कांग्रेस को सबसे ज्यादा प्रिय हैं दागी
एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट चिंता पैदा करने वाली है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में उम्मीद की जा रही थी कि सभी राजनीतिक दल साफ-सुथरे प्रत्याशी उतारेंगे। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने इस दिशा में अपने-अपने स्तर से प्रयास किये लेकिन मुख्य भूमिका केन्द्र सरकार को निभानी है क्योंकि जब तक कोई कानून नहीं बनता तब तक दागी लोग भी चुनाव लड़ते रहेंगे। राजनीतिक दलों को जिताऊ उम्मीदवार चाहिए, इसलिए उनको इससे मतलब नहीं कि उनका प्रत्याशी कितने और कैसे मामलों मंे आरोपित है। वे इस बात को मान्यता देते हैं कि जब तक अदालत द्वारा किसी को पूर्णरूप से दोषी नहीं ठहराया जाता, तब तक उसे दागी नहीं माना जा सकता। न्याय की प्रक्रिया स्थानीय अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक चलने में कितने ही साल बीत जाते हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कथित जनप्रतिनिधियों पर गंभीर मामलो की सुनवाई प्राथमिकता से करने की रणनीति बनायी थी। इससे पूर्व पांच राज्यों-
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में कहीं-कहीं पहले चरण का मतदान हो भी चुका है और अंतिम मतदान 30 नवम्बर को होना है। तीन दिसम्बर को नतीजे भी आ जाएंगे और आपराधिक चरित्र वाले लोग भी विधायक बन सकते हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा करोड़पति लोगों को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। राहुल गांधी की तरफ इस बात को लेकर उंगलियां जरूर उठेंगी कि मोहब्बत की दुकान को क्या धनवान ही चला सकते हैं।
हालांकि करोड़पति उम्मीदवार उतारने में भाजपा भी दूसरे नम्बर पर है। दागी प्रत्याशियों का जहां तक मामला है तो इसमंे भी कांग्रेस भाजपा से आगे है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के उदाहरण से पूरी कहानी का अंदाजा लग जाता है।
पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव मंे एडीआर ने प्रत्याशियों की ओर से नामांकन के वक्त जमा कराए गए शपथ पत्र के आधार पर उनकी संपत्ति और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का विवरण जारी किया है। आइए जानते हैं कि जो प्रत्याशी हैं, उनमें से कितने करोड़पति हैं और कितने के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को होगा। इस बीच सभी पार्टियां और प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं लेकिन, वोटिंग से पहले मतदाताओं के लिए ये जानना जरूरी है कि उनके सामने जो प्रत्याशी हैं, उनकी आर्थिक स्थिति क्या है और वे किस बैकग्राउंड से हैं। क्या वे आपराधिक पृष्ठभूमि के तो नहीं है? इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर एडीआर ने प्रत्याशियों की ओर से नामांकन के वक्त जमा कराए गए शपथ पत्र के आधार पर उनकी संपत्ति और उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का विवरण जारी किया है। दूसरे चरण के चुनाव में भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों में से करोड़पति की बात करें, तो कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के 70 में से 60 उम्मीदवार करोड़पति हैं। वहीं, इस मामले में भाजपा दूसरे नंबर पर है। भाजपा के 70 में से 57 उम्मीदवार करोड़पति हैं। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जोगी (जेसीसीजे) के 62 में से 26 करोड़पति हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी ने 44 में से 19 करोड़पति उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा बीएसपी के 43 में से 15 करोड़पति उम्मीदवार हैं, तो जीजीपी के 26 में से 4 करोड़पति उम्मीदवार हैं। निर्दलीय भाग्य आजमा रहे 354 में से 44 उम्मीदवार करोड़पति हैं। अन्य की बात करें तो 284 में से 28 करोड़पति हैं। इस प्रकार कुल 953 उम्मीदवारों में से 253 ऐसे हैं, जो करोड़पति हैं।
एडीआर की इस रिपोर्ट में मालदार उम्मीदवारों के साथ ही दागदार उम्मीदवारों की सूची भी जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 70 में से 13 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, आपराधिक उम्मीदवारों के मामले में भाजपा दूसरे नंबर है। भाजपा के 70 में से 12 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि, प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए तो आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा 44 में से 12 यानी 25 प्रतिशत आपराधिक पृठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके बाद नंबर आता है जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जोगी (जेसीसीजे) का। जेसीसीजे ने 62 में 11 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, जीजीपी के 26 में से 5 उम्मीदवार दागी हैं।
मायावती की बसपा ने इस चुनाव में सबसे कम आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा के 43 में से मात्र दो उम्मीदवार ही आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। इसके अलावा, निर्दलीय की बात करें, तो इस चरण में कुल 354 स्वतंत्र उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 16 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, अन्य की बात करें, तो अन्य छोटे दलों ने 284 उम्मीदवार इस चरण में मैदान में उतारे हैं, उनमें से 29 दागी हैं। इस प्रकार कुल 953 उम्मीदवारों में से 100 उम्मीदवार दागी हैं।
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने चुनाव से जुड़ी अहम जानकारी दी है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कुल 2,534 उम्मीदवारों में से 472 (19 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एडीआर डेटा के अनुसार, जिन उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र के दौरान दिए गए ऐफिडेविट में खुद ही अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का जिक्र किया है, उनकी संख्या 291 (11 प्रतिशत) है। यहां हम आपको बताएंगे ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में जिन पर कई केस दर्ज हैं। इस सूची में शीर्ष पर भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पटवा हैं, जिनके खिलाफ 175 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनके बाद भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार कमलेश्वर डोडियार हैं, जिन पर 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार पी. सी. शर्मा (प्रकाश मांगीलाल शर्मा) के खिलाफ 14 आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक अन्य कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा ने अपने ऐफिडेविट में बताया है कि उनके खिलाफ 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं। बीजेपी उम्मीदवार बिसाहू लाल सिंह ने अपने हलफनामे में बताया है कि उन पर 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं। एडीआर ने अपने विश्लेषण में बताया है कि कांग्रेस के 230 उम्मीदवारों में से 121 (53 प्रतिशत) ने अपने हलफनामे में आपराधिक मामले दर्ज होने का जिक्र किया है। वहीं 61 (27 प्रतिशत) ने गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की बात मानी है। बात बीजेपी की करें तो इसके 230 उम्मीदवारों में से 65 (या 28 प्रतिशत) ने खुद ही अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को स्वीकार किया है। वहीं 23 (10 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ दर्ज गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। एडीआर ने बताया है कि आप के 66 उम्मीदवारों में से 26 (39 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 18 (27 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में गंभीर आपराधिक मामलों के बारे में बताया है। बीएसपी के 181 उम्मीदवारों में से 16 (9 फीसदी) ने आपराधिक रिकॉर्ड घोषित किया है, जबकि 16 (9 फीसदी) ने के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव लड़ रहे 24 उम्मीदवारों ने बताया है कि उनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)