राजनीति

सपा-बसपा विवाद और गठबंधन

 

उत्तर प्रदेश मंे आम चुनाव 2024 से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच नजदीकी के कयास फीके पड़ने लगे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के विरोध मंे विपक्षी दलों ने इंडिया के नाम से जो गठबंधन किया है, उसकी स्थिति प्रदेश स्तर पर अलग-अलग है। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सीटों का बंटवारा ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के साथ हो सकता है लेकिन वामपंथी दलों का समझौता होना मुश्किल है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश मंे तीन प्रमुख विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस-एक साथ नहीं आ पाएंगे लेकिन कांग्रेस चाहती है कि बसपा उससे जुड़ जाए। पहले यह कयास लगाया जाता था कि सपा-बसपा फिर एक हो जाएंगी। इसी बीच बसपा के लखनऊ स्थित कार्यालय के पास बने ओवरब्रिज को लेकर बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया पर इसे अपने लिए खतरा बताया। इसका जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि ‘बीजेपी को चिट्ठी लिख दें, तुड़वा दें पुल। बीजेपी सरकार में तमाम बुलडोजर हैं तोड़ देंगे पुल। इस प्रकार कटुता बढ़ी थी लेकिन अखिलेश यादव ने सपा नेताओं की बैठक में कहा कि बसपा सुप्रीमों मायावती वरिष्ठ नेता हैं। हम सभी उनका सम्मान करते हैं। इस तरह इंडिया गठबंधन मंे उनको शामिल करने का प्रयास फिर तेज हो गया है।

अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा मुख्यालय पर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी। इस दौरान कई नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू विरोधी बयानों को लेकर आपत्ति जताई तो अखिलेश ने आश्वासन दिया कि आगे से ऐसा नहीं होगा। दो दिन पहले मायावती ने कहा था कि सपा सरकार में बीएसपी ऑफिस के सामने ऊंचा पुल बनवाया गया था। यहां से अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों और मुझको भी हानि पहुंचा सकते हैं। इसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहां से हटाकर मेरे आवास पर शिफ्ट करना पड़ा।पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वर्गों के सहारे आगामी लोकसभा चुनाव में जीत की उम्मीद लगाये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि किसी का कोई भगवान हो, हमारा भगवान पीडीए है। सपा प्रमुख ने कहा, समाजवादियों को खुशी तभी होगी जब गरीबों के घर में खुशहाली आएगी। गरीब के बेटे को नौकरी मिलेगी तभी हम मानेंगे कि उसके घर में दीया जला है। अयोध्या में हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर अखिलेश ने कोई सीधा जवाब नहीं देते। वह कहते हैं हमारा रास्ता धर्म का नहीं है। हमारा रास्ता गैर बराबरी दूर करने का है। हमारा रास्ता वही है जो बाबा साहब भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने दिखाया। हम उसी रास्ते पर चलेंगे जिस पर नेताजी मुलायम सिंह यादव ने संघर्ष करके हम लोगों को चलाने का काम किया है।

बहरहाल, विपक्षी इंडिया गठबंधन में बसपा शामिल होगी या नहीं? इस मुद्दे पर अखिलेश यादव और मायावती के बीच वार और पलटवार का दौर चल रहा है। अखिलेश ने जहां बसपा की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिए वहीं मायावती ने सपा से अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा जता दिया है। इस बीच, 9 जनवरी को लखनऊ पार्टी दफ्तर में हुई मीटिंग के दौरान अखिलेश यादव ने अपने एक विधायक को टोकते हुए कहा कि मायावती बहुत वरिष्ठ नेता हैं और उम्र में काफी बड़ी हैं। उनका नाम सम्मान के साथ लेना चाहिए। अखिलेश ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मायावती के खिलाफ बयानबाजी न करने का निर्देश दिया है।अखिलेश ने बैठक में विधायकों और पूर्व विधायकों से कहा कि 2022 में उन्हें जो वोट मिला था, उसे बढ़ाने के लिए मेहनत करें। सपा का जो भी प्रत्याशी हो उसकी मदद करें और उनको ज्यादा वोट दिलाएं। हर विधायक या प्रत्याशी अपने मौजूदा वोट में 20 से 25 फीसद तक इजाफा करे। यूपी का परिणाम ऐसा होगा जिससे भाजपा का पूरी तरह सफाया होगा।

मायावती की बसपा और अखिलेश के नेतृत्व वाली सपा ने हाल ही में एक-दूजे को आड़े हाथों लिया, जिससे ये संकेत मिले कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में ये दोनों बड़े क्षेत्रीय दल साथ नहीं आने जा रहे हैं। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल काफी तेज है। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है। इसी बीच बसपा सुप्रीमो मायावती को इंडिया में शामिल करने को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है। अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन में मायावती को लाने के लिए तैयार हैं। लखनऊ में सपा नेताओं की अहम बैठक में अखिलेश ने कहा कि बसपा की मायावती वरिष्ठ नेता हैं, हम सबको उनका सम्मान करना चाहिए मैं करता हूं आप सब भी करें। बसपा को इंडिया गठबंधन में लाने के लिए कांग्रेस उनसे बातचीत कर रही है। हालांकि कांग्रेस की तरफ से पुष्टि नहीं हुई है।

मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर दिए गए एक बयान में कहा है कि सपा सरकार में अनेक दलित विरोधी फैसले लिये गए थे। बसपा यूपी स्टेट आफिस के पास ऊंचा पुल बनाने का कृत्य भी ऐसा ही है, जहां से षडयंत्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं। इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुंचने पर वहां पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है। मायावती ने अपने बयान में अपनी असुरक्षा का जिक्र करते हुए यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया। कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे के बसपा को गठबंधन में लाने के प्रयास संबंधी सवाल पर अखिलेश कहते हैं कि इंडिया गठबंधन में कभी इस तरह की कोई बात नहीं हुई। अगर हुई होती तो उनकी जानकारी में भी होती। उन्होंने बिना नाम लिए पांडे पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा कई तरीके से विपक्षी गठबंधन को कमजोर करने के लिए अभियान चला रही है। इस तरह की बातें भाजपा की इस रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं।

सपा और बसपा में ताजा झगड़ा तब शुरू हुआ जब 7 जनवरी 2024 को मायावती ने यादव के एक बयान पर पलटवार किया था, जिसमें उन्होंने बसपा की विश्वसनीयता पर सवाल दागे थे। अखिलेश ने एक रोज पहले बलिया (यूपी में) दौरे पर मायावती के ‘इंडिया’ गठजोड़ में शामिल होने पर गठबंधन के मजबूत होने को लेकर पूछे गए सवाल पर मायावती पर भरोसे के संकट की बात कही थी। मायावती इसी पर बोली थीं कि बसपा पर अनर्गल तंज कसने से पहले सपा चीफ को अपने गिरेबान में झांककर जरूर देखना चाहिए कि भाजपा को आगे बढ़ाने और मेलजोल में उनका दामन कितना दागदार है। मायावती ने सपा पर फिर करारा हमला बोला और उसे ‘जबरदस्त दलित विरोधी’ बताया।

यह भी ध्यान रखना होगा कि सपा पर मायावती का आरोप रहा है कि वह बीजेपी के खिलाफ नहीं बोलती है। यही वजह है कि यादव का दल बसपा को भाजपा की बी टीम भी बताता है। पिछले कुछ सालों में मायावती ने खुलकर योगी सरकार पर हमला नहीं बोला है जबकि मायावती सपा को दलित विरोधी करार देती हैं। मायावती एकला चलो रे की नीति पर ही चलती दिख रही हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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