भावी सांसदों का धनबल व बाहुबल
लोकसभा चुनाव-2024 मंे चुनाव लड़ने वाले धनबल और बाहुबल से फिर सम्पन्न हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स (एडीआर) तो भरपूर कोशिश करती है कि मतदाताओं को बताया जाए कि जनसेवा का लेबल लगाकर चुनाव लड़ने वाले चुनाव जीतने के बाद चेहरे के भाव बदल लेंगे क्योंकि उनके पास अपार धनबल व बाहुबल है। नेताओं का एक अलग वर्ग ही बन गया है। हालांकि वहां भी छोटी मछली और बड़ी मछली का किस्सा चलता रहता है। इसी संदर्भ मंे सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि यू-ट्यूब पर आरोप लगाने वाले सभी लोगों को सलाखों के पीछे करते रहेंगे तो जेलें लबालब हो जाएंगी। अपराध की जड़ें जन प्रतिनिधियों तक फैली हुई हैं। इस बार होने जा रहे लोकसभा चुनाव के पहले चरण मंे ही 252 प्रत्याशी दागी हैं। इन पर हत्या और बलात्कार जैसे आरोप हैं। इन प्रत्याशियों मंे अरबपति और करोड़पति भी शामिल हैं। इनमंे चुनाव जीतने की हर प्रकार की क्षमता है, इसलिए राजनीतिक दलों से किसी प्रकार की अपेक्षा करना व्यर्थ है। जागरूक मतदाता ही राजनीति से अपराध को दूर कर सकता है।
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की 29 मार्च 2024 की रिपोर्ट के अनुसार निवर्तमान 514 लोकसभा सदस्यों में 225 (44 प्रतशित) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा चुनावी हलफनामों में की है। रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों वाले निवर्तमान सांसदों में 29 प्रतिशत के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, साम्प्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देना, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों वाले निवर्तमान सांसदों में नौ के खिलाफ हत्या के मामले हैं। इसके अनुसार, इन सांसदों में पांच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा 28 निवर्तमान सांसदों ने चुनावी हलफनामों में अपने खिलाफ हत्या के प्रयास से जुड़े मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इनमें से 21 सांसद भाजपा से हैं। बड़े राजनीतिक दलों में, भाजपा और कांग्रेस के सर्वाधिक संख्या में अरबपति सांसद हैं, हालांकि अन्य दलों के भी इस तरह के सांसदों की अच्छी-खासी संख्या है।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यवार आपराधिक मामलों में, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के 50 प्रतिशत से अधिक सांसद आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक संपत्ति की घोषणा करने वाले शीर्ष तीन सांसदों में नकुल नाथ (कांग्रेस), डी के सुरेश (कांग्रेस), और के. रघु राम कृष्ण राजू (निर्दलीय) शामिल हैं जिनके पास अरबों रुपये की संपत्ति है।
24 जुलाई 2023 को एडीआर ने बताया था कि देश के 44 फीसद प्रतिशत विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। चैंकाने वाली बात यह है कि सबसे शिक्षित राज्य माने जाने वाले केरल में 135 में से 95 विधायकों यानी 70 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बिहार में 242 विधायकों में से 161 (67 प्रतिशत), दिल्ली में 70 में से 44 विधायक (63 प्रतिशत), महाराष्ट्र में 284 में से 175 विधायक (62 प्रतिशत), तेलंगाना में 118 विधायकों में से 72 विधायक (61 प्रतिशत) और तमिलनाडु में 224 विधायकों में से 134 (60 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में स्वयं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यह दावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में किया गया है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के हलफनामे का विश्लेषण किया है। पहले चरण में कुल 1625 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 1618 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया गया है। सात उम्मीदवारों के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने के कारण उनके हलफनामों का विश्लेषण नहीं हो सका है। इस रिपोर्ट में 28 राज्य विधानसभाओं और दो केंद्रशासित प्रदेशों में 4,033 में से कुल 4,001 विधायकों का विवरण शामिल है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा किए गए एक हालिया विश्लेषण में दावा किया गया है कि पूरे भारत में राज्य विधानसभाओं में लगभग 44 प्रतिशत विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) द्वारा किए गए विश्लेषण में देश भर में राज्य विधानसभाओं और केंद्रशासित प्रदेशों में वर्तमान विधायकों द्वारा चुनाव लड़ने से पहले दायर किए गए शपथपत्रों की पड़ताल की गई और संबंधित विवरण प्राप्त किया गया। विश्लेषण में 28 राज्य विधानसभाओं और दो केंद्रशासित प्रदेशों में 4,033 में से कुल 4,001 विधायकों का विवरण शामिल है।
एडीआर ने कहा कि विश्लेषण में शामिल विधायकों में से 1,136 या लगभग 28 प्रतिशत ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित आरोप शामिल हैं। केरल में 135 में से 95 विधायकों यानी 70 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इसी तरह बिहार में 242 विधायकों में से 161 (67 प्रतिशत), दिल्ली में 70 में से 44 विधायक (63 प्रतिशत), महाराष्ट्र में 284 में से 175 विधायक (62 प्रतिशत), तेलंगाना में 118 विधायकों में से 72 विधायक (61 प्रतिशत) और तमिलनाडु में 224 विधायकों में से 134 (60 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में स्वयं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इसके अतिरिक्त, एडीआर ने बताया कि दिल्ली में 70 में से 37 विधायक (53 प्रतिशत), बिहार में 242 में से 122 विधायक (50 प्रतिशत), महाराष्ट्र में 284 में से 114 विधायक (40 प्रतिशत), झारखंड में 79 में से 31 विधायक (39 प्रतिशत), तेलंगाना में 118 में से 46 विधायक (39 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश में 403 में से 155 विधायकों (38 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। विश्लेषण में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित परेशान करने वाले आंकड़े भी सामने आए। जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, कुल 114 विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से 14 ने विशेष रूप से बलात्कार (भादंसं की धारा-376) से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
विश्लेषण में आपराधिक रिकॉर्ड के अलावा विधायकों की संपत्ति की भी पड़ताल की गई। राज्य विधानसभाओं में प्रति विधायक
औसत संपत्ति 13.63 करोड़ रुपये पाई गई। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)