सम-सामयिक

सियासी मुद्दा बने रेवन्ना

 

राष्ट्रवाद के परचम को लेकर सबका साथ सबका विकास और बेटी पढाओ बेटी बचाओ के नारी सम्मान व सुरक्षा के नारे को शिरोधार्य कर भाजपा नीत राजग सरकार दस साल पूरे कर एक बार फिर जनमत हासिल करने के लिए प्रयत्नशील है लेकिन राजग में शामिल जनता दल सेकुलर के एक मौजूदा सांसद प्रज्वल रेवन्ना की सैक्स टेप कांड से तहलका मचा है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के सांसद पौत्र प्रज्वल रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं से दुष्कर्म करने और उनके अश्लील वीडियो बनाने के गंभीर आरोप हैं। देवेगौड़ा जनता दल सेक्यूलर के संरक्षक हैं और रेवन्ना इसी पार्टी से कर्नाटक के हासन से सांसद है। इस बार भी वह जद (एस) के टिकट पर हासन से चुनाव मैदान में है, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ। मतदान के अगले दिन ही दर्जनों अश्लील वीडियो वारयल हो गए, जिनमें कथित तौर पर अलग-अलग महिलाओं के साथ रेवन्ना नजर आ रहे हैं। उसी दिन से इस प्रकरण पर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है। एसआइटी ने पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के पुत्र कर्नाटक के पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक एचडी रेवन्ना और मौजूदा सांसद पौत्र प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ अपहरण बलात्कार समेत महिला सम्मान को आघात पहुचाने व आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है। एचडी रेवन्ना को गिरफ्तार किया गया है जबकि प्रज्वल रेवन्ना के लिए रेड कार्नर लुकाउट नोटिस जारी किया गया है। उसका वापस आना टेड़ी खीर दिख रहा है।

यह मामला आजादी के 75 साल के इतिहास में किसी राजनीतिक द्वारा किया गया सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल है जिसकी सीडी एक बेहद घटिया घिनौनी बर्बर दरिंदगी का हवाला दे रही है। इस बेहद शर्मसार करने वाले प्रकरण से विपक्ष को मौका मिला तो कांग्रेस आरोप लगा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे व्यभिचारी के लिए वोट मांगे, उन्हें माफी मांगनी चाहिए। साथ ही, कांग्रेस यह भी आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार ने आरोपित को विदेश भागने में मदद की। दूसरी ओर, भाजपा आरोप लगा रही है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार क्या कर रही थी? वीडियो वायरल होने के बाद उसने कोई संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं की?दोनों दलों के आरोप अपनी-अपनी जगह सही प्रतीत हो रहे हैं। अब कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और रेवन्ना के विरुद्ध लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है लेकिन नेताओं की शर्मनाक हरकत यहीं तक सीमित नहीं है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के आबकारी मंत्री आरवी तिम्मापुर ने दुष्कर्म के आरोपी रेवन्ना की तुलना भगवान श्रीकृष्ण से कर ने विवाद को जन्म दिया है।

बहरहाल राजनीतिक बयानबाजी अलग विषय है, किन्तु यह अत्यंत गंभीर मामला है कि इतने दुष्कर्म के आरोपों से घिरा व्यक्ति भारत की संसद का एक माननीय सदस्य है और दोबारा लोकसभा की सदस्यता का दावेदार भी है। 26 अप्रैल को उसका भाग्य ईवीएम में दर्ज हो चुका है। हालांकि रेवन्ना के पिता सफाई दे रहे हैं कि सीडी में कैद उस की कथित दुराचार भरी करतूतें कई साल पहले की है। जब वह इस हद दर्जे का अय्याश और दुराचारी है तो ताज्जुब की बात यह है कि राजनीतिक हेकड़ी, दबंगई और सत्ता की हनक के बूते पर रेवन्ना सैकड़ों युवतियों महिलाओं के साथ व्यभिचार कर उनकी रोते बिलखते और बख्श देने के लिए गिड़गिड़ाते हुए कई सीडी बनाकर व्यभिचार करता रहा।इस सारे मामले पर विचार करेंगे तो प्रथम दृष्टया यह पता चलता है कि प्रज्वल रेवन्ना महिलाओं का यौन शोषण कर अपने अहम की तुष्टि करने की मानसिक बीमारी से ग्रस्त है क्योंकि बताया गया है कि कुल 2976 क्लिप विभिन्न सीडी में दर्ज है। करीब चार सौ युवतियों महिलाओं को दैहिक शोषण का शिकार बनाया गया है। इस दुराचारी किरदार का मामले का भांडा फूटते ही आसानी से देश से विदेश भाग जाना भी शर्मनाक है । न कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने उसे रोका और न ही केंद्र की भाजपा सरकार ने। जाहिर है कि सत्ता राजनीतिक पहुंच रखने वाले दबंग लोग कानून को पैरों तले रौंदते हैं मानो यदि किसी के पास पैसा व पहुंच है तो वह जो मर्जी अपराध करके भाग सकता है क्या,कानून बाद में लकीर पीटने के लिए बना है?

