Uncategorizedलेखक की कलमसम-सामयिक

साउथ फिल्मों को भी भाया यूपी

 

फिल्म जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप एक भव्य, दिव्य और सर्वसुविधायुक्त पूर्ण फिल्म सिटी का निर्माण हो रहा है. उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है। फिल्मों ने हमारी भारतीय संस्कृति से विश्व जगत को परिचित कराया है। यह समाज का दर्पण है। ऐसे में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने और स्थानीय प्रतिभाओं को विशेष अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मॉडर्न फिल्म सिटी और इन्फोटेनमेंट जोन की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके लिए फिल्म जगत के अन्य लोगों से भी सुझाव आमंत्रित किये गए हैं, जिससे फिल्म सिटी को बेहतरीन बनाया जा सके।

योगी आदित्यनाथ देश के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री बताये जाते हैं, क्योंकि अपने प्रदेश के बाहर सर्वाधिक महत्व और सम्मान उन्हीं को मिलता है। प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत ने इसी भाव के अनुरूप योगी आदित्यनाथ का अभिनन्दन किया। चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया। वह अपनी फिल्म ‘जेलर’ की स्क्रीनिंग के लिए लखनऊ आए थे। योगी आदित्यनाथ ने अपनी परम्परा के अनुसार रजनीकांत को ओडिओपी उत्पाद भेंट किया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने फिल्म जेलर देखी। रजनीकांत ने कहा कि फिल्म को दर्शकों से मिल रही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। केशव प्रसाद मौर्य ने अभिनेता के अभिनय कौशल की प्रशंसा की और कहा, मुझे जेलर नामक फिल्म देखने का भी मौका मिला। मैंने रजनीकांत की कई फिल्में देखी हैं। वह इतने प्रतिभाशाली अभिनेता हैं कि भले ही फिल्म में ज्यादा कंटेंट नहीं होता है फिर भी वह अपने अभिनय से फिल्म का महत्व बढ़ा देते हैं।
योगी आदित्यनाथ संन्यासी हैं। निजी जीवन में उनकी फिल्मों में रुचि भले न हो, लेकिन अपने सामाजिक संवैधानिक दायित्वों के प्रति वह सतत सजग हैं। इसी क्रम में उन्होंने उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी निर्माण का निर्णय लिया था। फिल्म सिटी निर्माण कार्य प्रगति पर है। एक हजार एकड़ भूमि पर इसको विकसित किया जा रहा है। यह स्थान मथुरा वृंदावन से साठ व आगरा से सौ किमी की दूरी पर है। यहां फिल्म सिटी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पैतीस एकड़ में फिल्म सिटी पार्क भी विकसित किया जाएगा।
एशिया का सबसे बड़ा जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट समीप ही है। यह भी शीघ्र तैयार हो जायेगा। इसे मेट्रो, रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम और हाई स्पीड ट्रेन से भी जोड़ने की योजना है। वस्तुतः फिल्म जगत में यह उत्साह योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली के कारण है। यह विश्वास व्यक्त किया जा रहा है कि निर्धारित अवधि में ही इसका निर्माण पूर्ण हो जाएगा।
योगी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में अपूर्णता का कोई स्थान नहीं। यहां अधूरा कुछ नहीं होता। यह राम की अयोध्या, कृष्ण की मथुरा, शिव की काशी के साथ ही बुद्ध, कबीर और महावीर की भी धरती है। गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। यह सभी पूर्णता के प्रतीक हैं। इसी परंपरा को गति प्रदान की जा रही है।
फिल्म जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप एक भव्य, दिव्य और सर्वसुविधायुक्त पूर्ण फिल्म सिटी का निर्माण हो रहा है. उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है। फिल्मों ने हमारी भारतीय संस्कृति से विश्व जगत को परिचित कराया है। यह समाज का दर्पण है। ऐसे में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने और स्थानीय प्रतिभाओं को विशेष अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मॉडर्न फिल्म सिटी और इन्फोटेनमेंट जोन की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके लिए फिल्म जगत के अन्य लोगों से भी सुझाव आमंत्रित किये गए हैं, जिससे फिल्म सिटी को बेहतरीन बनाया जा सके। योगी आदित्यनाथ के अनेक सकारात्मक कार्य विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हुए हैं। एक बार फिर उन्होंने मंसूबा बनाया है। यूपी वैश्विक फिल्म जगत को एक नया विकल्प देने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश में बन रही फिल्म सिटी को लेकर तमिल फिल्म इंडस्ट्री भी उत्साहित हैं। इसके अलावा काशी में योगी के दिशा निर्देश पर आयोजित हुए तमिल संगमम को भी तमिलनाडु में बहुत सराहना मिली थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि काशी हो या तमिलनाडु, हमारी संस्कृति, आध्यात्मिकता और दर्शन की विरासत एक ही है। काशी तमिल संगमम इस एकीकृत राज्य की पवित्र और समृद्ध भावना को व्यक्त करने का एक विशिष्ट अवसर है। काशी तमिल संगमम के आयोजन का उद्देश्य देश के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षा केंद्रों काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से उजागर और पुष्ट करना है। भारतीय ऋषि ज्ञान के उपासक थे। यहां ज्ञान के केंद्रों की सुदीर्घ श्रंखला थी। ज्ञान अर्जित करते रहे और उसे दूसरों तक पहुंचाते रहे हैं। जिसने ज्ञान प्राप्त कर लिया, ब्रह्म को प्राप्त कर लिया। इसके साथ ही भक्ति का मार्ग भी था। प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रवृत्ति और रूचि के अनुरूप किसी भी मार्ग का अनुशरण कर सकता है। यह स्वतंत्रता केवल भारतीय संस्कृति में ही सम्भव रही है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की गई।
भारत आध्यात्मिक शक्ति के साथ ही अर्थशास्त्र खगोल शास्त्र विज्ञान सामाजिक व्यवस्था के विषयों में भी यूरोप और अन्य सभ्यताओं से अधिक आगे रहा था। राष्ट्र की संस्कृति का आधार कर्तव्यबोध पर आधारित है। श्रीराम ने वनवास के दिन ही संसार को निशिचरहीन करने का संकल्प लिया था। यह कर्तव्यबोध है। भारत तीर्थों,त्योहारों और मेलों का देश है। तीर्थ,त्योहार और मेले ही एकता और एकात्मता का मार्ग है। भारतीय मानवता और जीवन मूल्य सर्वश्रेष्ठ है। मेलों और त्योहारों से करोड़ों लोगों को रोजगार, रोटी मिलती है। कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है।
भारत के पर्व और त्योहार समूचे समाज और देश को एकजुट बनाये हुए हैं। हमारी एकता-एकात्मता की यात्रा पर्वों और त्योहारों के माध्यम से सतत जारी है। भारतीय समाज के मनोमस्तिष्क में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हम सबके भीतर एक ही तत्व है। बोली, भाषा, जाति, धर्म, पहनावा भिन्न होने के बावजूद हम एक हैं। यही एकता एकात्मता का सूत्र है। भारत की संस्कृति ही जोड़ने की, एक सूत्र में पिरोने की संस्कृति है। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button