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी जतायी। पूरी दुनिया जानती है कि भारत ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए क्या-क्या नहीं किया। सन् 1947 मंे पाकिस्तान के बनने के बाद से अब तक भारत ने अपनी तरफ से पाकिस्तान को आर्थिक मदद के साथ ही हरसंभव सहायता भी दी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की 25 दिसम्बर को जयंती मनाते समय यह उल्लेख भी किया गया था कि किस तरह वह लाहौर तक बस पर सवार होकर मैत्री का संदेश लेकर गये थे। इसके बाद भी पाकिस्तान के अंदर कटुता की भावना खत्म नहीं हुई। वहां से आतंकवादियों की घुसपैठ करायी जाती है। इतना ही नहीं कश्मीर में अलगाववादियों को पाकिस्तान से पैसा दिया जाता है, भले ही वहां महंगाई चरम पर पहुंच गयी हैं। सीमा पर अकारण पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी की जाती है जिससे ग्रामीणों को खेती-किसानी करना मुश्किल है। इन्हीं सब कारणों से भारत ने कह रखा कि पाकिस्तान जब तक अपनी भारत-विरोधी भावना में बदलाव नहीं करेगा, तब तक वार्ता करना संभव नहीं है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला यह सब जानते हैं। राजनीति का उनको खासा अनुभव है, फिर भी बयान जारी किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच अगर वार्ता नहीं हुई तो हमारा हश्र भी गाजा और फिलिस्तीन जैसा होगा। कहने की जरूरत नहीं कि डा. फारुक अब्दुल्ला का इशारा इजरायल पर हमास (फिलिस्तीन) के हमले से है, जिसके बाद इजरायल की तरफ से भी हमले हुए और अब तक गाजा में घमासान चल रहा है। डा. फारुक के बयान के बाद भारत में इजरायल के दूतावास पर बम विस्फोट ने चिंता मंे डाल दिया है। इस दुखद प्रकरण से डा. फारुक के बयान को जोड़कर देखा जा रहा है।
भारत के लिए यह शर्म की बात है कि इजराइली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने भारत में अपने नागरिकों के लिए एक यात्रा परामर्श जारी किया और संदेह व्यक्त किया कि नयी दिल्ली में इजराइली दूतावास के पास हुआ विस्फोट ‘‘आतंकवादी हमला हो सकता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने उसी दिन कहा था कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता नहीं हुई तो हमारा हश्र गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही होगा। दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित इजराइल के दूतावास के पास 26 दिसम्बर को विस्फोट हुआ और घटनास्थल से इजराइली राजदूत को अभद्र भाषा में संबोधित एक पत्र बरामद किया गया। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। विस्फोट के संबंध में इजराइली दूतावास के प्रवक्ता गाइ नीर ने कहा, ‘‘हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि शाम करीब 5.48 बजे दूतावास के नजदीक एक विस्फोट हुआ था। इजराइली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) ने यात्रा परामर्श इसी घटना के मद्देनजर जारी किया है। इजराइली नागरिकों से भीड़-भाड़ वाले स्थानों (मॉल अथवा बाजार) पर जाने से बचने तथा ऐसे स्थानों पर नहीं जाने की सलाह दी गई है जो यहूदियों या इजराइलियों से किसी प्रकार से जुड़े हों। परामर्श में इजराइली प्रतीकों को प्रदर्शित करने से बचने, बड़े स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने से बचने साथ ही सोशल मीडिया पर किसी यात्रा के बारे में जानकारी देने अथवा किसी यात्रा से जुड़ी ऐसी तस्वीर या यात्रा के विवरण को साझा करने से बचने के लिए कहा गया है जिससे यह पता चलता हो कि आप वर्तमान में कहां हैं।
इजराइली दूतावास के समीप स्थित केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान के बाहर हरित क्षेत्र में हुए विस्फोट के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस की विशेष प्रकोष्ठ की टीम, बम निरोधक दस्ता और दमकलकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे। बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के एक दल ने भी घटनास्थल का मुआयना किया। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से इजराइली दूतावास के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।
इससे पूर्व नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच अगर वार्ता नहीं हुई तो हमारा हश्र गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही होगा। ध्यान रहे पीएम मोदी ने कहा था कि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है और मामले बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाना चाहिए। बातचीत कहां है? डा. फारुक अब्दुल्ला नवाज शरीफ को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। उनके अनुमान से नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं और वे कह रहे हैं कि हम (भारत के साथ) बात करने के लिए तैयार हैं, इसके विपरीत हम बात करने के लिए तैयार नहीं हैं ? इसी को लेकर डा. फारुक कहते हैं यदि हम बातचीत के माध्यम से कोई समाधान नहीं ढूंढते हैं तो हमारा हश्र गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही होगा। जिन पर इजराइल द्वारा बमबारी की जा रही है। डा. फारुक पाकिस्तान की हरकतों को नजरंदाज करते हंै।
बहरहाल पुंछ आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया डा. फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाक के वार्ता की वकालत की है। फारूक ने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं होती है तो जम्मू-कश्मीर का भी हाल गाजा जैसा ही होगा। जाहिर है कि वह पाकिस्तान को हमास के रूप में देख रहे हैं और कहते हैं कश्मीर को वही हाल होगा जो गाजा और फिलिस्तीन का हो रहा है, जिन पर इजराइल बमबारी कर रहा है।’ नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पिछले हफ्ते पुंछ में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए और अन्य घायल हो गए। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘देखिए मैंने हर बार यह कहा है। वाजपेयी जी ने तो कहा था कि दोस्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं बदले जा सकते हैं।
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का बयान है कि युद्ध अब विकल्प नहीं है, बातचीत से मसले हल करने होंगे, मैं पूछता हूं कि कहां है वो बातचीत। आज इमरान खान छोड़ दीजिए। नवाज शरीफ वहां के वजीर-ए-आजम बनने वाले हैं। आखिर हम बातचीत के लिए क्यों तैयार नहीं हैं। अगर बातचीत से कश्मीर मसले को हमने नहीं सुलझाया तो मैं माफी चाहता हूं कहने के लिए कि हमारा भी वही हाल होगा जो आज गाजा और फिलिस्तीन का हो रहा है। इजरायल की तरफ से बमबारी हो रही है। कुछ भी हो सकता है, अल्लाह ही जाने हमारा क्या हाल होगा। अल्लाह रहम करे हम पर।’
जम्मू-कश्मीर को लेकर फारूक अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पुंछ में आतंकवादियों ने घात लगाकर सेना के जवानों पर हमला कर दिया था, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे। वहीं, दूसरी तरफ गाजा को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जंग जारी है। अब तक इस जंग की वजह से फिलिस्तीन में 20 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। पहल हमास की तरफ से हुई जिसने 25 मिनट में 400 बम गिराये और कितनों को ही बंदी बनाया। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)