गौरतलब है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार की अपेक्षाकृत छवि साफ मानी जाती है, किन्तु उनकी पार्टी के नेताओं पर भी समय समय पर महिलाओं से दुराचार दुष्कर्म के गंभीर आरोप लगते रहे हैं चाहे वह उत्तर प्रदेश का विधायक कुलदीप सेंगर, गोंडा के भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, साक्षी महाराज या फिर अब भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीएस के सांसद प्रज्वल रेवन्ना हों, सब किरदारों पर एक ही जैसे महिला शोषण दरिंदगी के अत्यंत गंभीर आरोप लगेहैं। पार्टी ने तब तक उनके विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया जब तक कि अदालत ने सजा न सुना दी। आपको बता दें कि सेंगर को सजा होने के बाद ही पार्टी से निलंबित किया गया। ब्रजभूषण पर देश का नाम रोशन करने वाली अंतरराष्ट्रीय पहलवानों ने शोषण के गंभीर आरोप लगाए, लेकिन सरकार ने उसे कुश्ती महासंघ के पद से हटाना तक जरूरी नहीं समझा। अब महिला पहलवानों के यौन शोषण का मुद्दा जोर न पकड़ ले , इसलिए उसका टिकट तो काट दिया, लेकिन उसके बेटे को ही टिकट दे दिया। इसी तरह, कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से कार्यकाल पूरा होने के बाद ब्रजभूषण तो हट गये, पर उनके अपने सहयोगी? को ही अध्यक्ष बनवा दिया। क्या ये दुराचार के आरोपी नेता राजनीतिक रूप से इतने दबंग हैं कि उन पर हाथ डालने की हिम्मत ही नहीं है? या उनके सहयोग के बिना सत्ता में लौटना सम्भव नहीं है। फिर बाकी दलों में और भाजपा में क्या अंतर रह जाता है?

यदि हालात ऐसे हैं तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसे नारे निरर्थक हैं। इसी तरह, चुनाव में वोट बटोरने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भले ही रेवन्ना को लेकर आक्रामक हों, किन्तु जब राजस्थान में उनकी सरकार थी और हर दूसरे दिन बच्चियों से दुष्कर्म के मामले आते थे तब प्रियंका, राहुल और सोनिया के मुंह से एक शब्द नही निकला। बलात्कार करने वालों पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तो कह दिया था बच्चे हैं, गलती हो जाती है। इनके इस बयान की बहुत आलोचना की गई थी। यूपी, मध्य प्रदेश, बंगाल, बिहार, कर्नाटक… सब जगह तो ऐसे मामले सामने आए हैं। यह किस तरह की मानसिकता है? ऐसे में हम किस मुंह से दो माह से संदेशखाली के दबंग के खिलाफ हर मंच से दुराचार और दबंगई के आरोप में आवाज उठा रहे थे। कुकर्म दबंगई करने वाला नेता संदेश खाली का शेख शाहजहां हो या कर्नाटक का पूर्व पीएम का पोता प्रज्वल रेवन्ना दोनों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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