हमारे देश मंे वनस्पतियों की भी पूजा की जाती है। इसका प्रमुख कारण है इन वनस्पतियों मंे छिपे औषधीय गुण। यहां पर हम लाजवंती अर्थात् छुई मुई पौधे, हर सिंगार के फूलों और शिवजी के प्रिय पुष्प मदार के रस और पत्तों में छिपे औषधीय गुणाों के बारे में बता रहे हैं। यह जन श्रुति के आधार पर है इसलिए इनका प्रयोग भी किसी हकीम के परामर्श से ही करें।
अतिसार व मधुमेह में रामबाण है लाजवंती
लाजवंती का पौधा के साथ-साथ उसकी जड़ भी रक्त अतिसार और मधुमेह मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है। जांजगीर चांपा के आयुर्वेदिक डॉक्टर कहते हैं कि लाजवंती जड़ को 10 ग्राम एक गिलास पानी में काढ़ा बनाकर चैथाई अंश शेष बचने पर उस काढ़े को सुबह-शाम पिलाने से रक्त अतिसार और मधुमेह में लाभ होता है। वहीं आयुर्वेदिक डॉक्टर कहते हैं कि अगर आप ठंड में बदलते मौसम के कारण खांसी से हमेशा परेशान रहते हैं और खांसी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो लाजवंती की जड़ को गले में बांधने से खांसी में लाभ मिलता है। और धीरे धीरे खांसी बंद हो जाती है लाजवंती के पौधे में एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो इंफेक्शन जैसी परेशानियों को दूर करने का काम करता है।लाजवंती पत्तों को पीसकर कपड़े से निचोड़कर 30 मिलीग्राम रस निकालकर पीने से अपच दूर होता है। लजवंती के पत्ते से पेट के इंफेक्शन से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही ये कई सारी बीमारियों से भी राहत दिला सकता है।
लाजवंती का पौधा बवासीर के लिए भी रामबाण है। आपको बता दे की लाजवंती के पत्तों को एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ रोजाना तीन बार पीने से बवासीर में लाभ होता है। साथ ही इसकी जड़ और पत्ते, दोनों का एक चम्मच चूर्ण दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगंदर में लाभ होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर कहते हैं कि यदि आपके शरीर में चोट लगने से सूजन हो गया है तो लाजवंती पौधे की जड़ों को अच्छे से बारीक पीसकर घिसकर लेप बना लें उसके बाद उस लेप को सूजन वाले जगह लगाने से सूजन धीरे धीरे बिखर जाता है और आराम मिलता है। लाजवंती के बीजों को भी पीसकर घाव पर लगाने से आराम मिलता है। (हिफी)
हर सिंगार के फूलों में खुशबू के साथ औषधि भी
रातरानी या हरसिंगार नाम का फूल बहुत काम का होता है। यह फूल धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक अलग महत्व रखता है। इसके कई लाभकारी गुण होते हैं। यह फूल अगर घर में लगा हो तो पूरा घर सुगंधित रहता है। इसकी खुशबू से मन को बहुत शांति भी मिलती है। इस फूल के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस फूल को भगवान कृष्ण ने स्वर्ग से धरती पर लाया था। इसे रात की रानी इसलिए कहते हैं क्योंकि यह फूल रात में ही खिलता है। बताया कि हरसिंगार या रातरानी फूल के पत्ते को उबालकर उसका पानी पीने से साइटिका के दर्द से राहत मिलती है। अगर आप खाली पेट इसको पीते हैं तो फायदा ज्यादा होगा। हरसिंगार के पौधे, पत्ते, फूल और छाल को 200 एमएल पानी में उबाल लीजिए। जब उबलकर 50 एमएल हो जाए तो गैस बंद कर दीजिए। फिर गरम-गरम सिप करके दिन में एकबार पीने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
वहीं बुखार में भी इस फूल का अर्क बहुत फायदेमंद होता है। इसके पौधे की छाल 3 ग्राम मात्रा में तुलसी पत्ती मिलाकर उबाल लीजिए, फिर इस पानी को दो से तीन बार दिन में पीने पर यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। सर्दी-जुकाम होने पर रातरानी फूल के पत्तों का काढ़ा बहुत कारगर होता है। इससे सर्दी जुकाम में तुरंत राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि इसके फूल को उबालकर आप चाय पी सकते हैं। इसमें तुलसी की पत्तियां मिलाकर उबाल लीजिए, यह चाय भी आपकी सेहत के लिए अच्छी होती है। इससे कफ की समस्या से राहत मिलती है। इसके साथ ही इस फूल का काढ़ा स्ट्रेस और एंजाइटी को भी दूर करता है। (हिफी)
शिव का प्रिय मदार संक्रमण से करता है रक्षा
थार के द्वार कहे जाने वाले चूरू में ऐसे-ऐसे औषधीय और गुणकारी पौधेे मिलेंगे जिनका आर्युवेद में काफी महत्व है। ऐसा ही एक पौधा है आक जिसका धार्मिक ही नही बल्कि आर्युवेद में भी काफी महत्व है। बंजर से बंजर जमीन में स्वयं ही ऊगने वाला ये पौधा अपनी विशेषताओं के लिए काफी मशहूर है। भीषण सर्दी और गर्मी में भी आक का पौधा जीवित रह सकता है। आक के जितने फायदे हैं। उतने ही नुकसान भी है इसके उपयोग से पहले कुछ शर्तें है जिसके अनुसार ही इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना आवश्यक है।आक का फूल छोटा, सफेद और कटोरीनुमा आकार का होता है। साथ ही लाल व बैंगनी रंग की चित्तियां होती हैं। आक के पौधे की जड़ में मंडारएल्बन और फ्युएबिल नामक रसायन पाया जाता है। यह पौधा कई बीमारियों के इलाज के लिए कारगर है।
आक के रस (आक का दूध) में खास प्रकार के शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिनकी मदद से कान दर्द को दूर किया जा सकता है। आप रुई के साथ एक या दो बूंद कान में डाल सकते हैं। आक के पत्तों में कुछ खास प्रकार के तत्व शामिल होते हैं, जिनकी मदद से सिरदर्द को दूर किया जा सकता है। आक के पत्तों को पीस लें और उनका लेप सिर पर लगाएं। आक के रस में अनेक प्रकार के एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा पर होने वाली सूजन, लालिमा व जलन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही इसका एंटी बैक्टीरियल प्रभाव कई प्रकार के संक्रमणों को बढ़ने से रोकता है। हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें। इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है। ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें। जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए। इस प्रकार वनस्पतियां हमारे स्वास्थ्य की भी रक्षा करती हैं। (हिफी)
(मोहिता स्वामी-हिफी फीचर)