आकाश आनंद की अपरिपक्व राजनीति
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक तरह से अपना उत्तराधिकारी ही घोषित कर दिया था और 2024 के लोकसभा चुनाव मंे उनको मुख्य जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। राजनीति की परिपक्वता न होने के चलते बसपा प्रमुख ने गत 7 मई को अचानक उनसे सारे अधिकार छीन लिये। उन्हांेने इसका कारण भी बताया कि आकाश आनंद अभी राजनीति में परिपक्व नहीं हुए हैं। दरअसल, इस समय राजनीति सपाट नहीं है बल्कि जटिल है। बड़े-बड़े शूरमा इसी के चलते जेल चले गये हैं। बसपा की जिम्मेदारी संभाल रहे आकाश आनंद यह नहीं समझ पाये कि उनकी बुआजी संभल-संभल कर कदम क्यों उठा रही हैं? उनकी बयानबाजी पर कोई उंगली नहीं उठा पा रहा है। आकाश आनंद यहीं पर गलती कर गये। सीतापुर की एक जनसभा में आकाश आनंद ने भाजपा सरकार की तुलना तालिबानों से कर दी। उन्हांेंने कहा यह आतंकवादियों की सरकार है। आकाश आनंद ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी भले ही इनकार करते हों लेकिन यह बुलडोजर की सरकार है। आकाश आनंद ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश मंे 16 हजार से ज्यादा अपहरण हुए हैं। ये कैसी सरकार है जो हमारी बहन-बेटियों की रक्षा नहंी कर पा रही है। आकाश आनंद के बयान पर भाजपा ने आपत्ति दर्ज करायी और पुलिस ने संज्ञान लेते हुए आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में अलग-अलग धाराओं मंे एफआईआर दर्ज की है। आकाश आनंद के साथ बसपा प्रत्याशी महेन्द्र यादव, श्याम अवस्थी, अक्षय कालरा और विकास राजवंशी के खिलाफ भारतीय दंडसंहिता की धारा 171सी, 153बी, 188, 502(2) और आरपी एक्ट की धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद बसपा प्रमुख ने आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी पर से हटाने मंे विलंब नहीं किया। उन्हांेने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह कड़क फैसले लेने मंे झिझकती नहीं हैं।
आकाश आनंद ने सीतापुर की चुनावी सभा मंे कहा था कि जो सरकार युवाओं को भूखा रखे, जो सरकार बड़े-बुजुर्गों को गुलाम बनाकर रखे, ऐसी सरकार आतंकवादियों की सरकार होती है। ऐसी सरकार तालिबान, अफगानिस्तान मंे चलती है। उन्हांेने कहा देश के हर कालेज और विश्वविद्यालयों मंे दलित छात्रों के अधिकारों का हनन हो रहा है लेकिन ये याद रखिएगा कि बाबा साहेब के अनुयायी जाग चुके हैं। वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली पर दलित प्रधानमंत्री होगा, तब उसका हिसाब लिया जाएगा। बाबा साहेब हमारी ताकत, हमारी शक्ति हैं, हमारे भगवान हैं। उनकी पूजा मंे दखल बर्दाश्त नहीं करूंगा।
मायावती ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह ऐलान किया। आकाश आनंद, मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। उनका जन्म 1995 में नोएडा में हुआ। आकाश ने नोएडा और गुरुग्राम से स्कूली शिक्षा हासिल की। उन्होंने वर्ष 2013 से 2016 के दौरान लंदन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। इंडिया वापस आकर उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया और पिता का बिजनेस भी संभाला। आकाश ने कई बड़ी कंपनियों के साथ काम भी किया। वर्ष 2016 में आकाश आनंद ने सक्रिय राजनीति में आने का फैसला लिया। आकाश पिछले कई सालों से पार्टी में एक्टिव हैं। उन्होंने हाल ही में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बखूबी जिम्मेदारी संभाली।साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हारने के बाद मायावती उन्हें जनता के सामने लायी थीं। साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल किया था। इसी समय बसपा का सपा के साथ गठबंधन टूट गया था और आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर घोषित किया गया।सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर बसपा को बढ़ाने वाले आकाश आनंद परंपरागत राजनीति के अलावा, हर मोर्चे पर पार्टी की सोच को आगे बढ़ाने में कामयाब रहे हैं। सोशल मीडिया पर आकाश का अकाउंट काफी एक्टिव रहता है और वह युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए काफी कोशिशें भी कर रहे थे। एक्स पर आकाश आनंद के 184 लाख और फेसबुक पर 53 हजार फॉलोअर्स हैं। पर्सनल लाइफ की बात करें तो, उन्होंने बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से शादी की है।
काफी लंबे इंतजार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने पिछले साल दिसंबर में हुई पार्टी बैठक में आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। मायावती ने भरी सभा में ऐलान किया था कि उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद होंगे। इसके बाद मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए लोकसभा चुनाव 2024 की कमान सौंपी थी। उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी देने के साथ चुनाव प्रचार में आगे किया। 2024 लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद लगातार चुनाव प्रचार में खूब पसीना बहा रहा थे, लेकिन फिर अचानक ऐसा कुछ हुआ कि मायावती को उनमें अपरिपक्वता दिखाई देने लगी या फिर कहीं मायावती को 2024 चुनाव के परिणाम साफ तो नहीं दिखाई दे रहे हैं, जिससे उन्होंने आकाश आनंद से जिम्मेदारी वापस ले ली।लोकसभा चुनाव 2024 की जिम्मेदारी मिलने के बाद से आकाश आनंद लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने से लेकर प्रचार तक में खूब पसीना बहा रहे थे। कुछ दिन पहले सीतापुर शहर के राजा कॉलेज मैदान में बसपा की जनसभा में आकाश आनंद ने एक भड़काऊ बयान दे दिया था जिस पर पुलिस ने आकाश आनंद पर एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मायावती की नाराजगी का सामना आकाश आनंद को करना पड़ था। मायावती ने उनके आगे के सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था। साथ ही किसी भी पार्टी कार्यक्रम में न शामिल होने की पाबंदी लगा दी थी।
आकाश आनंद की रैलियों, जनसभाओं और कार्यक्रमों में भड़काऊ बयान सामने आ रहे थे, जबकि मायावती के बयान और उनके पोस्ट कानून के दायरे में रहते हैं। मायावती के बयानों और किए गए पोस्ट पर कोई कानून चुनौती नहीं दे सकता है। कहीं न कहीं आकाश आनंद का भड़काऊ बयान भी कारण हो सकता था, क्योंकि वो पार्टी की गाइडलाइन से अलग होकर बयान दे रहे थे, जोकि मायावती को पसंद नहीं आया।आकाश आनंद की जनसभाओं और रैलियों में उनके भाषण दिन प्रति दिन भड़काऊ होते जा रहे थे। उनकी भाषा शैली विपक्षी नेताओं की तरह भड़काऊ होने लगी। उनकी भाषा शैली में अपरिपक्वता साफ दिखाई दे रही थी। मायावती ने 2024 के चुनाव में सपा से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इसी रणनीति के तहत वह संतुलित बयानबाजी भी करती है। आकाश आनंद पार्टी की गाइड लाइन से हट गये थे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)